Haryana: हरियाणा में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाकर कुरुक्षेत्र के तत्कालीन सांसद नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया था। इतना सभी जानते हैं कि भाजपा आला कमान ने यह परिवर्तन राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य किया था। हरियाणा में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए मनोहर लाल खट्टर ने कई ऐसे फैसले भी लिए जो न सिर्फ चर्चा का कारण बन रहे, बल्कि उनके कारण देश की सबसे छोटी सरकार कहे जाने वाली पंचायत का विरोध भी झेलना पड़ा।
इसके अलावा स्टिल्ट प्लस चार मंजिल निर्माण पर भी हरियाणा प्रदेश में रोक लगाई गई थी। मनोहर लाल के ही कार्यकाल में पंजाब के किसान दिल्ली में कूच करने के लिए हरियाणा की सीमाओं पर डटे रहे। इस वजह से हरियाणा के किसान संगठनों ने सरकार का बड़े स्तर पर विरोध किया था। अब बात करें लोकसभा चुनाव से पहले, जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए नायब सैनी को कमान सौंपी गई थी, वह उद्देश्य लोकसभा चुनाव में पूरी नहीं हो सका। Haryana
अमित शाह की हरी झंडी | Haryana
2019 के लोकसभा चुनावों में हरियाणा में 10 की 10 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भाजपा 2024 में 5 सीटों पर सिमट गई।इन चुनाव के बाद केंद्र में नई सरकार बनने के बाद भाजपा नेता एवं देश के गृहमंत्री अमित शाह ने हरियाणा के भाजपा नेताओं की 21 जून को चंडीगढ़ में एक बैठक ली थी। इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक तौर पर यह ऐलान किया था कि हरियाणा में आने वाला विधानसभा चुनाव नायब सैनी के नेतृत्व ने लड़ा जाएगा।
सीएम सैनी हर एंगल से कर रहे मंथन
अब हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहके सीएम नायब सिंह ने मंथन करना शुरू कर दिया है कि आख़िर लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी सीटों पर हार मिलने का कारण क्या है? इन कारणों की समीक्षा व विधायकों से मिली फीडबैक के आधार पर अब सीएम सनी न सिर्फ नए फैसले ले रहे हैं बल्कि पूर्व सीएम मनोहर लाल के फैसलों को भी बदल रहे हैं। कुछ फैसलें तो ऐसे हैं, जिन पर बड़े स्तर पर रार हो चुकी है। जिनमें मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंचों के अधिकार सीमित करना व स्टिल्ट प्लस चार मंजिल निर्माण पर रोक लगाना शामिल है।
सरपंचों की बढ़ाई शक्तियां, 21 लाख तक कोई ई-टेंडर नहीं | Haryana
सरपंचों की जिन शक्तियों को मनोहर लाल ने कम कर दिया है,अब उन्हें सीएम नायब सैनी ने पहले से ज्यादा शक्ति दे दी है। साथ ही जिस ई-टेंडर प्रणाली का सरपंच विरोध करते हैं,अब इस फैसले को भी पलट दिया गया है। अब सीएम सैनी के फैसले के बाद सरपंच अपने गांव में 21 लाख तक का विकास कार्य खुद करवा सकते हैं। इससे सरपंचों को फ्री-हैण्ड मिल गया है।
लोकसभा चुनाव में अधिकतर सरपंचों ने किया था विरोध
ऐसा इसलिए किया गया है,क्योंकि लोकसभा चुनाव में प्रदेश के अधिकतर सरपंचों ने भाजपा का विरोध किया। जिसकी वजह से भाजपा की चुनावी परफॉर्मेंस ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर दिखाई दी। इस गलती को किसी भी सूरत में सीएम नायब सैनी दोबारा दोहराने नहीं चाहते। Haryana
अब मनोहर लाल का प्रदेश की राजनीति में सीधा हस्तक्षेप नहीं
इसी का नाम राजनीति है। चुनाव नजदीक आते ही हमेशा सत्तासीन सरकार इस बात का मंथन जरूर करती है कि उन्हें किस फैसले के कारण जनता का विरोध झेलना पड़ सकता है,ताकि एक बार फिर प्रदेश में सरकार बना सकें। यही वजह है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी पूर्व सीएम रहे मनोहर लाल खट्टर के फैसले बदलने से भी नहीं चूक रहे। दूसरी तरफ मनोहर लाल भी अब करनाल लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनकर एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री है। अब मनोहर लाल का सीधे तौर पर हरियाणा की राजनीति में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं है। डॉ. संदीप सिंहमार।
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