अब अपने ही लूट रहे Youth
कोई वक्त था जब अहमद शाह अब्दाली और नादिरशाह की सेनाओं ने देश में लूटपाट करने के मकसद से हमला किया था, उस वक्त आम ग्रामीण भी अपनी पूंजी व देश बचाने के लिए हमलावार सिपाहियों के साथ भिड़ जाते थे। विदेशी आक्रमण का सामना करने के लिए लोग घरों में हथियार रखते थे लेकिन आज आजाद देश में अपने ही देश को लूट रहे हैं। दरअसल देश का ढांचा ही ऐसा बन गया है कि नशा, बेरोजगारी और कुछ अन्य कारणों के चलते युवा (Youth) चोरी, लूटपाट व हत्याएं करने के रास्ते अपना रहे हैं। उत्तरी भारत इस वक्त डकैतियों, झपटमारों, एटीएम तोड़ने की घटनाओं के कारण चर्चा में है।
गत दिवस पटियाला पुलिस ने बैंकों की 34 एटीएम मशीनें तोड़ने व लूटपाट की वारदातों को अंजाम देने के आरोप में एक गिरोह को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मामले को सुलझाने में सफलता प्राप्त की है और गिरोह का पर्दाफाश करने वाले अधिकारियों को लाखों रुपये के पुरुस्कार व पदोन्नित दी है। पुलिस ने अपनी ड्यूटी को निभाया है लेकिन सरकार और समाज की जिम्मेदारी अभी भी अधूरी है। ये युवा अपराध की दुनिया में क्यों गए? और इन्हें कैसे रोका जा सकता है? इस बारे में कहीं भी कोई चर्चा नहीं हो रही।
अपराधों में से करीब 44 प्रतिशत युवा हैं जो 30 वर्ष से कम आयु के हैं Youth
एक अनुमान है कि भारत में हो रहे अपराधों में से करीब 44 प्रतिशत युवा हैं जो 30 वर्ष से कम आयु के हैं। सवाल यह है कि क्या इन युवाओं की भावी पीढ़ी अपराधियों में शामिल होने से बच सकेगी? भले ही कानून की सख्ती अपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है लेकिन ‘चोर नहीं चोरी की आदत को मारा जाना होगा’। रोजगार की कमी के कारण गुमराह हुए युवा, अपराधी बन रहे हैं। आज न्यायिक प्रक्रिया में जटिलता एवं शिथिलता के चलते बड़े से बड़े अपराध में भी आरोपी किसी न किसी कानूनी प्रक्रिया के तहत बच निकलते हैं और दोबारा अपराध करने लगते हैं। क्या उस व्यवस्था को भी सुधारने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए, जो सामान्य परिवारों के युवाओं को भी अपराधों की तरफ धकेलती है।
नेताओं के साथ अपराधियों की मित्रता कई बार उजागर हुई है जो युवाओं को यह भरोसा देती है कि मुकदमा होने पर उनके राजनीतिक आका उन्हें सजा से बचा लेंगे, अखबारों में छपने वाली गैंगस्टरों और राजनेताओं की तस्वीरें यही साबित करती है। अपराधिक माहौल की ही देन है कि देश की रक्षा करने वाले युवा अपने ही देश को लूट रहे हैं। देश की युवाशक्ति को सही दिशा देने के लिए कागजी कार्यवाही और घोषणाओं से आगे बढ़ना होगा।
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