द. हरियाणा के किसानों ने धान व बाजरा छोड़ मूंग पर दिया जोर

Moong Crop

तीन गुणा तक बढ़ा दलहनी फसलों का बुआई क्षेत्र

  • दलहनी फसलों का मिलता है अच्छा भाव : डॉ. गोदारा

भिवानी(सच कहूँ/इन्द्रवेश)। हमारा देशी प्रोटीन कहलाने वाली दलहन फसलें अब दक्षिण हरियाणा की मुख्य फसल बनने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत कृषि विभाग की पहल पर अबकी बार दक्षिणी हरियाणा में दलहन फसलों की तीन गुणा तक बिजाई की गई है, ताकि न केवल धान व बाजरे की फसलों में प्रयोग होने वाला अधिक पानी बचे, बल्कि प्रोटीन युक्त दलहन फसलों का उत्पादन भी कम सिंचाई से हो सके। जिनकी बाजार में ऊंची कीमत भी मिलती है।

भिवानी जिले में 78 हजार हैक्टेयर में हुई बिजाई

भिवानी के जिला कृषि अधिकारी आत्माराम गोदारा ने बताया कि भिवानी जिले में 78 हजार हैक्टेयर में बिजाई की गई है। अबकी बार मूंग जैसी दलहन फसलों की बिजाई 10 हजार से बढ़कर 30 हजार हैक्टेयर में की गई है तथा बाजरे की बुआई 30 हजार हैक्टेयर की गई है, जबकि पहले बाजरे की बुआई अधिक होती थी। इससे न केवल दलहनी फसलों की पूर्ति देश में होगी, बल्कि विदेशों से भी दालों के आयात की जरूरत नहीं पड़ेगी तथा देश दलहनी फसलों को लेकर आत्मनिर्भर बनेगा।

पानी की होगी बचत

साथ ही धान व बाजरे की फसल में लगने वाले अधिक पानी की बजाय दलहनी फसलों की बिजाई से कम पानी में दलहनी फसलों का उत्पादन हो सकेगा तथा पानी की बड़े स्तर पर बचत होगी। इससे पानी सिंचित क्षेत्र को बढ़ाया जा सकेगा तथा कुल उत्पादन में वृद्धि होगी।

जुलाई के पहले हफ्ते तक होगी ग्वार, मूंग की बिजाई

जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि मानसून की बरसात शुरू होने के साथ ही जुलाई के प्रथम सप्ताह तक ग्वार, मूंग व बाजरे की बिजाई किसान कर सकते हैं तथा जो किसान अपने खेतों में धान नहीं बोएंगे, उनके खातों में प्रति एकड़ सात हजार रुपए तथा बाजरा न बोने वाले किसानों के खातों में चार हजार रुपए राज्य सरकार द्वारा डाले जाएंगे, ताकि सिंचाई के पानी की बचत की जा सकें।

मूंग जैसी फसलें प्रोटीन का अच्छा स्रोत

वहीं क्षेत्र के किसान कन्हैया, सुरेश कुमार ने बताया कि बरसात का मौसम आने के साथ ही अबकी बार अच्छी बिजाई हुई है तथा फसलों की ग्रोथ भी शुरू हो चुकी है। उन्होंने अबकी बार अपने खेतों में मंूंग जैसी दलहन फसलों को बोया है, इससे न केवल उनका सिंचाई का पानी बचा है, बल्कि फसल चक्र अपनाने से उनकी भूमि की उर्वरता शक्ति भी बढ़ेगी। मूंग जैसी फसलों से अच्छा प्रोटीन मिलता है, इससे यहां के युवाओं के स्वास्थ्य में ओर सुधार होगा। दक्षिण हरियाणा के युवा फौज व पुलिस जैसी बेल्ट की नौकरियों में जाते हैं। इसके लिए उन्हें प्रोटीन की काफी आवश्यकता रहती है। अब उन्हें विदेशों से दाल आयात करने की बजाय अपने खेतों में ही उगाना शुरू कर दिया है।

 

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