सत्ताधीशों के मूकदर्शक बने रहने से विचलित देश की शीर्ष अदालत ने टीवी न्यूज चैनलों की नफरत फैलाने वाली बहसों पर अंकुश लगाने को शीघ्र कदम उठाने को कहा है। इन डिबेटों को हेट स्पीच फैलाने का जरिया मानते हुए जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस ऋषिकेश राय की बेंच ने टीवी चैनलों की बहसों के नियमन के लिये दिशा-निर्देश तैयार करने की जरूरत बतायी। साथ ही नाराजगी जतायी कि केंद्र सरकार मूकदर्शक बनकर सब कुछ देख रही है। वह इस मामले की गंभीरता को कमतर आंक रही है। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस बाबत नियामक दिशा-निर्देश तैयार करने की मंशा जताते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह इस बाबत कोई कानून लाने की इच्छाशक्ति दिखाएगी?
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि टीवी न्यूज चैनलों की सोच है कि भड़काने वाली बहसों से टीआरपी बढ़ती है। जो कालांतर मुनाफे का जरिया बनती हैं। विडंबना यह है कि हाईकोर्ट द्वारा उक्त चैनल के विवादित कार्यक्रम पर रोक लगाने के बाद केंद्रीय प्रसारण मंत्रालय ने चैनल को कार्यक्रम प्रसारण की अनुमति दे दी थी। मंत्रालय की दलील थी कि कार्यक्रम में दखल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में अनधिकृत हस्तक्षेप होगा। मंत्रालय का यह बयान इस मुद्दे से जुड़े कई सवालों को जन्म देता है। विगत में शीर्ष अदालत में सरकार के प्रतिनिधि ने कहा था कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के नियमन के लिये विस्तृत रूप से कार्य कर रही है। दरअसल, नियमन के निर्णायक कानून के अभाव में सरकार न्यूज चैनलों की प्रसारण सामग्री को केबल टेलीविजन नेटवर्क के नियमों के तहत नियंत्रण करती है।
इसमें इस बात का प्रावधान है कि केबल सेवा किसी भी ऐसे कार्यक्रम का प्रसारण नहीं कर सकती जो संप्रदाय व धर्म विशेष के विरुद्ध हो। साथ ही समाज में अलगाव फैलाने वाले कार्यक्रमों का प्रसारण न हो। आधे-अधूरे तथ्यों के आधार पर बने कार्यक्रमों के प्रसारण की अनुमति नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने यहां तक कह दिया कि जब तक सरकार इस बाबत कानून नहीं बनाती है तब तक कोर्ट टीवी न्यूज चैनलों पर होने वाली डिबेटों के लिये दिशानिर्देश तैयार करने के बाबत विचार कर सकती है। निस्संदेह, शीर्ष अदालत की सख्त टिप्पणियों के मद्देनजर खुद को चौथा स्तंभ बताने वाले मीडिया संस्थानों को जिम्मेदार व्यवहार करना होगा। साथ ही अपनी विश्वसनीयता को कायम रखने के लिये आत्मनियंत्रण की राह चुननी होगी।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।