पिछले साल सितंबर महीने में जारी हुआ प्रतिबंध
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प्रतिबंध के बाद भी धड़ल्ले से जारी है वितरण, भंडारण
सच कहूँ/अनिल कक्कड़, चंडीगढ़। सरकार की कुछ जनकल्याण योजनाएं केवल कागजों तक सीमित रहती हैं और कागजों में ही आगे बढ़ा दी जाती हैं। ऐसा ही एक फैसला प्रदेश की मनोहर सरकार ने लिया, जिसमें एक साल के लिए गुटखा, पान मसाला पर प्रदेश में वितरण और भंडारण पर प्रतिबंध और बढ़ा दिया गया है। जबकि सच्चाई सबके सामने हैं कि हर गली-नुक्कड़, चौक-चैराहे पर सरेआम पान मसाला, गुटखा खूब बेचा जाता है। खैर, सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि गुटखा और पान-मसाला के निर्माण, भंडारण और वितरण पर एक साल तक के लिए पाबंदी रहेगी। ये आदेश राज्य के सभी जिला उपायुक्त, सभी पुलिस अधीक्षक, सभी सिविल सर्जन, सभी पदाभिहित अधिकारियों व सभी खाद्य एवं सुरक्षा अधिकारी को जारी किए गए हैं।
पिछले साल लगाया था प्रतिबंध
बता दें कि 7 सितंबर 2020 को खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के अंतर्गत निर्मित खाद्य सुरक्षा एवं मानक (विक्रय प्रतिरोध और निर्बंधन) नियम, 2011 के विनियम 2.3.4 के अनुसार किसी खाद्य उत्पाद में संघटकों के रूप में तंबाकू व निकोटिन (गुटखा, पान मसाला) के उपयोग पर विभाग द्वारा 1 वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाया गया था। अब खाद्य सुरक्षा विभाग हरियाणा के आयुक्त ने इन आदेशों को आगामी 1 वर्ष के लिए स्वीकृति दे दी है। अब 7 सितंबर 2021 से 7 सितंबर 2022 तक हरियाणा राज्य के किसी खाद्य उत्पाद में संघटकों के रूप में तंबाकू व निकोटिन (गुटखा, पान मसाला) के निर्माण, भंडारण और वितरण पर प्रतिबंध रहेगा। गुटखा व पान मसाला में तंबाकू व निकोटिन का पाया जाना कानूनी अपराध है। कोई भी व्यक्ति तम्बाकू व निकोटिन युक्त खाद्य पदार्थ का निर्माण, भंडारण व बिक्री करता है तो उसके खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
हर पब्लिक प्रॉपर्टी पर गुटखे, तंबाकू की पूरी है छाप
प्रदेश के किसी भी सार्वजनिक स्थान, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, सरकारी इमारतों सहित बाजारों में गुटखा खाने वालों ने थूक-थूक पर पूरी छाप छोड़ी हुई है। खास तौर पर सरकारी इमारतों की सीढ़ियों, शौचालयों इत्यादि में लाल रंग के गुटखे की कलाकृतियां खूब देखने को मिलती हैं। ऐसे में सरकार का कागजी प्रतिबंध कितना कारगर साबित होता है, देखने वाली बात होगी।
1.35 मिलियन लोग हर साल तंबाकू के सेवन से मरते हैं
भारत देश की हालत यह है कि यहां लगभग 10 लाख 35 हजार लोग हर साल तंबाकू के सेवन से मरते हैं, जिनमें गुटखा, पान मसाला, खैनी एवं जर्दा इत्यादि शामिल है। वहीं गुटखे, पान मसाले का उपयोग ज्यादातर मजदूर वर्ग करता है, ताकि उसके नशे में ज्यादा काम किया जा सके। ऐसे में गले का कैंसर, मुंह का कैंसर इत्यादि ऐसी भयानक बीमारी होने पर इस वर्ग द्वारा इलाज करवा पाना भी मुश्किल होता है।
आईपीएल में हो रही है धड़ल्ले से पान मसाले की ऐड
वहीं देश की सबसे प्रतिष्ठित क्रिकेट लीग आईपीएल में इन दिनों पान मसाले, गुटखे इत्यादि की धड़ल्ले से ऐड हो रही है। शाहरुख खान, अजय देवगन, अमिताब बच्चन, रणवीर सिंह इत्यादि जैसे बड़े एक्टर पान मसाले का विज्ञापन खूब कर रहे हैं। वहीं एक तरफ सरकार इन पर कागजी पाबंदी लगा रही है और दूसरी तरफ पैसे के लिए बॉलीवुड के बड़े अभिनेता इन्ही पान मसालों का खूब विज्ञापन कर रहे हैं।
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