पुलवामा अटैक के दर्द को बयां करती कविता –
“पुलवामा अटैक”
क्या पुलवामा अटैक भूल गए तुम, ये वैलेंटाइन डे चिल्ला रहे हो!
वो 14 फरवरी का दिन ही तो था, जिसे रोमांस का दिन बतला रहे हो!!
सपने कितने मन मे संजोए हुए वो, वीर देश के लिए दे गए कुर्बानी..!
अंतर्मन मेरा रो उठता है, मैं कैसे लिखूं उन वीरों की बलिदानी..!!
फटा कलेजा उनके माँ-बाप का, बहन भी सिर पीटकर रोई थी!
सर से साया उठा बच्चों के, उनकी पत्नी बेहोशी में सोई थी!!
चवालीस लाशें जली थी एक दिन, मचा देश में कैसा कोहराम था!
हर किसी का सीना ऐसे जला, जल रहा यहां जैसे श्मशान था!!
युद्ध सीमा पर हो या अंदर हो, हर किसी की रक्षा फौजी करें!
खुद की इनको परवाह नही, ये तो जान हथेली पर लिए फिरें!!
उठा फेंको इन झूठे फूलों को, तुम उन गुलाबों को याद करो!
जगाकर अपने सीने में देशभक्ति, भारत माँ को आबाद करो!!
उठाकर कलम लिख दूँ क्या,उन शहीदों के खून की स्याही से..!
फौजी भी अगर लगे डे मनाने, कौन रोकेगा देश को तबाही से!!
सुषमा मलिक “अदब”
रोहतक (हरियाणा)
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