कोरोना महामारी का फैलाव तेज हो गया है और भारत लॉकडाउन हटा रहा है। इस पर कांग्रेस ने सरकार की नीति को विफल बताया है। इससे पहले प्रवासी मजदूरों व उससे पहले केन्द्र द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रूपये का आर्थिक पैकेज को महज आंकड़ो का खेल बताकर भी कांग्रेस केन्द्र सरकार पर काफी हमलावर रही है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि कोरोना की महामारी के मध्य केन्द्र सरकार कहीं ज्यादा सक्रिय कहीं फैसला न ले पाने की उधेड़बुन में रही है। सरकार के प्रचार तंत्र ने प्रबंधों से ज्यादा सरकार का गुणगान किया है। सरकार का दावा है कि 3000 श्रमिक ट्रेनों के माध्यम से तीन लाख मजदूरों को उनके घर पहुंचाया है, इस मामले में सरकार मजदूरों को कितना सुरक्षित घर पहुंचा सकी है मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम से पूरा देश देख चुका है।
भारत यहां प्रवासी मजदूरों की संख्या करोड़ों में है वहीं महज तीन लाख मजदूरों की सुरक्षित घर वापिसी ऊंट के मुंह में जीरे जैसी है। ट्रेनें न केवल लेट-लतीफ चल रही हैं बल्कि ट्रेनों में मजदूर भूख व प्यास से व्याकुल हो दम तोड़ रहे हैं। राहुल गांधी जब सड़कों पर मजदूरों का हाल पूछ रहे थे तब सत्तापक्ष ने उन्हें नौटंकी व पब्लिसिटी स्टंट, कोरोना पर राजनीति कहा, परन्तु कितना अच्छा होता अगर सरकार के प्रबंध ऐसे होते कि मजदूर सड़कों पर भटकते ही नहीं, तब राहुल कहां से नौटंकी करते? राहुल का आरोप है कि कोरोना राहत पैकेज कुल जीडीपी का महज एक प्रतिशत है जबकि सरकार ने इसे 10 प्रतिशत बताया था, अत: सरकार को विपक्ष को ही नहीं देश को भी स्पष्ट करना चाहिए कि पैकेज वास्तव में जीडीपी का दस प्रतिशत है, जिससे देशवासियों को व्यवहारिक तौर पर राहत मिलेगी। चूंकि ऐसा अनुमान है कि देश में कोरोना की वजह से करीब सात करोड़ रोजगार खत्म होने की कगार पर हैं और लघु उद्योगों का तो जैसे पूर्ण शटडाउन ही होने जा रहा है।
शुरूआत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को भरोसा दिया था कि लॉकडाउन 21 दिन चलेगा लेकिन वह 60 दिन तक चला। बावजूद इसके अब लॉकडाउन तब हट रहा है जब देश में डेढ़ लाख के करीब कोरोना मरीज हो गए हैं। स्पष्ट है क्या पहले का लॉकडाउन बिना जरूरत किया गया? क्योंकि कोरोना की भयानकता को देखते हुए लॉकडाउन की शायद अब ज्यादा जरूरत है। अगर अब लॉकडाउन की जरूरत नहीं है तब 60 दिनों तक लॉकडाउन लगाकर अपनी अधूरी नीति से सरकार ने अर्थव्यवस्था को डांवाडोल क्यों किया? शायद राहुल का कहना सही है कि सरकार लॉकडाउन व कोरोना दोनों पर रणनीति बनाने में विफल हो चुकी है।
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