न केवल भारत में, अपितु सम्पूर्ण धरा पर आज के भौतिकतावाद के युग में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है। प्रदूषण में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भू-प्रदूषण आदि अनेक प्रकार के प्रदूषण संलिप्त हैं। इन सभी प्रकार के प्रदूषण को फैलाने में मानव जाति का बड़ा हाथ है।
मानव जहां आज के भागदौड़ के समय में मशीन बनकर रह गया है। उसके जीवन का लक्ष्य केवल और केवल पैसा और भौतिकतावाद तक सीमित रह गया है, वहीं दूसरी ओर उसके द्वारा किये गए कार्य पर्यावरण को कहीं न कही क्षति पहुंचा रहे हैं। यही मानव अपने लाभ के लिए वन काटकर अपने आवास बना रहा है, लकड़ियों का व्यापार कर रहा है और नए-नए उद्योग स्थापित करके कहीं न कहीं पर्यावरण को दूषित कर रहा है।
सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियों की संख्या ने व उनसे निकलने वाले विषैले धुंए ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। बढ़ रहे प्रदूषण के लिए प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर दोषारोपण कर रहा है। अपने द्वारा किये गए कृत्य उसे नजर नहीं आ रहे।
दूसरी ओर अक्सर हम देखते हैं कि कुछ लोग और संस्थाएं पर्यावरण संरक्षण के लिए निरंतर पौधे रोपित कर रहे हैं और उनकी देखभाल भी करते हैं, लेकिन खेद के साथ यह कहना गलत नहीं होगा कि कुछ लोग और संस्थाएं पौधे रोपित करके केवल फोटो खिंचवाकर उन पौधों को भूल जाते हैं। परिणामस्वरूप वे पौधे देखभाल की कमी के कारण मर जाते हैं। इस सबसे छुटकारा पाने के लिए लिए हमें जागरूक होना होगा।
फोटो खिंचवाकर समाचार पत्रों में देने का भाव और अधिक लोगों को जागरूक करने का होना चाहिए। फिर भी ऐसे लोग समाज को कुछ न कुछ तो दे ही रहे हैं। इसके विपरीत उन लोगों का क्या करें, जो लोग फल-फूल चुके पौधों को जड़ से उखाड़ देते हैं।
दूसरी तरफ मानवता भलाई कार्यों के लिए विश्व प्रसिद्ध सामाजिक संस्था डेरा सच्चा सौदा का पौधारोपण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान है। प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन यहां के पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन अवतार दिवस के उपलक्ष्य में यहां के अनुयायी विश्व भर में पौधारोपण करते हैं। इसके अलावा भी समय-समय पर श्रद्धालुगण पौधारोपण ही नहीं करते, बल्कि उनकी सार-संभाल भी करते हैं। पौधारोपण के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा का नाम गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज किया जा चुका है।
इसके अलावा पिछले दिनों हरियाणा ग्रन्थ अकादमी पंचकूला, प्रेरणा संस्था एवं प्रेरणा समिति हरियाणा द्वारा कुरुक्षेत्र के मल्टी आर्ट कल्चर के सभागार में पर्यावरण संरक्षण पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें हरियाणा प्रदेश के कई शहरों से पर्यावरणविद पधारे। उसमें हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के निदेशक डॉ. विजय दत्त शर्मा ने कहा कि यदि हम पर्यावरण मित्र बनना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने जीवन को जितना अधिक हो सके, साधारण तरीके से यापन करना शुरू कर दें।
इसके पीछे के तथ्यों से अवगत कराते हुए उन्होंने आगे कहा कि जो भी प्रसाधन हम अपने शरीर की साज-सज्जा के लिए प्रयुक्त करते हैं, वे कहीं न कहीं पर्यावरण को दूषित करते हैं। जो एयर कंडीशन बिजली से चलता है और उस बिजली के बनने में भी प्रदूषण होता है।
जिस उद्योग से हमारे लिए कपड़ा बनता है, उससे भी प्रदूषण होता है। इतना ही नहीं, हम अपने शरीर को सुन्दर बनाने के लिए जो भी सामग्री प्रयोग में लाते हैं, उनके बनने में भी प्रदूषण बढ़ता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हम अपने बाल काले करने के लिए जो मेहंदी या कलर लगाते हैं, उसके तैयार होने से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। लेकिन हम ये नहीं कहते कि आप वस्तुओं का प्रयोग न करें, बल्कि जितना हो सके जीवन को साधारण ढंग से जिएं।
जितना आपका जीवन सादा होगा, उतने अधिक आप पर्यावरण मित्र होंगे। भाव यह है कि सादा जीवन जी कर, गाड़ियों के स्थान पर साइकिल का प्रयोग करके, अधिक पौधे रोपित कर उनकी संभाल करके हम पर्यावरण के प्रहरी बन सकते हैं।
-डॉ. अशोक कुमार वर्मा इन्सां
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