न्यूजीलैंड की साध-संगत ने सुनामी से तबाह हुए टोंगा में पहुंचाई राहत सामग्री
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साथी मुहिम के तहत दिव्यांग बहन को दी ट्राईसाइकिल
सरसा। डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन महारहमोकर्म माह की खुशी में रविवार को शाह सतनाम जी धाम में नामचर्चा का आयोजन किया गया। इस दौरान कोरोना के मद्देनजर सेनेटाइजेशन, थर्मल स्कैनिंग, सोशल डिस्टेसिंग और मास्क लगाना सहित सभी नियमों का पूर्णत: पालन किया गया। पवित्र नारे ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के साथ नामचर्चा का शुभारंभ हुआ। इसके पश्चात कविराज भाइयों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से सतगुरु जी की महिमा का गुणगान किया। तत्पश्चात बड़ी स्क्रीनों पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन अनमोल वचनों को साध-संगत ने एकाग्रचित होकर सुना। इस अवसर पर टोंगा देश में सुनामी आने पर न्यूजीलैंड की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग द्वारा पहुंचाई गई मदद और डबवाली में सेमनाला टूटने पर साध-संगत द्वारा चलाए राहत एवं बचाव कार्य को दर्शाती वीडियो भी दिखाई गई। तत्पश्चात तीन युगल डेरा सच्चा सौदा की मर्यादानुसार विवाह बंधन में बंधे। वहीं ‘साथी मुहिम’ के तहत दिव्यांग बहन को लखबीर सिंह इन्सां और हरप्रीत इन्सां की ओर से ट्राइसाइकिल दी गई। इसके पश्चात आई हुई साध-संगत को कुछ मिनटों में लंगर भोजन खिला दिया गया।
शाही बेटी स्तुति इन्सां की हुई शादी
शाह सतनाम जी धाम में आयोजित नामचर्चा के दौरान शाही बेटी स्तुति इन्सां पुत्री फोस्टर फादर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की मोहित इन्सां पुत्र पुरुषोत्तम इन्सां निवासी वेदांत नगर मोगा के साथ शादी हुई। बता दें कि शाही बेटियां वो बच्चियां हैं, जिन्हें कोख में मार दिया जाना था, लेकिन पूज्य गुरु जी ने न सिर्फ इन बेटियों को बचाया बल्कि अपनी सन्तान के रूप में इन बेटियों को अपनाया और माता-पिता की जगह अपना नाम दिया। पूज्य गुरु जी दया, मेहर, रहमत से डेरा सच्चा सौदा में ये बेटियां कोन्वेंट स्कूलों में पढ़कर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। इसके साथ ही खेलों में भी देश का नाम रोशन कर रही हैं।
राम-नाम से इतनी रहमतें बरसेंगी कि झोलियां छोटी रह जाएंगी : पूज्य गुरु जी
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मालिक का नाम सुखों की खान है और ऐसी खान है, जिसमें कभी कमी नहीं आती। एक बार अगर खजाने उसकी दया मेहर, रहमत से भर लो। एक बार खजाने अगर राम-नाम से भर लो तो रहमतें, बरकतें इतनी बरसेंगी कि झोलियां छोटी रह जाएंगी, बरकतें बरसती चली जाएंगी।
हर फल को पाने के लिए बीज डालना जरूरी होता है। जब तक बीज नहीं डालते पौधा नहीं बनता, फल नहीं आते। तो राम के खजाने भरना चाहते हो तो राम-नाम का जाप करो। अल्लाह, वाहेगुरु, खुदा, रब्ब की भक्ति करो, उसी से खजाने भरेंगे, उसी से खुशियां आएंगी। उसी से ही दया, मेहर, रहमत के काबिल बन पाओगे।
आपजी फरमाते हैं कि हमेशा याद रखो कि अगर मालिक की दया, मेहर, रहमत प्राप्त करना चाहते हो, अगर उसके कृपा-पात्र बनना चाहते हो तो सुमिरन से नाता जोड़कर रखो। सुमिरन करना बहुत जरूरी है। चलते, बैठके, काम-धंधा करते हुए सुमिरन करो। कितना आसान काम है, रोटी खाने से भी आसान काम। रोटी खाने के लिए कोर तोड़नी पड़ती है, कुछ लगाना पड़ता है फिर चबाना पड़ता है, फिर निगलना पड़ता है, फिर हज़्म होता है। बहुत सारा खाने पर थोड़ी सी ताकत मिलती है। दूसरी ओर राम-नाम की तरफ देखो तो न कुछ तोड़ना पड़े, ना कुछ लगाना पड़े, ना चबाना पड़े, ना निगलना पड़े, बस जीभा या ख्यालों से जाप करो। थोड़ा सा जाप करो और बहुत सारा फल ले जाओ।
पूज्य गुरु जी आगे फरमाते हैं कि ये कलियुग है, इसमें भक्ति फलती-फुलती बहुत ज्यादा है। कलियुग में भक्ति करना ही मुश्किल है। पगड़ी बांधनी हो, शीशे के सामने जब तक टूटी सही नहीं बनती, लगे रहोगे। हेयर स्टाइल करना हो, जब तक गंज नहीं छुप जाता है, लगे रहोगे। फेस साफ करना हो, जब तक चमकने न लग जाओ, रगड़ते रहोगे। काश उससे थोड़ा सा टाइम राम के लिए सजो सुमिरन के द्वारा। न आँखों में कुछ मारना, न नाक में।
बस थोड़ा सा सुमिरन करना है कि राम…राम…राम… और वो भी सोचा करो कि ईश्वर को कितना सुंदर लगूंगा मैं, क्योंकि वो ऐसी सुंदरता है एक बार आ गई फिर कभी जाती ही नहीं। शाह सतनाम, शाह मस्तान के रहमोकरम से उस राम, अल्लाह, वाहेगुरु के लिए सजना, संवरना कितना आसान है। आप ने सिर्फ सुमिरन करना है, चेहरा काला, गोरा कैसा भी है परवाह ना करो। उसको चेहरों से नहीं आत्मा से प्यार है। वो आत्मिक तौर पर बेइंतहा प्यार करता है। जो उसके लिए तड़पता है; वो उसके लिए हजार गुना तड़पता है। जो उसके लिए एक कदम चलता है, वो उसके लिए लाखों कदम चलके आता है।
पर अगर आप कदम भी नहीं चलोगे तो वो कैसे चलकर आएगा आपके पास। एक कदम का मतलब थोड़ा सुमिरन करो, सेवा करो, चुगली, निंदा, बुराइयां छोड़ दो। आपजी ने फरमाया कि सारा दिन ईर्ष्या, नफरत में इतना ना जला करो कि अंदर के दाने फूट जाएं। तो उस मालिक, प्रभु परमात्मा के लिए सेवा, सुमिरन, दया, रहम, प्यार-मोहब्बत ऐसा रास्ता है, जिस पर जितने बढ़ते जाओगे, उतनी ही खुशियां मिलती जाएंगी।
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