देश में 29.3 फीसदी दर के साथ टॉप पर हरियाणा, 21.4 फीसदी के साथ जम्मू-कश्मीर दूसरे स्थान पर
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सीएमआईई की ताजा रिपोर्ट में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर व राजस्थान फिसड्डी
चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। बेरोजगारी के मामले में प्रदेश फिर पिछड़ता नजर आ रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक, हरियाणा (29.3 फीसदी), जम्मू व कश्मीर (21.4 फीसदी) और राजस्थान (20.4 फीसदी) में बेरोजगारी दर खासी ज्यादा है। ये क्षेत्र पिछले कई महीनों से ज्यादा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। नवंबर में राष्ट्रीय, शहरी और ग्रामीण दरों में गिरावट के बावजूद आठ क्षेत्रों में बेरोजगारी दर ऊंची बनी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार पिछले दो सालों में मानव श्रम की जगह तकनीक की ज्यादा इस्तेमाल कर मैन्युफैक्चिरिंग की जा रही है, जिससे श्रमिकों को रोजगार की कमी आई है।
बिहार, गोवा, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और झारखंड ने दहाई अंकों में बेरोजगारी दर दर्ज की, जिनमें शुरूआती तीनों राज्यों में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। बिहार में बेरोजगारी 13.9 फीसदी से बढ़कर 14.8 फीसदी हो गई। त्रिपुरा में यह आंकड़ा 3.5 फीसदी से बढ़कर 13.4 फीसदी हो गया। गोवा में बेरोजगारी दर बढ़कर 12.7 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, नवंबर में राष्ट्रीय दर घटकर 7 फीसदी रह गई, जो अक्टूबर में 7.75 फीसदी रही थी। वहीं, इस दौरान ग्रामीण बेरोजगारी 7.91 फीसदी से घटकर 6.44 फीसदी रह गई। शहरी दर नवंबर में 8.21 फीसदी रही, जो एक महीने पहले 7.38 फीसदी थी।
राज्य सरकार ने नकारी सीएमआईई की रिपोर्ट
हालांकि हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार लगातार सीएमआईई की रिपोर्ट को नकारती आ रही है। सरकार का मानना है कि ये आंकड़े सही नहीं है, जबकि हरियाणा में बेरोजगारी की दर काफी कम है। वहीं सीएमआईई की रिपोर्ट को आधार पर बनाकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस हमेशा से ही सत्ता पक्ष पर हमला रहा है। वहीं अगर बेरोजगारी बढ़ने की वजह की बात की जाए तो नवंबर में इकोनॉमिक रिकवरी में देरी, सेक्टोरल नरमी, अतिरिक्त वर्कफोर्स और सुस्त एग्रीकल्चर सीजन हो सकती हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अरूप मित्रा ने कहा कि अगर आप गोवा, राजस्थान, हिमाचल और जम्मू व कश्मीर को देखें तो आपको पता चलेगा कि यहां पर टूरिज्म व हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में ज्यादा रोजगार पैदा होते हैं। महामारी के संकट के कारण इन सेक्टर्स में रिकवरी उम्मीद से काफी कम रही है।
तकनीक पर बढ़ी निर्भरता और वर्कर्स की डिमांड कम हुई
प्रोफेसर मित्रा के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग भी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहा है और पिछले डेढ़ साल में कुछ हिस्सों में ज्यादा टेक्नोलॉजी अपनाई गई है, जिससे वर्कर्स की जरूरत कम हुई है। उन्होंने कहा, इससे हरियाणा जैसे इंडस्ट्रीज वाले राज्यों को नुकसान हुआ होगा। मित्रा ने कहा कि मांग में कमी के पीछे एक अन्य बड़ी वजह असंगठित क्षेत्र है। बिहार और झारखंड इससे प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, नवंबर में कृषि के मोर्चे पर भी सुस्ती रही है। इस प्रकार आपको महसूस होगा कि लेबर मार्केट में पूरी तरह रिकवरी अभी दूर की बात है। सीएमआईई के मुताबिक, कोविड की पहली लहर की तुलना में श्रम की भागीदारी 43 फीसदी से घटकर लगभग 36 फीसदी रह गई है।
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