पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सेवा और सुमिरन इन्सान को वह तमाम खुशियां दिला देते हैं, जिसकी इन्सान ने कभी कल्पना भी नहीं की होती। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि अकसर यह कहा जाता है कि जो भाग्य में है वो मिलता है, जो मिलना है वह मालिक ने लिख दिया है। इसका मतलब यह नहीं होता कि आप हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाओ।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि सभी धर्मों में लिखा है कि इन्सान कर्म योगी व ज्ञान योगी है। इसलिए ज्ञानयोगी बनो और उसके अनुसार कर्म योगी भी बने, तो इन्सान अपनी तकदीर को बदल सकता है। ये खुद मुखत्यार है, सर्वोत्तम जून है। पशु, पक्षी, परिंदे जैसा कर्मों में लिखा है वे वैसा भोगते हैं। पर मनुष्य को मालिक ने खुदमुखत्यारी दी है, शक्ति दी है, जिससे यह परमपिता परमात्मा का नाम लेकर अपनी तकदीरों को बदल सकता है, अपने अंदर आत्मशक्ति पैदा करके बुलंदियों को छू सकता है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि सभी धर्मों में लिखा है कि जो अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम जपेगा, वो ही उसकी कृपा दृष्टि को पाएगा, उसके दर्शन करेगा, जो नहीं जपेगा वह अपने कर्मों का फल भोगता रहेगा। आप जी फरमाते हैं कि अगर भगवान से मांगना है तो अच्छी धरती, अच्छा पानी, तंदरुस्ती, अच्छी संतान मांगो, भगवान से मांगना हो तो भगवान को मांगो।
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