हर मेडिकल कालेज को भरना होगा 10 करोड़ का मेडिकल बांड
चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की उस सिफारिश पर मोहर लगा दी है जिसमें निजी मेडिकल कालेजों द्वारा फीस की मनमानी पर नकेल कसने को कहा गया था। अब सरकार की कमेटी फीस तय करेगी व मेडिकल कालेजों को 10 करोड़ का बॉंड भी भरना होगा।
याद रहे कि प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों में विद्यार्थियों के लिए सीटें लिमिटिड होने के कारण वे विद्यार्थी जो डॉक्टर बनने का सपना देखते थे, लेकिन उन्हें सरकारी कालेजों में दाखिला नही मिलता था मजबूरीवश प्राईवेट कालेजों में अड्मिशन लेना पड़ता था। प्राइवेट कालेजों ने अभिभावकों तथा विद्यार्थियों की मजबूरी का फायदा उठा कर मनमानी फीसें वसूलना शुरू कर दिया था।
अभी हाल ही में रेवाइज की गयी फीसों में मेडिकल कोर्स की फीस 1 करोड़ तक कर दी गई थी। स्वास्थ्य मंत्री विज ने बताया कि एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए टयूश्न फीस व विकास शुल्क 10 लाख रुपये वार्षिक तथा एनआरई विद्यार्थियों के लिए आरम्भिक फीस 1.10 यूएस डॉलर तय की गई है। इसके अलावा, निजी विश्वविद्यालयों एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों को भी इस दायरे में लाया जाएगा।
बीडीएस के लिए टयूश्न फीस 2.80 लाख तय
मंत्री ने बताया कि बीडीएस पाठ्यक्रम के लिए टयूश्न फीस 2.80 लाख वार्षिक व एनआरआई विद्यार्थियों के आरम्भिक फीस 44 हजार यूएस डॉलर, बीएएमएस तथा बीएचएमएस के 1.50 रुपये वार्षिक व 15 प्रतिशत एनआरआई विद्यार्थियों के 25 हजार यूएस डॉलर फीस निर्धारित की है। इसी प्रकार बीपीटी, एमपीटी, बीएससी नर्सिंग व पोस्ट बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए 60 हजार रुपये व 15 प्रतिशत एनआरई विद्यार्थियों के 15 हजार यूएस डॉलर तथा एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए 75 हजार वार्षिक व 15 प्रतिशत एनआरई विद्यार्थियों के 15 हजार यूएस डॉलर फीस निर्धारित की गई है। बीपीटी एव एमपीटी को छोड़कर शेष सभी में फीस की वार्षिक वृद्घि 5 फीसदी हो सकेगी।
कमेटी तय करेगी फीस, कालेजों को देना होगा 10 करोड़ का बॉंड
सरकार के बाई नियमों के अनुसार अब से सरकार की कमेटी निजी मेडिकल कालेजों की फीस तय करेगी। वहीं सरकार ने साफ किया है कि अगर जरूरत पड़ी तो नया कानून भी बनाया जाएगा। अब से निजी कॉलेजों को 10 करोड़ का मेडिकल बांड देना भी पड़ेगा क ताकि बच्चो का भविष्य सुरक्षित रहे क नियम के अनुसार अब हरियाणा के सिविल अस्पताल में 2 साल की सेवा देने पर ही कालेज विद्यार्थी को मेडिकल डिग्री देंगे।
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