पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इस गर्मी के मौसम में पानी ज्यादा लेना चाहिए। एक्सरसाईज करने वाले बच्चों को भी पानी ज्यादा लेते रहना चाहिए। और जब भी वो एक्सरसाईज अकेले कर रहे हों तो पानी की बोतल साथ में जरूर होनी चाहिए। खान-पान हल्का रखो टाईम पर लो, इसमें तली हुई चीजें जितनी अवॉईड (परहेज) करोगे उतने ही खुश रहोगे। जितनी ज्यादा खाओगे उतने ही दु:खी रहोगे। पानी बूक लगाकर (हाथ की अंजुली बनाकर) पियो। आज सार्इंस मान भी गई हैं कि पानी मुंह पर हाथ लगाकर पीने से प्यास बहुत जल्दी बुझती है क्योंकि हमारे होठों की ग्रंथियां है जो प्यास फील करती है जब ये भीग जाती हैं तो प्यास जल्दी मिटती है।
डाईट लें, साथ में चहलकदमी भी जरूर करें
आप जी फरमाते हैं कि डाईट लेनी है तो सही टाईम पर लो। और उसके साथ चहलकदमी जरूर करो। इस मौसम में कॉटन के कपड़े, हल्के रंग के कपडे ज्यादा अच्छे होते हैं। और छोटे बच्चों को इस मौसम में धूप में लेकर न जाओ। और लेकर जाना भी पड़े तो उसे मां का दूध और पानी वगैरह पिलाते रहिए और जितना हो सके हल्के कपड़े से शरीर को ढांप कर रखें।
पशु-पक्षियों की सम्भाल करना न भूलें
पूज्य गुरु जी फरमाते है कि इस भीषण गर्मी में बहुत जरूरी है आप जीवों की भी बढ़Þ चढ़ कर मदद करें। हम जैसे कहा करते हैं, अपने घर के ऊपर या कोई छायादार पेड़ हो उसके नीचे पानी का एक बर्तन जरूर रखो। पशु-पक्षी उसको पिएंगे उनके भी अंदर आत्मा है वो आपको दुआएं देगी। इन्सानों के लिए पानी का इंतजामात कीजिए। अगर आपको लगता है कि हमारे एरिया में तो पानी बहुत है तो आप कोई एरिया ऐसा ढंूढ़िये जहां पानी की कमी हो, या राहगीर आते-जाते हों। वहां जाईए और पानी का कोई न कोई इंतजाम जैसे प्याऊ, कुछ मटके आदि रख दीजिए। यकीनन ये बहुत पुण्य का काम है। गांवों के पंच या सरपंच अपने-अपने गांव में घूमने वाले पशुओं के लिए कोई एक या डेढ़ फुट गहरा पानी के टैंक टाईप बना दीजिए जो खुली हो ताकि घूमने वाले पशु वहां से पानी पी सकें।
सब्जियों को गुनगुने नमक वाले पानी में धोना जरूरी
पूज्य गुरुजी ने फरमाते हैं कि हमारा इण्डियन कल्चर वर्ल्ड का नं वन कल्चर है। यहां खाने की सलाह सूरज रहते दी जाती थी। आज खान-पान बहुत जहरीला हो गया है उसे साफ करना बहुत जरूरी है जब भी आप सब्जियां बनाते हैं उनको गुनगुने नमक वाले पानी में धोया करो, इससे उनमें से हानिकारक कैमिकल काफी हद तक निकल जाएंगे। सूरज रहते खाना खाओ। दूध उबाल कर रखें। सोने से पहले दूध पीना फायदेमंद रहता है। आप जल्दी सोओ और जल्दी उठो तो बहुत सारे रोग ऐसे ही भाग जाएंगे।
तरबूज व खरबूजा खाना अच्छा
आप जी फरमाते हैं कि इस मौसम में तरबूज व खरबूजा खाना अच्छा है। पर उनके ऊपर से पानी न लें। घरों में जो लस्सी होती है वो बड़ी फायदेमंद होती है। खासकर वो जो दूध बिलौने के बाद छाछ होती है ठण्डी कर के पियो तो कहना ही क्या? एकदम ठंडे से गरम में न आओ और गरम से ठण्डें में न जाओ। लू चलती है और जाना ही पड़ता है तो गीला कपड़ा रखो उसे लपेट कर रखो।
खाना खाने के बाद लेटना व बैठना गलत, चलना चाहिए
पूज्य गुरू जी फरमाते हैं कि उम्र का कोई भी पड़ाव है, आप जवान हैं, अधेड़ हैं या बुजुर्ग अवस्था में प्रवेश कर रहे हैं। चाहे कोई भी पड़ाव है, खाना खा कर कभी लेटना या बैठना नहीं चाहिए। खाना खाने के बाद चलना चाहिए, यह पक्का असूल बना लो। सुबह का खाना राजा की तरह, दोपहर का खाना रानी की तरह और रात का खाना रंक (भिखारी) की तरह खाओ। मतलब सुबह पेटभर कर खाना चाहिए, दोपहर में हलका खाना खाना चाहिए और रात को बहुत ही कम खाना चाहिए। एक्सरसाईज करते रहना चाहिए। बुजुर्ग अवस्था में चहल कदमी करो, दौड़ लगानी चाहिए। सुबह-शाम घंटा-घंटा सुमिरन करो फिर तो बारे-न्यारे हैं।
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