सवाल: आज कल फ्लेवर हुक्का का बहुत ज्यादा प्रचलन है, नौजवान इसका बहुत ज्यादा सेवन करते हैं, क्या ये गलत है?
जवाब: हमें तो पता नहीं, फ्लेवर हो, अगर उसमें तम्बाकू है, तो गलत ही गलत है और उसमें से धुंआ निकालने से मिलेगा क्या? धुंआ कुछ भी जाता है, लेकिन कैमिकल तो होगा ही, वो फ्लेवर ये तो है नहीं कि नेचूरल है, उसमें कुछ कैमिकल होंगे, और वो धुंआ अगर फेफड़ों में जाता है तो वो फायदा करने से तो रहा, हमें तो लगता नहीं करनी चाहिये ये सब चीजें।
सवाल: कहा जाता है कि इंसान अपनी आत्मिक शक्ति को, आंखों के द्वारा ज्यादा बर्बाद करता है, इसकी क्या वजह है?
जवाब: कोई जरूरी नहीं है आंखों से, अपने कर्मों से भी इंसान बर्बाद करता है आंखें, क्योंकि देखती हैं, आप ये सोचते हैं कि आंखें पहचानती नहीं कि गलत कर्म कर रहे हो, बुरा कर्म कर कर रहे हो, लेकिन नहीं। उतना मार्इंड का भी असर है, वो सोचता नहीं, सिर्फ आंखों को दोष नहीं दे सकते आप, क्योंकि आंखें तो एक मैसेज भेजती हैं मार्इंड तक और बेसिक मार्इंड ही डिसाइड करता है, क्या करना है, क्या नहीं करना। और उसके स्वामी आप हैं। क्योंकि आत्मिक तौर पर उसे कंट्रोल करते हैं तो आपके अंदर आवाज जरूर आएगी आत्मा की, कि मत कर बुरा कर्म, फिर भी करते हैं तो दोषी आप हो जाते हैं, आंखें या मार्इंड नहीं। इसलिए गलत कर्म नहीं करना चाहिये।
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