नई पुस्तकों का शिक्षा मंत्री ने किया विमोचन
भिवानी (सच कहूँ न्यूज)। शुक्रवार को पंचकूला में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की कक्षा छठी से दसवीं की इतिहास की नई पुस्तकों (History Books) का वर्चुवल विमोचन शिक्षा मंत्री कंवरपाल द्वारा किया गया। शिक्षा बोर्ड द्वारा कक्षा छठी से दसवीं तक के इतिहास की पुस्तकों के पाठ्यक्रम में बड़े स्तर पर बदलाव करते हुए नई पुस्तकें लिखवाई गई हैं, जोकि इसी शैक्षिणिक सत्र से विद्यालयों मे पढ़ाई जाएंगी।
बोर्ड की वेबसाइट से पुरानी इतिहास की ई-पुस्तकों को हटा दिया गया है तथा छठी से दसवीं तक की नई इतिहास की ई-पुस्तकों का लिंक बोर्ड की वेबसाइट डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट बीएसईएच डॉट ओआरजी डॉट. इन पर उपलब्ध है। यह जानकारी शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डॉ. जगबीर सिंह ने एक प्रेस व्यक्तव्य में दी।
उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहा कि नवीन पुस्तकों में भारतीय सभ्यता, इतिहास, संस्कृति, साहित्य, देश-भक्तों, स्वाधीनता संग्राम व उसके ज्ञात-अज्ञात वीरों, सन 1947 के बाद के भारत की प्रमुख घटनाओं को सम्पूर्ण, समग्र व व्यापक रूप में सुन्दर, चित्रों व बिल्कुल नए कलेवर के साथ प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने बताया कि शिक्षा नीति-2020 के निर्देशों की अनुपालना में इतिहास की इन पुस्तकों के माध्यम से करने का सार्थक प्रयत्न किया गया है। ये पाठ्यपुस्तकें अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ छात्रों के व्यक्तित्व के चहुंमुखी विकास में प्रभावशाली मार्गदर्शन करेंगी।
उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार के वर्णित निर्देशानुसार कक्षा छठी से दसवीं तक इतिहास की नई पुस्तकों के लेखन के कार्य का दायित्व अध्यक्ष, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को दिया गया था, जिसमें बोर्ड उपाध्यक्ष वीपी यादव एवं सचिव कृष्ण कुमार हप्रसे की सकारात्मक भूमिका रही। इस संबंध में इतिहास विषय के विशेषज्ञों का सहयोग कमेटी बनाते हुए लिया गया। पाठ्यक्रम में परिवर्तन करने के लिए विद्यालय स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के शिक्षक शामिल रहे।
डॉ. सिंह ने बताया कि कक्षा छठी से दसवीं तक इतिहास विषय (History Books) की पाठ्यपुस्तकों में वर्तमान में प्रचलित पाठ्यसामग्री के स्थान पर भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप भारत का बोध करवाने के लिए पाठ्यसामग्री में संशोधन किया गया है। प्रत्येक कक्षा के लिए पाठों का निर्माण इतिहास विषय के विशेषज्ञों के माध्यम से करवाया गया है।
इतिहास की नई पुस्तकें अपने मुद्रण स्वरूप में आ चुकी हैं। इन पुस्तकों में सरस्वती सिंधु सभ्यता को इसकी सम्पूर्णता में छात्रों के सामने रखा गया है, हरियाणा निवासियों द्वारा, इसे ठीक परिप्रेंक्ष्य में समझा जाना और भी अधिक महत्वपूर्ण है।
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