6205 ग्राम पंचायतें खुले में शौच मुक्त
- जल्द ही शहरी क्षेत्र भी होंगे खुले में शौचमुक्त
- प्रदेश सरकार ने 4 माह पूर्व पूरा किया लक्ष्य
चंडीगढ़(अनिल कक्कड़)। प्रदेश सरकार ने राज्य की 6205 ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है। वीरवार को पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा, केरल, सिक्किम व हिमाचल के बाद खुले में शौचमुक्त देश का चौथा राज्य बन गया है। वीरवार को वे यहां हरियाणा निवास में पत्रकारों से वार्तालाप कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षित पंचायतों एवं समाज सेवी संस्थाओं के सहयोग से यह लक्ष्य पूरा हो पाया है। वहीं उन्होंने शहरी क्षेत्र को भी जल्द ही शौचमुक्त करने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ओडीएफ करने के लिए स्वर्ण जयंती वर्ष अर्थात एक नवम्बर, 2017 का लक्ष्य दिया गया था और इस लक्ष्य को पंचायत एवं विकास विभाग द्वारा 30 जून तक निर्धारित किया गया, जबकि निर्धारित समय से पूर्व ही यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया।
अब अगला लक्ष्य ओडीएफ प्लॅस
धनखड़ ने कहा कि प्रदेश में लोगों की आदत बदलना आसान नहीं था लेकिन ग्राम पंचायतों के सहयोग से लोगों ने अपनी आदतें बदली हैं लेकिन सरकार इस लक्ष्य को जीत मान कर नहीं बैठक सकती। इसलिए अब ओडीएफ प्लॅस योजना के तहत इसे निरंतर बनाए रखना है। ओडीएफ प्लस अर्थात ठोस, तरल कचरे का निपटान भी हर घर अपने स्तर पर करे, जिसकी योजना तैयार की जा रही है। आरम्भ में 16 पॉयलट परियोजनाओं पर कार्य चलेगा।
अढ़ाई साल में बने 7 लाख 51 हजार शौचालय
पंचायत मंत्री ने बताया कि 2012 के सर्वे के अनुसार ग्रामीण हरियाणा में 30 लाख 24 हजार 600 घर थे, जिनमें से 7 लाख 51 हजार 180 घरों में शौचालय नहीं थे। वर्तमान सरकार के ढ़ाई वर्ष के कार्यकाल में ग्रामीण हरियाणा के हर घर में शौचालय बनना संभव हुआ है। चाहे वह पंचायती चुनाव लड़ने के लिए घर में अनिवार्य रूप से शौचालय होने की शर्त हो। इस निर्णय से चुनाव के समय 51000 से अधिक शौचालय बने थे। उन्होंने कहा कि जिन गांवों की जनसंख्या 10000 से अधिक है, वहां पर सीवरेज की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी, पहले चरण में 15 गांव का चयन किया गया है।
सिंचाई में प्रयोग लाया जाएगा जोहड़ों का पानी
पंचायत एवं कृषि मंत्री ने बताया कि सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के साथ मिलकर पंचायत एवं विकास विभाग एक अथॉरिटी का गठन जो प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के 15000 से अधिक तालाबों के पानी का तीन स्तरीय पद्धति के माध्यम से उपचारित कर सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में 50 से 100 एकड़ जमीन को सिंचित करने की पहचान की जाएगी। इसके अलावा, गंदे पानी की निकासी ड्रेन के माध्यम से इसकी भी कार्य योजना तैयार की जा रही है।
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