चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कश्मीर समस्या का जिक्र कर भारत के जख्मों पर एक बार फिर नमक छिड़का है। अमरनाथ यात्रियों की हत्याओं के मामले में खामोश रहकर चीन ने इस बात की परवाह की है कि भारत व पाक के बीच चल रहा टकराव दक्षिणी एशिया के लिए खरतनाक है। दरअसल चीन का उद्देश्य कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर विवादित दिखाना है। चीन भारत के खिलाफ कोई मौका नहीं छोड़ता। एक तरफ पूरा विश्व आतंकवादी साजिशों को बाखूबी समझ रहा है, दूसरी ओर चीन आतंकवादी कार्रवाई पर चुप रहकर भारत के खिलाफ साजिशें रच रहा है।
चीन का निशाना भारत की छवि को खराब कर कश्मीर मुद्दे के हल के लिए तीसरे पक्ष के दखल की गुंजाइश पैदा करना है। बीजिंग यह हत्थकंडे बहुत ही चतुराई से इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन चीन का सरकारी मीडिया स्पष्ट तौर पर भारत के खिलाफ जहर उगलकर अपनी भारत विरोधी विदेश नीति को जाहिर कर रहा है। अमरनाथ यात्रियों पर हमला भारत पर गहरा जख्म है, जिसकी अलगाववादी नेताओं ने भी निंदा की है। निर्दोष यात्रियों की हत्या इंसानियत व धर्मों के खिलाफ है।
भारत ऐसा देश है जो अपने नागरिकों को केवल धार्मिक स्वतंत्रता ही नहीं देता बल्कि उनके विश्वास का भी सम्मान करता है। देश के भीतर व बाहर धार्मिक यात्राओं के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। फिर ऐसे देश में धार्मिक यात्रियों पर हमले बेहद दुखद हैं। ऐसे दौर में जब आतंकवादी निर्दोषों की हत्या कर रहे हों तब चीन का कश्मीर मुद्दे की दुहाई देना उसकी कथनी व करनी पर सवाल खड़े करता है। ऐसा कर चीन कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों को झेल रहा है। हांलाकि संयुक्त राष्ट्र में चीन की कार्रवाईयां पहले ही भारत विरोधी साबित हो चुकी हैं।
मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों के बचाव के लिए चीन समर्थन कर चुका है। आतंकवाद किसी भी देश के हित में नहीं। आतंकवाद को पालने वाले देश खुद ही धोखा खा रहे हैं। चीन आतंकवाद के पौधे को बढ़ने-फूलने में सहयोग देने की बजाय अमन-शांति व खुशहाली का रास्ता चुने। भारत को भी चीन की कुत्सित कार्रवाईयों के प्रति सक्रिय रहने की आवश्यकता है। भारत चीन की कुचालों को नाकाम बनाने के लिए सशक्त विदेश नीति अपनाए।
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