Motivational Incident: नाव गंगा के इस पार खड़ी है। यात्रियों से लगभग भर चुकी है। रामनगर के लिए खुलने ही वाली है, बस एक-दो सवारी चाहिए। उसी की बगल में एक नवयुवक खड़ा है। नाविक उसे पहचानता है। बोलता है – ‘आ जाओ, खड़े क्यों हो, क्या रामनगर नहीं जाना है?’ नवयुवक ने कहा, ‘जाना है, लेकिन आज मैं तुम्हारी नाव से नहीं जा सकता।?’ क्यों भैया, रोज तो इसी नाव से आते-जाते हो, आज क्या बात हो गई? आज मेरे पास उतराई देने के लिए पैसे नहीं हैं। तुम जाओ। अरे! यह भी कोई बात हुई। आज नहीं, तो कल दे देना। Motivational Incident
नवयुवक ने सोचा, बड़ी मुश्किल से तो माँ मेरी पढ़ाई का खर्च जुटाती हैं। कल भी यदि पैसे का प्रबन्ध नहीं हुआ, तो कहाँ से दूँगा? उसने नाविक से कहा, तुम ले जाओ नौका, मैं नहीं जाने वाला। वह अपनी किताब कापियाँ एक हाथ में ऊपर उठा लेता है और छपाक नदी में कूद जाता है। नाविक देखता ही रह गया। मुख से निकला- अजीब मनमौजी लड़का है। छप-छप करते नवयुवक गंगा नदी पार कर जाता है। रामनगर के तट पर अपनी किताबें रखकर कपड़े निचोड़ता है। भींगे कपड़े पहनकर वह घर पहुँचता है। माँ रामदुलारी इस हालत में अपने बेटे को देखकर चिंतित हो उठी। अरे! तुम्हारे कपड़े तो भीगे हैं? जल्दी उतारो।
नवयुवक ने सारी बात बतलाते हुए कहा, तुम्ही बोलो माँ, अपनी मजबूरी मल्लाह को क्यों बतलाता? फिर वह बेचारा तो खुद गरीब आदमी है। उसकी नाव पर बिना उतराई दिए बैठना कहाँ तक उचित था? यही सोचकर मैं नाव पर नहीं चढ़ा। गंगा पार करके आया हूँ। माँ रामदुलारी ने अपने पुत्र को सीने से लगाते हुए कहा, ‘बेटा, तू जरूर एक दिन बड़ा आदमी बनेगा।’ वह नवयुवक अन्य कोई नहीं लाल बहादुर शास्त्री थे, जो देश के प्रधानमंत्री बने और 18 महीनों में ही राष्ट्र को प्रगति की राह दिखाई।
यह भी पढ़ें:– PM e-Bus Seva : देश के 100 शहरों में 10 हजार ई-बसें चलाने का केन्द्र का सही फैसला