Heatwave Alert: हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। बेशक इस वर्ष अल-नीनो का प्रभाव खत्म होने जा रहा हो, लेकिन महासागरों की सतह का तापमान अधिक गर्म होने की वजह से इसका असर पूरी दुनिया में दिखाई देगा। दुनिया भर में सामान्य से अधिक तापमान रहेगा, जिसकी वजह से इस बार गर्मी भारत सहित सभी गर्म देशों को खूब सताएगी। इसकी संभावना विश्व मौसम विभाग ने अपने ताजा मौसम अपडेट में जताई है। विश्व मौसम संगठन ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा अल-नीनो का प्रभाव मई माह के अंत तक जारी रह सकता है।
भारत सहित दुनियाभर में सामान्य से अधिक रहेगा तापमान
इस दौरान दुनिया के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान रहने की उम्मीद है। डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि महासागरों में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है। यही वजह है कि आगामी महीने में वैश्विक तापमान में सामान्य से ज्यादा बढ़ोतरी होगी। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के मुताबिक वर्ष 2023-24 में अल-नीनो का मौजूदा दौर अब तक के पांच सबसे मजबूत दौरों में से एक था। यह ला-नीना के सबसे लंबे और सबसे मजबूत चरणों के बाद आया था, जो 2020 और 2022 के बीच तीन वर्षों तक बढ़ता रहा।
अल-नीनो के साथ ग्रीन हाउस उत्सर्जन बने वजह | Heatwave Alert
यह अल-नीनो का प्रभाव ही था कि जून 2023 के बाद विश्व भर में हर महीने अधिकतम तापमान का एक रिकॉर्ड बना। 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रिकॉर्ड किया जा चुका है। डब्लूएमओ के महासचिव सेलेस्टे सौलो ने कहा कि अल-नीनो की वजह से ही तापमान में वृद्धि रही। लेकिन गर्मी को रोकने वाली ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी इसके लिए जिम्मेदार है, जिसका दोषी मनुष्य खुद है। यहां बता दें कि भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में महासागर की सतह का तापमान अल-नीनो के प्रभाव को दर्शाता है। परन्तु दुनिया के अन्य हिस्सों में समुद्र की सतह का तापमान पिछले 11 महीनों से लगातार और असामान्य रूप से अधिक बना हुआ है। विश्व मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इस बार जनवरी 2024 में भी समुद्र की स्थिति का तापमान अन्य वर्षों की अपेक्षा अधिक दर्ज किया गया।
क्या होता है अल नीनो? | Heatwave Alert
अल नीनो और ला नीना पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान के दो चरण हैं। जिसमें पानी असामान्य रूप से गर्म या ठंडा हो जाता है। ऐसा होने से दुनियाभर में वैश्विक मौसम प्रभावित हो जाता हैं। अल-नीनो के प्रभाव से भारत में वर्षा कम या अनियमित होती है। ला-नीना के दौरान इसके विपरीत प्रभाव प्रभाव पड़ता है।
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