सरसा। (सच कहूँ न्यूज) हर वर्ष आज का दिन विश्व मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया था। बांग्लादेश की पहल पर इसे मनाने की शुरूआत हुई थी। 2000 से पूरी दुनिया मातृभाषा दिवस मनाने लगी। वहीं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बेटी ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने ट्वीट कर विश्?व मातृभाषा दिवस की शुभकामनाएं दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि विभिन्न मातृभाषाएँ लोगों को जोड़ती हैं, सामाजिक एकीकरण प्रदान करती हैं और शिक्षा प्राप्त करने और समझने में महत्वपूर्ण हैं। आइए सभी मातृभाषाओं पर गर्व करें और उनका सम्मान करें, क्योंकि उनमें हमारी सांस्कृतिक विरासत, यादें और परंपराएं निहित हैं।
Different Mother Languages connect people, provide social integration & are vital in receiving & perceiving education.
Let's be proud & respect all Mother Languages, for within them lie our cultural heritage, memories & traditions.— Honeypreet Insan (@insan_honey) February 21, 2023
मातृभाषा दिवस का इतिहास
वर्ष 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के तौर पर मनाने का ऐलान किया था। पहली बार इस दिन को मनाने की शुरूआत बांग्लादेश ने की थी। बाद में वर्ष 2000 से विश्व भर में यह दिन मनाया जाने लगा।
बांग्लादेश का संबंध
जब 1947 में भारत से अलग होकर पाकिस्तान बना तो भौगोलिक रूप से दो हिस्सों में बांटा गया। पहला -पूर्वी पाकिस्तान और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान। पाकिस्तान ने उर्दू में देश की मातृभाषा घोषित किया। लेकिन पूर्वी पाकिस्तान में बांग्ला भाषा अधिक होने के कारण उन्होंने बांग्ला को अपनी मातृभाषा बनाने के लिए संघर्ष शुरू किया। बाद में पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया। 21 फरवरी को उनका संघर्ष पूरा हुआ और बांग्लादेश की वर्षगांठ भी इसी दिन से मनाई जाने लगी।
भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषायें बोली जाती है
भारत विविध संस्कृति और विभिन्न भाषाओं का देश है। 1961 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। हालांकि एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल भारत में 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है। हिंदी दूसरी सबसे लोकप्रिय मातृभाषा है। देश में 43 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं, इसमें 12 फीसद द्विभाषी है।
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