Sedition Law: लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता 2023 को पेश किया गया, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजद्रोह अधिनियम की धारा 124-ए को समाप्त करने का ऐलान किया। यह वास्तव में एक एतिहासिक निर्णय है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल राजद्रोह कानून की धारा 124-ए पर रोक लगा दी थी और सरकार से इस कानून को खत्म करने के लिए कहा था। यह अच्छी बात है कि सरकार ने जनभावना का सम्मान करते हुए इस काले कानून को खत्म कर दिया है। दरअसल, कोई भी कानून जनभावनाओं से ऊपर नहीं हो सकता। यह भी सच है कि निरंकुश ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को लूटने के लिए देश की जनता पर राजद्रोह का कानून थोपा था। Section 124A
कानून की आड़ में देशभक्तों को देश का गद्दार की भांति पेश किया गया। लाखों भारतीय अंग्रेजों के इस काले कानून का शिकार हुए। वास्तव में किसी भी प्रकार की देश विरोधी गतिविधि को अंजाम देना, जिससे देश की एकता व अखंडता को खतरना हो यही देशद्रोह होता है, परंतु देश में लोकतंत्र व मानवीय विचारधारा की बदौलत ही ऐसे हालात बहुत कम पैदा हुए हैं जिससे देश को कोई खतरा हो। आजादी की पौनी सदी के बाद भी देश मजबूत है और मजबूत हो रहा है। हमारी अर्थव्यवस्था विश्व की मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है। Sedition Law
भारतीय संविधान का मान-सम्मान बढ़ा है। इन परिस्थितियों में देश को किसी किसी भी तरह के खतरे की बात कोरी कल्पना है। राजद्रोह कानून के मुताबिक सरकार के खिलाफ बोलना, उंगली उठाना या लिखना भी राजद्रोह है। यह अवधारणा पूर्णतया गलत है। वास्तव में सरकार और देश अलग-अलग हैं। सरकार के किसी भी फैसले का विरोध देश का विरोध नहीं हो सकता। संविधान कुछ शर्तों के तहत लिखने, बोलने, विरोध करने और जुलूस निकालने की आजादी देता है। इसी तरह के व्यवहार को राष्ट्रविरोधी मानना गलत है, लेकिन यह सरकार और संविधान की महानता है जो अपने नागरिकों को आजादी देता है। Amit Shah
यदि बोलना और लिखना देश के खिलाफ होता तो सूचना का अधिकार एक्ट जैसा कानून बनाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। केंद्र सरकार और संसद का राजद्रोह कानून को खत्म करना एक स्वागत योग्य निर्णय है और इस कदम से देश की एकता और अखंडता मजबूत होगी। देश विरोधी ताकतों और आतंकवाद विरोधी सख्त कानून पहले से ही मौजूद हैं, जो देश की एकता और अखंडता को बरकरार बनाए हुए हैं। Sedition Law
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