- योजना। सिल्वर स्क्रीन पर हरियाणा का डंका बजाने को प्रदेश सरकार ने कसी कमर
- हरियाणा की ओर अधिक है बॉलीवुड का रूझान
- फिल्मों में धड़ल्ले से हो रहा हरियाणवी बोली का प्रयोग
GuruGram, Sanjay Mehra: वैसे तो हरियाणवी बोली लठमार बोली मानी जाती है। यहां के लोगों की हाजिर जवाबी से कोई खुश होता है तो कोई नाखुश। सवालों के सीधे जवाब की बजाय हंसी के अंदाज में यहां दिए जाते हैं। छोटे पर्दे पर बड़े कलाकारों द्वारा हरियाणवी जॉक्स को अभी तक अपने अंदाज में पेश किया जाता रहा है।
यहां तक कि हरियाणा की धरती पर फिल्में बनाकर उसे दूसरे राज्यों की धरती के रूप में परोसा जाता है। अब बॉलीवुड का ध्यान हरियाणा की ओर ज्यादा ही जा रहा है। यहां के एक विषय को लेकर बनाई गई फिल्मों ने बड़े पर्दे पर ध्ूाम मचाई है। प्रदेश की खूबियों को ध्यान में रखते हुए अब हरियाणा सरकार अपनी फिल्म पॉलिसी बनाने को सक्रिय हुई है। दो बैठकों का दौर पूरा हो चुका है।
हरियाणा प्रदेश में हरियाणवी फिल्मों, स्थानीय कलाकारों तथा सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा अपनी पहली फिल्म पॉलिसी तैयार कर रहा है, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव वीएस कुण्डू की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी की अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं।
पहली बैठक चण्डीगढ़ में हुई थी और दूसरी बैठक गुरुग्राम में आयोजित की गई। इस कमेटी की दूसरी बैठक में प्रख्यात फिल्मकार सतीश कौशिक ने कहा कि सिनेमा विश्व भर में अपनी संस्कृति का प्रसार करने के लिए सशक्त माध्यम है। अब भारतीय सिनेमा की विश्व में नई पहचान बनी है। ऐसे में हरियाणवी संस्कृति, प्रदेश के निर्माताओं व कलाकारों को बढ़ावा देने तथा प्रदेश में सिनेमा शूटिंग के स्थलों को विकसित करने के लिए हरियाणा फिल्म पॉलिसी बनाई जानी चाहिए। अब तक प्रदेश में इस प्रकार की कोई पोलिसी नहीं है।
उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे राज्यों में भी अपनी फिल्म पॉलिसी हैं। उदाहरण के तौर पर उड़ीया, तमिल, तेलूगू, मराठी, भोजपुरी, पंजाबी इत्यादि फिल्में बहुत प्रसिद्ध हो रही हैं। हरियाणा में कोई पॉलिसी नहीं है, इसलिए बालीवुड में भी हरियाणा को ईस्ट पंजाब टैरीटरी में माना जाता है। इन दिनों हरियाणवी बोली को फिल्मों में काफी प्रयोग किया जा रहा है, यहीं नहीं सलमान खान और आमिर खान जैसे बडेÞ-बडेÞ कलाकार भी अपनी फिल्मों में हरियाणा की पृष्ठभूमि का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी धरोहर बहुत मजबूत हैं जिसको सिनेमा के माध्यम से हम विश्व मे ं प्रोजेक्ट कर सकते हैं। जिससे प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ रोजगार सृजन होगा और सामाजिक ताना-बाना मजबूत होगा।
प्रदेश में फिल्मेें बनाने की अपार संभावनाएं
कमेटी के सदस्य सचिव एवं सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक समीरपाल सरो ने कहा कि हरियाणा में सिनेमा शूटिंग के स्थलों की कोई कमी नहीं हैं, जहां भिवानी-महेन्द्रगढ़ के क्षेत्रों में रेगिस्तान, मोरनी में खूबसूरत पहाड़ी क्षेत्र, यमुनानगर में झीलें व नदियां हैं तो वहीं गुरुग्राम भी दुुबई जैसे आधुनिक शहरों से कम नहीं हैं। इन स्थलों पर फिल्में बनाने की काफी संभावनाएं हैं। इसके अलावा हरियाणा में ऐतिहासिक धरोहर भी बहुतायत में है, जिनमें फिल्मकारों की रूचि हो सकती है। इस मौके पर उपस्थित सूरजपाल ने बताया कि गुरुग्राम जिला के सोहना क्षेत्र में हरचंदपुर गांव में एक फार्म हाऊस में कई फिल्मों की शूटिंग की जा चुकी है।
ये बनाए गए हैं फिल्म पॉलिसी कमेटी के सदस्य
फिल्म पॉलिसी का प्रारूप तैयार करने के लिए बनाई गई कमेटी में चेयरमैन पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं विजुवल एवं परफोर्मिंग आर्ट, रोहतक विश्वविद्यालय के कुलपति वीएस कुण्डू को बनाया गया है। प्रख्यात फिल्मकार सतीश कौशिक को कमेटी का गैर-सरकारी सदस्य एवं को चेयरमैन नियुक्त किया गया है। कमेटी के अन्य सदस्यों में आबकारी एवं कराधान आयुक्त, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार, वित्त विभाग का प्रतिनिधि शामिल है। सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक समीरपाल सरो को सदस्य सचिव बनाया गया है और पगड़ी-द आॅनर फिल्म के निर्माता राजीव भाटिया को गैर-सरकारी सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।