-साल 2017 में 5265, 18 में 5098 और इस बार 4471 केस हुए दर्ज
- -पंचकूला, यमुनानगर व अंबाला जिलों में होती हैं सबसे कम नकलें
सच कहूँ/इन्द्रवेश
भिवानी। हर साल प्रदेश भर के करीब 8 आख बच्चों के भविष्य का आंकलन करने वाले हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को इस बार नकल पर नकेल लगाने में काफी हद तक कामयाबी मिली है। शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं में इस बार पिछले तीन सालों के मुकाबले काफी कम नकल हो पाई हैं। बावजूद इसके मुख्यमंत्री मनोहरलाल व पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल के गृह जिला में नकल का आंकड़ा साल दर साल बढ रहा है और वर्तमान शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा का जिला भी नकल करने में पीछे नहीं है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी हर साल प्रदेश भर के करीब 8 लाख बच्चों की 10वीं व 12वीं की परीक्षाएं लेता है। इस बार 7 मार्च से 5 अप्रैल तक प्रदेश भर में 1728 परीक्षा केंद्रों पर 7 लाख 65 हजार 549 परीक्षार्थियों ने 10वीं व 12वीं की परीक्षाएं दी थी। हर बार की तरह शिक्षा बोर्ड ने इस बार भी नकल रहित-अकल सहित परीक्षा करवाने के लिए 22 हजार 464 सुपरवाइजर, 1728 केंद्र अधीक्षक व 356 उड़नदस्ते तैनात किए थे। बावजूद इसके इस बार प्रदेश भर में नकल के 4 हजार 471 केस दर्ज किए गए। वहीं ड्यूटी में कोताही करने पर 108 केंद्रों पर परीक्षा रद्द की गई और 99 पर्यवेक्षकों को ड्यूटी से हटाया गया। इतनी बड़ी संख्या में नकल होने पर भी इस बार शिक्षा बोर्ड के लिए ये परीक्षाएं संतोषजनक रही। क्योंकि इस बार नकल का आंकड़ा पिछले तीन सालों की तुलना में काफी कम है। शिक्षा बोर्ड सचिव राजीव प्रसाद ने बताया कि साल 2017 में नकल के कुल मामले 5265, साल 2018 में 5098 और इस बार 4471 हैं।
किस जिले में कितने नकल के मामले हुए दर्ज
- पंचकूला: 10
- अंबाला:12
- यमुनानगर:28
- रेवाड़ी:57
- कैथल: 60
- कुरुक्षेत्र:70
- सरसा: 80
- फतेहाबाद: 93
- चरखी दादरी: 109
- गुरुग्राम: 123
- फरीदाबाद: 164
- करनाल: 180
- पानीपत: 195
- महेंद्रगढ़: 200
- झज्जर: 214
- रोहतक: 241
- जीन्द: 283
- पलवल: 332
- भिवानी: 369
- हिसार: 424
- सोनीपत: 488
- मेवात: 712
‘‘हमारा लक्ष्य नकल रुपी बुराई को खत्म करना है और सबके सहयोग व अच्छी सोच से ये कम भी हो रही है। उन्होंने कहा कि नकल करके बच्चा एक बार तो सफल हो सकता है पर अपने जीवन में कभी सफल नहीं होता। क्योंकि साल दर साल योग्यता को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे में नकल करने वाले बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ जाएंगें और जीवन में कभी सफल नहीं होंगें। बोर्ड सचिव ने कहा कि जो बच्चा नकल करता है वो खुद को धोखा देता है।
राजीव प्रसाद, सचिव, शिक्षा बोर्ड।
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