अरबी भाषा की कुख्यात न्यूज चैनल ‘अलजजीरा’ को लेकर सउदी अरब ने दुनिया को सावधान किया है,सउदी अरब ने कहा है कि अब समय आ गया है कि अरबी न्यूज चैनल ‘अलजजीरा’ के आतंकवादी चेहरे को बेनकाब कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि वह अभिव्यक्ति का माध्यम न होकर आतंकवादियों की सोच और हिंसक उद्देश्य की पूर्ति का एक हथकंडा मात्र है।
इतना ही नहीं, बल्कि सउदी अरब ने कतर के खिलाफ आर्थिक घेराबंदी को समाप्त करने के लिए जो दस सूत्री शर्तें पूरी करने की मांग की है, उसमें अलजजीरा के वित पोषक होने की गलती स्वीकार करने और अलजजीरा को सभी प्रकार की मिल रही सहायताएं बंद करने को कहा है।
अलजजीरा अरबी न्यूज चैनल की धाक कुछ ज्यादा है और अरब दुनिया का वह सबसे ज्यादा देखा जाने वाला न्यूज चैनल है। यूरोप और अमेरिका का मीडिया बहुत पहले से ही अलजजीरा को न्यूज चैनल या फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का माध्यम मानने से इन्कार करता रहा है और अमेरिका व यूरोप के शासन व मीडिया संवर्ग का कहना है कि अलजजीरा किसी भी स्थिति में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षक नहीं है। वह सिर्फ आतंकवादियों के हित पोषक है, जिसकी अंतिम इच्छा इस्लामिक हिंसा का संरक्षण होता है।
जबकि अलजजीरा यूरोप और अमेरिका के इस विचार का खंडन करता रहा है और कहता रहा है कि उसने यूरोप और अमेरिका की मीडिया को चुनौती दी है, इसीलिए उसके खिलाफ एक साजिश के तहत ऐसा दुष्प्रचार होता रहा है। पर अब अरब जगत में भी अलजजीरा को लेकर विरोध का स्वर उठा है और उसके प्रतिबंध लगाने की मांंग हो रही है।
क्या सही में सउदी अरब के आरोप सही हैं? क्या अपनी तानाशाही के खिलाफ उठ रहे बंंवडर को रोकने के लिए अलजजीरा को सउदी अरब ने निशाना बनाया है? क्या यह सही है कि सउदी अरब की वंशवादी तानाशाही के खिलाफ अलजजीरा सक्रिय रहा है? सउदी अरब में ही नहीं, बल्कि अरब के कई देशों में अलजजीरा को लेकर प्रश्न क्यों खडेÞ हो रहे हैं?
सही तो यह है कि अमेरिका और यूरोप में अलजजीरा का प्रसारण अरबी मूल की मुस्लिम आबादी बड़ी सक्रियता और समर्पण के साथ देखती है। अमेरिका और यूरोप के राष्ट्रवादियों का कहना है कि अमेरिका और यूरोप में आईएस की पैठ बढ़ाने में अलजजीरा का प्रसारण मुख्य रूप से जिम्मेदार रहा है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और यूरोप के हजारों मुस्लिम युवक-युवतियां आईएस की ओर से लड़ने के लिए सीरिया और इराक गये हुए हैं, जिन पर अलजजीरा का प्रभाव भी मुख्य रूप से था।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नजर रखने वालों को अलजजीरा जैसे इस्लामिक प्रसारण माध्यमों की सच्चाई जरूर मालूम है। जाहिर तौर पर अलजजीरा जैसे इस्लामिक प्रसारण माध्यम अभिव्यक्ति की स्वतंंत्रता से जुडेÞ हुए नहीं, बल्कि ऐसे संगठन तो इस्लाम की उस सोच से जुडेÞ हुए हैं, जिस सोच को लेकर अलकायदा, आईएस, हिज्जबुल्लाह, हमास जैसे संगठन दुनिया को अपनी हिंसा से मानवता को शर्मसार कर रहे हैं और निर्दोष लोगों की जिंदगियां आतंकवाद व खूनी हिंसा में स्वाहा कर रहे हैं।
अलजजीरा ने कभी अलकायदा सरगना ओसामा-बिन-लादेन को इस्लाम का हीरो माना था। जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला कर तालिबान शासन व्यवस्था को उखाड़ फैंका था और अलकायदा सरगना ओसामा-बिन-लादेन को पाकिस्तान में छिपने के लिए विवश किया था, तब अलजजीरा ने अमेरिका के खिलाफ अभियान छेड़ा था और अलकायदा सरगना ओसामा-बिन-लादेन को हीरो बताया था और स्थापित करने की कोशिश की थी कि सही में अलकायदा जैसे संगठन अमेरिका व यूरोप के उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं, जिसे मुस्लिम जगत से समर्थन की जरूरत है।
मुस्लिम बदरहुड, हमास और हिज्जबुल्लाह जैसे संगठन अरब जगत और मुस्लिम दुनिया में सक्रिय हैं और अपने-आपको इस्लाम का हित-पोषक कहते हैं। मुस्लिम बदरहुड जहां मिस्र और सउदी अरब में पैठ बनाई और मिस्र में सत्ता भी हासिल की थी, वहीं हिज्जबुल्लाह लेबनान और हमास फिलिस्तीन में आतंकवाद की भाषा बोलने का कार्य करते हैं और आतंकवाद को प्रसारित करते हैं।
खासकर हमास इस्राइल के खिलाफ वर्षों से आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ खड़ा रहा है। इस्राइल भी हमास की पूरी संरचना को ध्वस्त करने के लिए अभियान चलाता रहा है। मुस्लिम ब्रदरहुड ने लोकतंत्र के नाम पर हुए आंदोलन में सत्ता तो जरूर पायी थी, फिर उसने मिस्र में तानाशाही कायम करने की पूरी कोशिश की थी। मुस्लिम ब्रदरहुड को कतर और ईरान से इस्लामिक फंडिंग मिलती रही है।
अलजजीरा अपने प्रसारण में यह दिखाता रहा है कि इस्राइल के खिलाफ हमास आजादी की लड़ाई लड़ रहा है और इस्राइल मुस्लिम दुनिया को तबाह करना चाहता है। सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि मिस्र की सैनिक सरकार के खिलाफ भी अलजजीरा विद्रोह कराने जैसा प्रसारण करता रहा है।
अलकायदा की इस्लामिक हिंसक सोच से अलजजीरा का जन्म हुआ था। अब यहां यह सवाल उठता है कि अलकायदा की सोच क्या थी? अलकायदा की सोच सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी सोच थी, उसकी सोच अलजजीरा जैसे मीडिया संगठन को हथकंडा बनाकर अपनी पहुंच दुनिया भर में विकसित करनी थी। अलकायदा अपनी इस सोच में कामयाब हुआ। अलजजीरा की शक्ति बढ़ते ही इस्लामिक आतंकवादियों की शक्ति बढ़ी थी और न केवल अरब जगत की मुस्लिम, बल्कि अमेरिका और यूरोप की मुस्लिम भी अलजजीरा को अपना वैचारिक पोषक मान चुकी थी।
यही कारण था कि अलकायदा अपनी पैठ पूरी दुनिया में बनाने में कामयाब हुआ था। तालिबान शासन की समाप्ति और ओसामा-बिन-लादेन के मारे जाने के बाद अलकायदा बेहद कमजोर हो गया। इसके बाद अलजजीरा ने आईएस को अपना हितपोषक और वित पोषक बना डाला। उल्लेखनीय है कि कतर न केवल आतंकवादी संगठनों को धन मुहैया कराता है, बल्कि वह अलजजीरा को भी धन मुहैया कराता है।
मिस्र और सउदी अरब का मानना है कि अलजजीरा उनके देश में विद्रोह कराना चाहता है और अशांति पैदा करना चाहता मिस्र में मुस्लिम बदरहुड आतंकवाद के रास्ते पर है, वहीं सउदी अरब में भी आतंकवादी संगठन अपनी हिंसा से दुनिया को चिंतित कर रहे हैं। निश्चित तौर पर अलजजीरा जैसे न्यूज संगठन आतंकवाद के हित पोषक हैं,
इनके खिलाफ दुनिया भर में आवाज उठनी चाहिए। अब सउदी अरब ने आवाज उठायी है। सउदी अरब की आवाज अलजजीरा के लिए भारी पड़ने वाली है। जब अरब जगत के प्रमुख देशों में अलजजीरा के प्रसारण पर प्रतिबंध लगेगा, तो फिर अलजजीरा की शक्ति कैसे नहीं कमजोर पड़ेगी। भारत में भी अलजजीरा की संपूर्ण सक्रियता को संज्ञान में लेने की जरूरत है।
-विष्णुगुप्त
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