मात्र 3 साल की उम्र में करने जा रहा माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई
(Hayyansh Kumar Mountaineer)
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दो साल की उम्र से हिमाचल में कर रहा पहाड़ चढ़ने की रिहर्सल
सच कहूँ/संजय मेहरा
गुरुग्राम। तीन साल के बालक हेयांश के हौंसले को देखकर कहा जा सकता है कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। हेयांश अपने हौंसले के दम पर ही वह रिकॉर्ड बनाने जा रहा है, जो इस उम्र में शायद ही कोई सोचता हो। माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक (5000 मीटर की चढ़ाई) करने वाला हेयांश कुमार दुनिया का सबसे छोटा (कम उम्र) का पर्वतारोही बनेगा।
गुरुग्राम के गांव बाबड़ा बाकीपुर में मध्यमवर्गीय किसान परिवार में जन्मा हेयांश माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर चढ़ने को लेकर कड़ा परिश्रम कर चुका है। जिस उम्र में बालक गांव की गलियों में, खेतों में मिट्टी में खेलते हैं, उस उम्र में हेयांश पहाड़ों पर चढ़कर रिहर्सल करके स्ट्रांग बना है। तीन साल का हेयांश कुमार दो साल की उम्र से हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर पर्वतारोहण का अभ्यास कर चुका है।
नहीं जानता क्या होता है जंक फूड
हेयांश के पिता मंजीत कुमार बताते हैं कि जब वह माँ के गर्भ में था, तभी से उन्होंने तय किया था कि बेटा पैदा हो या बेटी, उसे बहुत ही स्ट्रांग बनाएंगे। उसी हिसाब से उसकी माँ को खान-पान दिया गया। जब हेयांश पैदा हुआ तो उसे भी खाने में विशेष चीजें दी गई। जंक फूड आदि से उसे दूर रखा गया। अभी तक उसे जंक फूूड की कोई जानकारी नहीं है। बचपन से ही उसे सामान्य और ठंडे पानी में नहाने की आदत है। गर्म पानी को कभी छुआ ही नहीं। उसे सदैव नेचर से जोड़कर रखा।
नेपाल में सभी औपचारिकताएं हो चुकी पूरी
हेयांश को लेकर काठमांडू (नेपाल) से सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी है। उसके कोच पर्वतारोही नरेन्द्र सिंह हैं। नरेंद्र सिंह ने खुद पांच महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी फतह ही है। हेयांश का माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक जाना न केवल गुरुग्राम, बल्कि पूरे हरियाणा प्रदेश और देश के लिए गौरव की बात होगी। बता दें कि अब तक एक विदेशी बच्चा तीन साल 11 माह का अपनी माँ की गोद में बेस कैंप तक गया है। उसके अलावा चार साल कुछ माह के एक बच्चे ने पैदल बेस कैंव तक चढ़ाई की है। भारत के मध्यप्रदेश के शहर गवालियर से पांच साल 10 माह की उम्र में कंदर्प शर्मा व 8 साल 11 महीने की उम्र में उसकी बहन रित्विका बेस कैंप तक पहुंचे हैं। हेयांश अगर माउंट एवरेस्ट के बेस कैंव तक जाने में सफल होता है तो वह सबसे कम उम्र का पैदल ही बेस कैंप जाने वाला बच्चा होगा।
बोधराज सीकरी व मैनकाइंड फार्मा ने बढ़ाया कदम
हेयांश को इस कीर्तिमान में सहायता देने के लिए सीएसआर ट्रस्ट हरियाणा के उपाध्यक्ष बोधराज सीकरी और मैनकाइंड फार्मा लिमिटेड कंपनी ने कदम बढ़ाया है। बोधराज सीकरी कहते हैं कि प्रतिभा को कभी मरने नहीं देना चाहिए। प्रतिभा चाहे तीन साल के बालक में हो या 100 साल के बुजुर्ग में, उसको अगर हम सहारा देते हैं तो वह देश-दुनिया में नाम कमा सकता है। हेयांश के हौंसले देखकर उन्हें उम्मीद है कि वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने के सपने को हकीकत में बदल देगा।
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