687 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के पद खाली, दक्ष पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी (Third wave of Corona)
सच कहूँ/अनिल कक्कड़ चंडीगढ़। कोरोना की पहली और दूसरी लहर का कहर पूरे देश के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश ने भयानक रूप से झेला है। अब विशेषज्ञ तीसरी लहर की चेतावनी दे रहे हैं वहीं सरकार अपने स्तर पर कोविड अस्पतालों के निर्माण और मौजूदा अस्पतालों में वेंटीलेटर और आॅक्सीजन सहित अन्य जरूरी सामग्रियों की पर्याप्ता व अन्य इंतजामातों के पूरा होने का दावा कर रही है। लेकिन वहीं सरकारी स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार एवं मजबूत करके कोरोना की संभावित तीसरी लहर से उचित तरीके से निपटने की मांग स्वास्थ्य कर्मचारियों एवं अन्य कर्मचारी संगठनों ने सरकार से की है। इस बाबत इन संगठनों ने 11 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिला स्तर पर उपायुक्त का सौंपा गया।
राज्य में जनसंख्या के हिसाब से 634 उपस्वास्थ्य केंद्रों, 81 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 53 सामुदायिक केन्द्रों की कमी
जानकारी के अनुसार फिलहाल प्रदेश में 2667 उप स्वास्थ्य केंद्र, 532 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 128 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। जबकि वर्तमान आबादी की जरूरतों के हिसाब से 634 उपस्वास्थ्य केंद्रों, 81 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 53 सामुदायिक केंद्रों की कमी बनी हुई है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के मानकों अनुसार ग्रामीण इलाकों में हर नागरिक को संपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए 5 हजार की आबादी पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र, 30 हजार की आबादी के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और 80 हजार से 1 लाख 20 की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) होना चाहिए।
स्पेशलिस्ट डॉक्टरों और ट्रेंड पैरामैडिकल स्टॉफ की भी भारी कमी
स्पेशलिस्ट डॉक्टरों, डॉक्टरों, स्टाफ नर्सों, रेडियोग्राफरों, फार्मासिस्टों, लैब तकनीशियों और मल्टीपर्पज कैडर की भारी कमी बनी हुई है। इसी प्रकार एक सीएचसी में 6 विशेषज्ञ डॉक्टरों (एक सर्जन, एक स्त्री रोग, एक फिजिशियन, एक शिशु रोग, एक हड्डी रोग और एक बेहोशी देने वाला) होने चाहिए। इसके हिसाब से वर्तमान आबादी अनुसार 714 स्पेशलिस्ट डॉक्टर होने चाहिए। जबकि फिलहाल राज्य भर में केवल मात्र 27 स्पेशलिस्ट ही मौजूद हैं यानि 687 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 491 डॉक्टर हैं जबकि होने 1064 चाहिए यानि आधे से ज्यादा में एक भी डॉक्टर नहीं है।
रेडियोग्राफरों की 128 पोस्ट होनी चाहिए लेकिन कार्यरत केवल 38 हैं यानि 90 की कमी है
हालात यह है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों के 90 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं। अस्पतालों में दवाओं का टोटा पड़ा रहता है। उधर रेडियोग्राफरों की 128 पोस्ट होनी चाहिए लेकिन कार्यरत केवल 38 हैं यानि 90 की कमी है। फार्मासिस्ट्स की संख्या करीब 770 होनी चाहिए लेकिन केवल 405 ही कार्यरत हैं यानि 365 की कमी है। नेत्र चिकित्सा सहायकों की संख्या भी 128 होनी चाहिए मगर कार्यरत 35 ही हैं। लैब टेक्नीशियन के 770 पदों के मुकाबले 400 लैब तकनीशियन ही कार्यरत हैं यानि 370 की कमी बनी हुई है। मल्टीपर्पज कैडर में एमपीएचडब्ल्यू (पुरूष और महिला) की संख्या करीब 3800 है, जबकि 10800 होने चाहिए।
पैरामेडीकल स्टॉफ के 40 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं
वहीं स्वास्थ्य निरीक्षक (पुरूष व महिला) के 1100 पदों के मुकाबले करीब 700 ही कार्यरत हैं यानि 400 पद खाली पड़े हैं। इस बाबत जन स्वास्थ्य अभियान के संरक्षक डाक्टर रणबीर सिंह दहिया ने कहा कि कुल मिलाकर देखें तो वर्तमान आबादी के अनुपात में स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों के कुल स्वीकृत पदों में 90 प्रतिशत से ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टरों, 50 प्रतिशत से ज्यादा तथा पैरामेडीकल स्टॉफ के 40 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं। जबकि आबादी के अनुपात में नियमानुसार अकेले पेरामेडिकल स्टाफ के ही 25000 से ज्यादा नियमित पद स्वीकृत होने चाहिए।
कर्मचारी संगठनों ने की खाली पदों को जल्द भरने की मांग
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा और जन स्वास्थ्य अभियान के संयुक्त आह्वान पर आयोजित प्रदर्शनों में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व जन स्वास्थ्य अभियान के अलावा हरियाणा ज्ञान-विज्ञान समिति, जनवादी महिला समिति, सीटू, एसएफआई व डीवाईएफआई से जुड़े हजारों कर्मचारियों, महिलाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मजदूरों, छात्रों व नौजवानों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापनों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुरूप उप स्वास्थ्य केन्द्र, प्राइमरी हैल्थ सैंटर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व जरनल हस्पताल खोलने, बड़ी तादाद में खाली पड़े मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ के पदों को स्थाई नियुक्ति से भरने, आॅक्सीजन, बेड्स व वेंटिलेटर सहित अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाने, किसी भी मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ की मृत्यु होने पर 50 लाख रुपए मुआवजा और आश्रित को स्थाई नौकरी देने सहित विभिन्न मांगें की।