भिवानी सीआईडी विभाग ने सफाई और हरियाली में पेश की अनूठी मिसाल
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सभी कर्मचारी मिलकर हर माह अपने वेतन से पौधारोपण व स्वच्छता पर करते हैं खर्च
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हर विभाग के हैड को यहां आकर लेनी चाहिए सीख : एडीसी
भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। अक्सर सरकारी दफ्तरों को लेकर धूल फांकती फाईलें और आलसी कर्मचारियों के चेहरों की तस्वीर आम आदमी के जह्न में बैठ चुकी है। वहीं इसके इतर एक अलग तस्वीर भी है, जहां काम करने वाले कर्मचारियों को फाईल के साथ-साथ पौधे की जिम्मेदारी भी मिलती है। न सिर्फ इतना बल्कि तबादला होने पर दूसरा कर्मचारी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाता है। हम बात कर रहे हैं भिवानी गुप्तचर विभाग व इसके कार्यालय की। सफाई व हरियाली को लेकर ये कार्यालय प्रदेश के सभी विभागों के लिए प्रेरणा बन गया है। ये सब संभव हुआ सीआईडी इंस्पेक्टर आजाद ढांडा व उनके कर्मियों की मेहनत और हर माह अपनी जेब से किए गए खर्च की बदौलत।
एडीसी ने माना मिसाल: सीआईडी कार्यालय में हरियाली व साफ-सफाई को मिशाल मानते हुए जिला प्रशासन अब दूसरे विभागों के लिए प्रेरणा के तौर पर पेश करेगा। इसकी शुरूआत भिवानी के अतिरिक्त उपायुक्त राहुल नरवाल ने पौधारोपण की शुरूआत करके की है। बता दें कि जिला प्रशासन ने इस मानसून सत्र में जिले में छह लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि ये सभी कर्मचारी बधाई के पात्र हैं और दूसरे विभागों के लिए ये विभाग सफाई व हरियाली के मामले में मिसाल बना है। उन्होंने कहा कि अब हर विभाग का मुखिया यहां आकर अपने-अपने कार्यालयों में सफाई व हरियाली की सीख लेगा। उन्होंने कहा कि पंचायत से लेकर हर विभाग को जागरूक किया जाएगा और इस साल जिले में हरियाली को लेकर अलग ही बदलाव देखने को मिलेगा।
फाइल के साथ पौधे का भी देते हैं चार्ज : ढांडा
सीआईडी इंस्पेक्टर आजाद ढांडा ने बताया कि हम उतने ही पौधे लगाते हैं, जितने की देखभाल हो सके। उन्होंने बताया कि हर साल हर कर्मी एक पौधा जरूर लगाता है और तीन साल तक देखभाल करता है। उन्होंने बताया कि तबादला होने पर एक कर्मी दूसरे कर्मी को फाईल के साथ पौधों की देखभाल का भी चार्ज देता है। आजाद ढांडा ने कहा कि हर विभाग का हर कर्मचारी हरियाली व सफाई को लेकर सतर्क रहे और वन विभाग के प्रति सरकार सख्ती दिखाए तो हर पौधा पेड़ बन सकता है।
मेहनत का दिखा नतीजा: कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। खासकर अगर उसके लिए जेब से पैसे खर्च किए जाए तो मेहनत रंग जरूरत लाती है। इसी का नतीजा है कि सीआईडी कर्मी दूसरों के लिए नजीर पेश कर मिशाल बन गए हैं।
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