Heart to Heart with MSG Part 11 : पूज्य गुरु जी ने दिए गुस्से पर काबू पाने के अद्भुत टिप्स
- ‘स्वस्थ देखें, स्वस्थ खाएं और राम का नाम गाएं’
बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने हार्ट टू हार्ट विद एमएसजी पार्ट-11 में आमजन को गुस्से पर काबू पाने, आत्मबल को बढ़ाने के अद्भुत टिप्स दिये, जिन्हें अपनाकर मनुष्य शांत और सुखमय जीवन जी सकता है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सबको बहुत-बहुत आशीर्वाद। बहुत से लोगों ने हमसे पूछा कि गुरु जी गुस्सा कैसे कंट्रोल करें? बात-बात पर गुस्सा आ जाता है, और गुस्सा आता क्यों है? वाकयी ये बात आज आम हो चली है। पहले कहा करते थे कि गुस्सा नाक पर रहता है, लेकिन आजकल तो नाक से भी नीचे आ गया है, सीधा होठों पर रहता है।
कहने का मतलब पता नहीं कब, कौन-सा आदमी गुस्से होने लग जाए? किस बात पर एक-दूसरे से लड़ना शुरू कर दे? गुस्से का सबसे बड़ा कारण है आत्मबल की कमी। इन्सान के अंदर जब आत्मबल कम हो जाता है तो इन्सान को गुस्सा आना शुरू हो जाता है। ये बहुत जरूरी है कि इन्सान अपने आत्मबल को बढ़ाए। आत्मबल बढ़ेगा, सहने की शक्ति आएगी तो बात-बात पर गुस्सा आना बंद हो जाएगा। और भी बहुत से कारण हैं, खान-पान, देखना, रहन-सहन, संग-सोहब्बत ये सारे असल डालते हैं इन्सान पर, गुस्से का कारण बनते हैं। इसलिए, इन सब पर ध्यान देना जरूरी है।
राम नाम से आत्मबल को बढ़ाइये
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सबसे पहले आत्मबल को बढ़ाइये। आत्मबल बढ़ता है ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब के नाम से। किसी भी धर्म में रहिये। धर्म बदलने से आत्मबल में कोई फर्क पड़ने वाला नहीं, पर धर्म को मानना जरूरी है। हमारे जितने भी धर्म हैं, सही कह रहे हैं, सही कह रहे थे और सही कहते रहेंगे। लेकिन, न मानने के कारण आदमी उनका वो फायदा नहीं उठा पाता, जो उठाना चाहिए। धर्मों में लिखा है कि आत्मबल बढ़ाने के लिए जरूरी है राम का नाम, परमात्मा का नाम।
आप पैदल जा रहे हैं, जैसे हम घूम रहे हैं तो चलते-चलते परम पिता परमात्मा का नाम लेते रहिये, मालिक को याद करते रहिये। मालिक का नाम लेने से आपके अंदर विल पावर, आत्मबल बढ़ेगा और आत्मबल बढ़ने से सहने की शक्ति आ जाती है। कोई आपको कुछ भी कह दे, एक दम से आपका पारा हाई नहीं होगा। आप सोचेंगे, समझेंगे, शांत रहेंगे तो गुस्से पर कंट्रोल होगा। यानि सबसे बड़ा काम आने वाला जो साधन है, वो है राम का नाम, जो गुस्से को कंट्रोल कर सकता है।
कभी गुस्सा आए तो शीशे को देखना
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि एक और बात, जब गुस्सा आ जाता है तो आदमी, आदमी नहीं रहता। एक अलग ही उसका चेहरा हो जाता है। नथूने फूल जाते हैं, साँस तेज हो जाती है। कभी गुस्सा आया हो तो शीशा देखना, शायद गुस्सा ना करें आगे से आप। क्योंकि चेहरा बिगड़ जाता है, आँखें फैल जाती हैं, नथूने फैल जाते हैं, आपका चेहरा लालिमा लेकर और लाल हो जाता है और अगर थोड़ा सा सांवला रंग है तो और काला हो जाता है। सो कहने का मतलब, गुस्सा जब आदमी को आता है तो कहीं का नहीं छोड़ता।
उत्तेजित करने वाले गेमों से पड़ रहा बुरा असर
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कई बार गुस्से में आकर लोग अपनों का घात कर बैठते हैं। आप सुनते होंगे, पढ़ते होंगे, बहुत जगहों पर कि गुस्से में आकर बेटे ने बाप को, बेटे ने माँ को मारा, पीटा या ऐसी चीजें देखने में आती हैं, तो गुस्सा कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। दूसरी बात एक नई चीज हमने देखी कि आजकल बच्चे गेम (मोबाइल गेम) खेल रहे हैं, उन गेमों में बड़ी उत्तेजना है, कि उसमें वहां कोई लड़ते हैं, झगड़ते हैं या एक दूसरे को मारते हैं, गन लेकर चलते हैं, ऐसा कुछ सुनने में आया और देखा भी हमने छोटे बच्चों को करते हुए कि हमें तो ये चाहिए, हम ऐसा कर देंगे, वो कर देंगे। तो यानि स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया है।
खान-पान में बढ़ रहा जहर
पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि खान-पान में बदलाव है। खाने में जहर बहुत हो गया है। आप कहीं देख लीजिये, खाद डाली जा रही है, स्प्रे की जा रही है। आमतौर पर हम लोग कहा करते थे जब खेती करते थे और आजकल भी कर रहे हैं, लेकिन जब बाहर खेती किया करते थे तो कहते थे कि भाई सब्जी में अगर स्प्रे किया है तो कम से कम सात दिन बाद तोड़ना। लेकिन आज किसको ये ध्यान है, पैसा चाहिए। अभी एक-दो दिन हुए नहीं होते स्प्रे किए हुए और सब्जी तोड़कर आपके पास पहुंच जाती है। उससे क्या होता है कि जो जहर है, जहर की मात्रा है, मान लो दो दिन बाद सब्जी तोड़ ली तो लगभग 70 से 80 पर्सेंट जहर उसमें रह जाता है। जो आपके पेट में जाता है। एकदम से असर नहीं करेगा, बुजुर्गों के तो एकदम से करता है, जवान उम्र है, आप अभी अधेड़ अवस्था में हैं तो धीरे-धीरे असर करता है वो जहर। लेकिन आपको गुस्सा आने लग जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। बहुत सी बीमारियां घर करने लग जाती हैं। तो आज खान-पान में भी जहर होता जा रहा है। हवा में जहर होता जा रहा है।
बच्चों के लिए देश का नाम चमकाने वाले गेम बनाए जाएं
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि देखने में भी जहर होता जा रहा है। जैसे हमने आपको बताया कि बच्चे ऐसे-ऐसे गेम देखते हैं, उनमें उत्तेजना आती है। कसरत करना सिखाना चाहिए। अगर कोई गेम ही बनाना है तो क्या न कुश्ती के दाव पेंच का गेम बना दीजिये, कि भई आप एक पहलवान दिख रहे हैं और दूसरा सामने वाला कंप्यूटराइज्ड पहलवान है, एक आप पहलवान हैं तो कुश्ती कीजिये, कि इतने मिनट में चित करेंगे तो आप अगले नेक्सट स्टेज पर जाओगे, फिर नेक्सट स्टेज पर जाओगे। हमारे देश को पहलवान मिलेंगे। ऐसे ही मुक्केबाजी का गेम हो सकता है।
इसी तरह बहुत सारे गेम हैं, जो बनाए जा सकते हैं, उनको बनाया जाना चाहिये। हमें ये लगा कि ऐसा होना चाहिए, जिससे कि बच्चे स्वस्थ सीख सकेंगे और स्वस्थ बन सकें। तो उससे गुस्सा नहीं आएगा बल्कि एक कंपीटिशन पैदा हो जाएगा। कन्वर्ट हो जाएगा गुस्सा कंपीटिशन में। बच्चे बजाय उत्तेजना के या बजाय मारामारी के सीखेंगे कि हाँ, हमने इस गेम में अगर एक पहलवान को हराया तो अगली स्टेज आएगी, फिर उसको हराया। तो इसी तरह बहुत से गेम बनाए जा सकते हैं। हमारा देश, जो हमारे देश के राजा भी चाहते हैं, हम सब लोग कब से चाहते हैं कि क्यों न कुछ ऐसा कर दिया जाए, जिससे हमारा देश में मेडलों के ढेर लग जाएं। हम इतने करोड़ लोग हैं और जब मेडल आते हैं तो हमें लगता है कि हमारे हिस्से उस मैडल का एक छोटा-सा कण आता होगा। और कोई कमी नहीं है, कमी सोच बदलने की है।
अब तैराकी का मान लीजिये, आप तैराकी का गेम बना दीजिये, कि भई ये तैराकी में आप इतनी देर में दस मीटर पार कर जाते हैं तो आप आगे फिर ये इस स्टेज में पहुंच जाएंगे, आगे इस स्टेज में पहुंच जाएंगे। आपको गोल्ड मिलेगा, सिल्वर मिलेगा तो बच्चे उन्हीं चीजों में लग जाएंगे। तो ये हमारी रिक्वेस्ट है, जो भी ऐसे कर सकते हैं, क्यों न कुछ ऐसा किया जाए, जिससे देश का भविष्य भी बदल जाए और देश का भविष्य सुनहरा हो जाए। बच्चों के अंदर से गुस्सा, नफरत की बजाय एक कंपीटिशन की भावना आ जाए, वो गेम की तरफ लग जाएं।
आर्गेनिक खेती को अपनाया जाए
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि यह बहुत ही जरूरी है आज के समय के अनुसार कि आप अपने आत्मबल को बढ़ाइये, खान-पान में ध्यान दीजिये, खान-पान शुद्ध होना चाहिए, यहां तक संभव हो आर्गेनिक खेती को अपनाया जाए। माना कि पहले कुछ समय में आर्गेनिक खेती में फायदा थोड़ा सा कम होता है, फसल थोड़ी कम होती है, लेकिन धीरे-धीरे वो फसल बढ़ती चली जाती है, उससे खाने वाला भी स्वस्थ, आप जिसने बोई है फसल उसको भी पैसा कई गुना ज्यादा मिलता है, क्योंकि आर्गेनिक है। तो यानि बिना खाद, स्प्रे के, तो ये बहुत जरूरी है कि स्वस्थ देखें, स्वस्थ खाएं और राम का नाम गाएं। ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब का नाम आपकी आत्मा को बल देगा, जिसके द्वारा आप विचारों पर काबू पा सकेंगे और विचारों पर काबू पा लिया तो गुस्से को कंट्रोल कर पाएंगे। ये बहुत जरूरी है।
गुस्से में एक दम से ना लें एक्शन
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मान लीजिये कि आपको एक बार गुस्सा आ गया दूसरे पर तो एकदम से कोई एक्शन ना लीजिये। थोड़ा समय दीजिये अपने आपको। आपके पास आकर किसी ने चुगली कर दी कि फलां आदमी आपके बारे में ये कहता था, वो कहता था, फलां कहता था। आप एकदम भड़क जाते हैं और उसी समय एक्शन के लिए भाग लेते हैं। नहीं, ऐसा मत कीजिये। हो सकता है वो चुगली करने वाला आपको भड़काने आया हो।
हो सकता है वो आपको नुक्सान करने आया हो। तो अपने आप को वक्त दीजिये, समय दीजिये और फिर सोचिये कि भई सच क्या है? दूसरी तरफ की भी बात सुनिये। एक साइडिड सुनकर कभी कोई फैसला नहीं करना चाहिये। जब आपको एक दिन हो जाएगा तो आपको गुस्सा वैसे ही कम हो जाएगा। एक दिन गुजर गया कि मैं कल को बात करूंगा तो यकीन मानिये, ये जरूरी है।
घर में एक कमरे पर महाभारत लिखवा दीजिये
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि घर में अगर झगड़ा होता है। पहले भी हम कई बार हम कहा करते थे कि अगर पति-पत्नी में कभी झगड़ा हो जाता है तो आप बच्चों के सामने लड़ना शुरू कर देते हैं। तो बच्चे तो वहीं सीखेंगे ना, जो आप सीखा रहे हैं उनको। तो वो भी झगड़ने के लिए तैयार रहेंगे। तो हम कहा करते थे कि आप घर के कमरे के ऊपर महाभारत लिखवा लीजिये, जब झगड़ा करना हो, आपकी नियत बने कि अब झगड़े बिना रहा नहीं जाता तो इशारा कीजिये या बोलकर कहें कि चलो महाभारत, इतना कहने की देर है, हमें यकीन है कि आपका गुस्सा, दोनों में से एक का तो जरूर उड़ेगा। क्यों, सबके सामने जब चलो महाभारत, तो यूं लगेगा कि अब युद्ध लड़ने जा रहे हैं। तो यकीनन, लोगों ने हमें बताया भी जब हमने बताया था, कि गुरु जी हमने महाभारत लिख दिया और जैसे ही गुस्सा आया तो दोनों ने कहा कि चलो महाभारत तो दूसरे की हँसी निकल गई, काम खत्म।
खुलेंगे तरक्की के रास्ते
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि तो कुछ ना कुछ नुस्खे अपना कर देखिये, जरूर फायदा होगा। आत्मबल को बढ़ाइये, खान-पान को सुधारिये तो गुस्से पर कंट्रोल होगा। और गुस्से पर कंट्रोल जो कर लेता है तो वो समझ लीजिये बहुत सुखी रहता है, शांतमय जीवन व्यतीत करता है और तरक्की के रास्ते उसके लिए खुल जाया करते हैं। इसलिए गुस्से की जगह आपस में बेग़र्ज, नि:स्वार्थ भावना से प्रेम किया करें। यकीनन आप खुशियां हासिल करेंगे, यकीनन तरक्की के रास्ते आपके खुलते चले जाएंगे।
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