ऐतिहासिक फैसला: दिल्ली में अब एलजी नहीं सीएम की चलेगी

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हर काम में उपराज्यपाल की इजाजत जरूरी नहीं | Historical Decision

  • सरकार के फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते उपराज्यपाल

Agency/Edit By Deepak Tyagi नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में चुनी हुई सरकार और केंद्र सरकार के प्रतिनिधि उपराज्यपाल के बीच आखिर किसकी चलेगी इस पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला (Historical Decision) सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली होईकोर्ट के फैसले को बदलकर कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार के प्रत्येक फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकते और वह मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य हैं।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अलग-अलग, परंतु सहमति वाले फैसले में कहा कि उपराज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 239एए के प्रावधानों को छोड़कर अन्य मुद्दों पर निर्वाचित सरकार की सलाह मानने को बाध्य हैं।

दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं | Historical Decision

न्यायमूर्ति मिश्रा ने साथी न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति ए के सिकरी एवं न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की ओर से फैसला पढ़ा, जबकि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने अपना-अपना फैसला अलग से सुनाया। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को यहां के लोगों की जीत बताया है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनता की जीत: केजरीवाल

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा | Historical Decision

  • कुछ मामलों को छोड़कर दिल्ली विधानसभा बाकी मसलों पर कानून बना सकती है। संसद का बनाया कानून सर्वोच्च है।
  • एलजी दिल्ली कैबिनेट की सलाह और सहायता से काम करें।
  • इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा है कि एलजी को दिल्ली सरकार के काम में बाधा नहीं डालनी चाहिए।
  • हर काम में एलजी की सहमति अनिवार्य नहीं है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है,
  • इसलिए यहां के राज्यपाल के अधिकार दूसरे राज्यों के गवर्नर से अलग है।
  • दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है। इसलिए यहां बाकी राज्यपालों से अलग स्थिति है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर एलजी को दिल्ली कैबिनेट की राय मंजूर न हो तो वह सीथे राष्ट्रपति के पास मामला भेज सकते हैं।
  • शक्तियों में समन्वय होना चाहिए। शक्तियां एक जगह केंद्रित नहीं हो सकती।
  • लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं। जनता के प्रति जवाबदेही सरकार की होनी चाहिए।
  • संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता मिली हुई है।
  • जनमत का महत्व बड़ा है। इसलिए तकनीकी पहलुओं में उलझाया नहीं जा सकता।

बीजेपी ने अपनी जीत बताया | Historical Decision

बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी ने फैसले का स्वागत किया है। उनका तर्क है कि कोर्ट ने सीएम और उप-राज्यपाल को संविधान सम्मत होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज नहीं देने की बात कह कर सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को आईना दिखाया है। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष ने आगे कहा कि केजरीवाल संविधान को नहीं मानते और सुप्रीम कोर्ट ने अराजक शब्द का इस्तेमाल करके केजरीवाल के गाल पर तमाचा मारा है।

यह उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला है। अब दिल्ली सरकार को फाइलें उप राज्यपाल को नहीं भेजनी होंगी और काम नहीं रुकेगा। हम दिल्ली की जनता की ओर से सुप्रीम कोर्ट का आभार जताते हैं। उपराज्यपाल को कैबिनेट के फैसले को मानना होगा। तबादला और नियुक्ति सरकार ही करेगी। सिसोदिया ने कहा कि पूर्ण राज्य का आंदोलन चलता रहेगा।
मनीष सिसोदिया

केजरीवाल ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती | Historical Decision

केजरीवाल सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी जिसमें उसने कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक अधिकारी हैं। केजरीवाल सरकार का आरोप था कि केंद्र सरकार दिल्ली में संवैधानिक रूप से चुनी गयी सरकार के अधिकारों का हनन करती है। इस वजह से दिल्ली के विकास कार्य प्रभावित होते हैं।

 

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