मंदी और बेरोजगारी के दौर में डिफाल्टर कारोबारी बढ़ा रहे युवाओं की परेशानी
(Banks loan)
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हर जिले में करोड़ों का एनपीए, लोन देने से हाथ खींच रहे बैंक
अश्वनी चावला/सच कहूँ चंडीगढ़। कुश्ती के दंगल में बड़े से बड़ों को पटखनी देने वाले हरियाणा के निवासी अब लोन वापसी करने के मामले में भी सरकारी व गैर सरकारी बैंकों को पटखनी देते नजर आ रहे हैं। दूध-दही व कुश्ती के महारथियों की इस धरती को अब लोन डिफाल्टर की धरती से भी पुकारा जाने लगा है। प्रदेश का कोई भी ऐसा जिला नहीं है, जहां पर सरकारी व गैर सरकारी बैंकों द्वारा दिए गए लोन को हजम करने वालों की गिनती ना हो। ( Banks loan) हरियाणा के हर जिले में बड़ी संख्या में ऐसे कारोबारी हैं, जो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत कारोबार को बढ़ाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी बैंकों से लोन तो ले रहे हैं, लेकिन चुका नहीं रहे।
- इसके चलते एनपीए बढ़ने से बैंकों के घाटे में लगातार इजाफा हो रहा है।
- इसके चलते बैंकों ने प्रदेश के लोन न चुकाने वाले लोगों को लोन डिफाल्टर घोषित कर दिया है।
लोन डिफाल्टर में गुरुग्राम पहले और करनाल दूसरे स्थान पर
बता दें कि नौकरियों के मामले में असफल होती केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू की गई थी। जिसके तहत कोई भी कारोबारी 50 हजार से लेकर 10 लाख तक का लोन मुद्रा योजना के तहत ले सकता है। इस मुद्रा लोन को देने के लिए तीन कैटेगरी ने बांटा गया है। शिशु योजना के तहत 50 हजार तक का लोन मिल सकता है। जबकि किशोर योजना के तहत 50 हजार से 5 लाख तक का लोन और तरुण के 5 लाख से 10 लाख तक का लोन लिया जा सकता है। यह श्रेणी लोन लेने वाले कारोबारी और उनकी तरफ से शुरू किए गए कारोबार की समय सीमा के अनुसार ही तय की जाती है।
- मुद्रा योजना के तहत लोन लेने वाले कारोबारियों में से 6 फीसदी से ज्यादा ऐसे कारोबारी हैं।
- एक बार लोन लेने के पश्चात लोन वापसी करने का ही नाम नहीं लेते हैं।
- इस मामले में गुरुग्राम सबसे आगे है।
- ये भी हैरान करने वाला है कि मेवात में 30 फीसदी से ज्यादा ऐसे कारोबारी हैं।
- जिन्होंने 50 हजार तक का लोन तो लिया लेकिन उसे वापसी करने की जहमत तक नहीं उठाई।
- इसी मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का जिला करनाल दूसरे नंबर पर है।
- जिसमें 10 फीसदी ऐसे कारोबारी हैं, जो कि 20 करोड़ से ज्यादा के लोन वापस नहीं कर रहे हैं।
अगर ऐसे एनपीए बढ़ा तो बंद हो जाएंगे बैंक
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन लेने के पश्चात उसकी वापसी नहीं करने वाले डिफाल्टरों की लगातार बढ़ती संख्या को देख बैंक परेशान हैं। इसके चलते वे हरियाणा के युवाओं को रोजगार के लिए ऋण देने से संकोच कर रहे हैं। बैंकर्स का कहना है कि अगर इसी तरह डिफाल्टर बढ़ते गए तो बैंक बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे। इसलिए एक सीमा से ज्यादा लोन देना हमारे बस से बाहर है।
गारंटी या जमानत न होने के चलते बंधे बैंकों के हाथ
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत कोई भी कारोबारी जब भी 50 हजार से 10 लाख तक का लोन लेता है तो उसे बैंक के पास किसी भी तरह की गारंटी या फिर जमानत नहीं देनी होती है। जिस कारण डिफाल्टर की गिनती बढ़ने के बावजूद भी बैंक संचालक कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि उनके पास न तो किसी भी तरह की जमीन-जायदाद बतौर जमानत पड़ी है और न ही किसी भी व्यक्ति ने उस डिफाल्टर कारोबारी की गारंटी दी हुई है। जिसके चलते चाहते हुए भी बैंक, लोन डिफाल्टर के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं।
28 हजार 69 लोगों ने हजम किए 264 करोड़
प्रधान मंत्री मुद्रा योजना के तहत हरियाणा के 28 हजार 69 लोगों ने प्राइवेट व सरकारी बैंकों से 264 करोड़ 76 लाख रुपए के ऋण लेकर चुकाए नहीं हैं। इसका सर्वाधिक नुक्सान प्रदेश के युवाओं को झेलना पड़ रहा है। एनपीए बढ़ने से ये बैंक युवाओं को रोजगार के लिए नए ऋण देने से हाथ पीछे खींच रहे हैं।
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