हरियाणा मिनिस्टर्स आफ काउंसिल में सीआईडी है मुख्यमंत्री के अधीन (CID)
अनिल कक्कड़/सच कहूँ चंडीगढ़। मंगलवार को उस समय मीडिया के साथ-साथ (CID) सरकार में भी बड़ी चर्चा हो चली, जब एक मीडिया प्लैटफार्म पर खबर चली कि क्रिमीनल इनवेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (सीआईडी) विभाग मुख्यमंत्री ने फिर से अपने अधीन ले लिया है। इस बाबत विधानसभा की वैबसाइट पर मौजूद काउंसिल आॅफ मिनिस्टर्स की सूची में मंत्रियों को अलॉट विभागों का हवाला दिया गया। वहीं इस बाबत उच्च स्तरीय सूत्रों ने यह भी कन्फर्म किया कि सीआईडी के मुखिया कभी गृह मंत्री अनिल विज थे ही नहीं। बतौर नियम यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है। बता दें कि कई दिनों से सीआईडी को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और अनिल विज के बीच खींचतान बताई जा रही है।
मुख्यतौर पर क्या करती है सीआईडी
- सीआईडी मुख्यतौर पर तीन कार्य करती है।
- नंबर एक-जानकारियां एकत्र करना, सुरक्षा संबंधी जानकारियां एकत्र करना और विभिन्न केसों की तह तक जाकर जांच करना।
- सीआईडी द्वारा की गई रोजाना की कार्रवाई की रिपोर्ट मुख्यमंंत्री, चीफ सेके्रटरी और गृह मंत्री और गृह सचिव को जाती है।
- जिसे मुख्य तौर पर देखने के बाद वहीं नष्ट कर दिया जाता है।
सीआईडी हमेशा सीएम के अंडर ही रही
वहीं एक उच्च स्तरीय अधिकारी ने सच कहूँ से बातचीत में बताया कि सीआईडी का अलग से कोई विभाग नहीं है। यह होम के साथ अटैच जरूर है, लेकिन यह रिपोर्ट सीधा सीएम को करती रही है।
- इससे पूर्व जितने भी मुख्यमंत्री रहे हैं, उन्होंने मुख्यतौर पर सीआईडी विभाग को खुद के पास ही रखा है।
- वहीं 1987 में जब लोकदल की सरकार बनी तो सीएम देवी लाल ने जब संपत सिंह को गृह मंत्री बनाया, लेकिन सीआईडी खुद के पास रखा।
विज और खट्टर में खींचतान क्यों?
हालांकि रिपोर्ट्स पर गौर करें तो मुख्यमंत्री खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज के बीच इस बाबत काफी खींचतान की बातें हवा में उड़ती रही हैं। लेकिन यह भी सच्चाई है कि प्रदेश के गृहमंत्री होने के नाते प्रदेश की हर छोटी-बड़ी गतिविधि से गृह मंत्री को वाकिफ होना लाज़मी है।
- विज सीआईडी से तमाम तरह की सूचनाएं मांगते रहते हैं।
- जिस बाबत सीआईडी डीजीपी अनिल राव के साथ उनकी खटपट भी जगजाहिर है।
- वहीं मुख्यमंत्री सीआईडी के असली बॉस हैं
- यह बात गृह मंत्री होने के नाते अनिल विज पचा नहीं पा रहे हैं।
इस सरकार में राजनैतिक लोगों की फोन टैपिंग लगभग शून्य!
एक उच्च स्तरीय सूत्र के अनुसार इस सरकार में राजनैतिक स्तर पर सीआईडी द्वारा फोन टैपिंग के मामले या अन्य सर्विलांस के मामले लगभग शून्य हैं। हालांकि यह भी सच है
- विपक्षी नेता की हर प्रेस वार्ता या पत्रकारों से बातचीत पर सीआईडी अधिकारियों की कड़ी नज़र होती है।
- लेकिन उच्च अधिकारी इन सीआईडी अधिकारियों की रिपोर्टिंग को प्रभावशाली नहीं मानते।
गृहमंत्री अनिल विज बिजनस आॅफ द हरियाणा गवर्नमेंट के रूल्स का दे रहे हवाला
गृहमंत्री होने के नाते अनिल विज दावा करते हैं कि बिजनस आॅफ द हरियाणा गवर्नमेंट के रूल्स में साफ-साफ लिखा है कि सीआईडी होम डिपार्टमेंट के पास होती है। हालांकि इसी बिजनस आॅफ रूल्स में पेज 30 पर रूल नं. पांच में साफ लिखा है कि ‘महत्वपूर्ण केस चीफ सेके्रटरी से होकर गुजरेंगे।’
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