बच्चों और किशोरियों में कुपोषण चिंता का विषय : कमलेश ढांडा
सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। जिस हरियाणा की पहचान दूध-दही के खाने से होती है। यहां भी 29.4 प्रतिशत बच्चे औसत से कम वजनी पाए गए हैं। प्रदेश में 34 प्रतिशत बच्चों की ऊंचाई उम्र के अनुरूप नहीं बढ़ रही। यहां 21.2 प्रतिशत बच्चे अति कमजोर पाए गए हैं।
हरियाणा की महिला एवं बाल विकास मंत्री कमलेश ढांडा ने भी इस बात को मानते हुए कहा कि यह सौ फीसदी सच है कि हमारे यहां अब कद उस हिसाब से नहीं बढ़ पा रहा। इसलिए हरियाणा में कुपोषण का शिकार एक बड़ा वर्ग की चिंता का बड़ा कारण है। इस वर्ग में 0 से 6 वर्ष आयु के बच्चे, किशोरियां, गर्भवती महिलाएं और बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं की संख्या बहुत अधिक है। सरकार का दावा है कि तीन साल पहले राष्ट्रीय पोषण मिशन के माध्यम से इस दिशा में काम शुरू किया गया तो इसमें समाज की भागीदारी को बढ़ाते हुए बच्चों में पोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन के अनुपात को कम करने का लक्ष्य रखा गया। किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं के पोषण स्तर में सुधार करते हुए कुपोषण को खत्म करने पर जोर दिया गया।
लोगों को पौष्टिक खाना खाने को करें प्रेरित
हरियाणा में पोषण से संबंधित इन मुद्दों पर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कमलेश ढांडा ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा वर्करों तथा अन्य महिलाओं का आह्वान किया कि वे लोगों को पौष्टिक खाना खाने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 4200 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषण वाटिकाएं स्थापित की जा चुकी हैं।
अपने घरों में उगाएं फल-सब्जियां
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम सब अपने घर, खेत में फलदार पौधे, हरी सब्जी व औषधीय पौधे लगाएं व आस-पास के नागरिकों को भी ऐसा करने को प्रेरित करें, ताकि पोषक आहार हमारी दिनचर्या का हिस्सा बने और सभी स्वस्थ रहते हुए देश और समाज की प्रगति में योगदान दे सकें। इन बच्चों में कुपोषण का सबसे बड़ा कारण अपर्याप्त आहार, पीने के पानी गुणवत्ता में कमी तथा टीकाकरण में लापरवाही है।
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