नशे में डूब रहा है दूध दही का खाणा वाला हरियाणा

Haryana is suffering from drunken milk

विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर विशेष: तंबाकू में व्याप्त 7000 रसायनों में से 69 हैं कैंसर के कारक

  • देश में 1.65 लाख बच्चों की 5 वर्ष की उम्र से पहले धुएं के कारण हो जाती है मौत

संजय कुमार मेहरा/सच कहूँ
गुरुग्राम। दूध-दही का खाणा वाली बात कहकर देश-विदेश में अपने बेटे-बेटियों द्वारा खेलों में मेडल जीतने पर वैसे तो हरियाणा इतराता है। लेकिन यहां की एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि यहां के बच्चों से लेकर बड़ों तक धूम्रपान, तंबाकू के सेवन से खुद के साथ दूसरों को जिंदगी भर का दर्द दे रहे हैं। अगर नहीं संभले तो वह दिन दूर नहीं जब नशे की लत में-उड़ता पंजाब की तर्ज पर उड़ता हरियाणा का तमगा हमें मिल जायेगा, जिसे शायद ही कोई चाहता हो। पंजाब में नशों की लत पर फिल्म बनाई गई थी, जिसका नाम-उड़ता पंजाब रखा गया था।

  • 65.2 प्रतिशत लोग घरों में दूसरों की वजह से होते हैं स्मॉक के शिकार

देसां मैं देस हरियाणा जित दूध दही का खाणा वाली कहावत को पीछे छोड़ अब हरियाणवी नशेड़ी होते जा रहे हैं। नशे कई प्रकार के होते हैं, लेकिन हम यहां सिर्फ धूम्रपान और अन्य तंबाकू उत्पादों की बात करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा के 65.2 फीसदी लोग घरों में दूसरों की वजह से स्मॉक के शिकार होते हैं। यानी जब कोई दूसरा धूम्रपान का सेवन करता है तो घरों में बाकी के सदस्यों को भी प्रभावित करता है। यह स्थिति धूम्रपान करने वाले से भी अधिक खतरनाक होती है। क्योंकि सामने वाला सीधे तौर पर उसके द्वारा छोड़े गए धुएं को न चाहकर भी ग्रहण करता है।

  • प्रदेश में पुरुषों के साथ महिलाओं में भी धूम्रपान, तंबाकू की लत

ऐसे में हमें समझने की जरूरत है कि हम अपने परिवार और खासकर भावी पीढ़ी को कितना सुरक्षित रख रहे हैं। आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो पता चलता है कि हरियाणा में वर्तमान में 19.7 प्रतिशत लोग धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन करते है, जिसमें 33.1 प्रतिशत पुरुष, 4.8 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। इनके अलावा 6.3 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते हुए हैं, जिसमें 10.0 प्रतिशत पुरुष व 2.2 प्रतिशत महिलाए है। बात करें घरों की तो हरियाणा में 65.2 प्रतिशत लोग घरों में सेकंड हैंड स्मॉक का शिकार होते है, जिसमें 70.6 प्रतिशत पुरुष, 59.2 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं।

इसी श्रेणी में कार्यस्थल पर 52.9 प्रतिशत लोग, जिसमें 55.3 प्रतिशत पुरुष, 31.1 प्रतिशत महिलाएं तथा सरकारी कार्यालय व परिसर में 10.5 प्रतिशत पुरुष-महिलायें शामिल हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ अलर्ट करते हुए कहते हैं कि फेफड़ों को दुरुस्त रखना है तो धूम्रपान और धूम्रपान करने वालों से दूर रहें।

  • देश में तंबाकू उपयोगकर्ताओं के आंकड़े

कैंसर सर्जन डॉ. वेदांत काबारा ने कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस) 2017 के अनुसार भारत में जिनकी आयु 15 वर्ष से अधिक है और वे वर्तमान में किसी-न-किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग करते हैं। ऐसे वयस्कों की संख्या 28.6 प्रतिशत (266.8 मिलियन) है। इन वयस्कों में 24.9 प्रतिशत (232.4 मिलियन) दैनिक तंबाकू उपयोगकर्ता हैं और 3.7 प्रतिशत (34.4 मिलियन) कभी-कभार के उपयोगकर्ता हैं। भारत में हर दसवां वयस्क (10.7 प्रतिशत 99.5 मिलियन) वर्तमान में तंबाकू का सेवन करता है। 19.0 प्रतिशत पुरुषों में और 2.0 प्रतिशत महिलाओं में धूम्रपान का प्रचलन पाया गया।

धूम्रपान की व्यापकता ग्रामीण क्षेत्रों में 11.9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 8.3 प्रतिशत थी। 20-34 आयु वर्ग के आठ (12.2 प्रतिशत) दैनिक उपयोगकर्ताओं में से एक ने 15 साल की उम्र से पहले धूम्रपान करना शुरू कर दिया था, जबकि सभी दैनिक धूम्रपान करने वालों में से एक-तिहाई (35.8 प्रतिशत) ने जब वे 18 साल से छोटे थे, तब से धूम्रपान करना शुरू कर दिया था।

  • छोटे बच्चों को घर पर भी रहता है खतरा

छोटे बच्चों को जो घर पर धूम्रपान करने वालों के संपर्क में आते हैं, उन्हें अस्थमा, निमोनिया और ब्रोंकाइटिस, कान में संक्रमण, खांसी और जुकाम के बार-बार होने वाले संक्रमण और लगातार श्वसन प्रक्रिया में निम्न स्तर का संक्रमण जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार विश्व स्तर पर, अनुमानित 1.65 लाख बच्चे 5 वर्ष की आयु से पहले दूसरों द्वारा धूम्रपान से पैदा हुए धुएं के कारण श्वसन संक्रमण के कारण मर जाते हैं। ऐसे बच्चे जो वयस्क हो जाते हैं, वे हमेशा इस तरह की समस्याओं से पीड़ित रहते हैं और इनमें सीओपीडी विकसित होने का खतरा होता है।

  • गर्भवती महिलाओं पर भी घातक असर

टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के उप-निदेशक और वॉयस आॅफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के संस्थापक डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि गर्भवती महिला द्वारा धूम्रपान या एसएचएस के संपर्क में आने से भू्रण में फेफड़ों की वृद्धि कम हो सकती है। इसका असर भू्रण की गतिविधियों पर हो सकता है। इससे गर्भपात हो सकता है, समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है और यहां तक कि अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम भी पैदा हो सकता है।

तम्बाकू किसी भी रूप में धूम्रपान या धुआं रहित बहुत खतरनाक है। सरकार के वर्ष 2025 तक के प्रयासों के बावजूद देश में यह आम बीमारी है। ग्लोबल टीबी रिपोर्ट-2017 के अनुसार भारत में टीबी की अनुमानित मामले दुनिया के टीबी मामलों के लगभग एक चौथाई लगभग 28 लाख दर्ज की गई थी।

 

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