बरनाला(सच कहूँ/जसवीर सिंह गहल)। जिला बरनाला के गांव ठुल्लेवाल का एक किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती से जहां अच्छा मुनाफा कमा रहा है वहीं साथ ही टपका सिंचाई तकनीक अपना कर 80 से 90 फीसदी तक पानी की भी बचत कर रहा है। एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार पूर्व सरपंच हरबंत सिंह द्वारा मौजूदा समय में 3 एकड़ के करीब रकबे में ड्रैगन फ्रूट व अन्य फलों की काश्त की जा रही है, जबकि शुरूआती रकबा डेढ कनाल था। हरबंत सिंह ने बताया कि उसने टैलीविजन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में देखा तो उसे पता चला कि जहां यह फसल बहुत कम पानी लेती है, और साथ ही मुनाफा भी अच्छा मिलता है।
इस दौरान उन्होंने और उनके बेटे सतनाम सिंह ने ड्रैगन फ्रूट की खेती का तर्जुबा करने का सोचा और इस संबंधी जानकारी हासिल कर साल 2016 में अहमदाबाद (गुजरात) का दौरा किया और वहां से 70- 80 के करीब कलमां लेकर आए। उन्होंने बताया कि 2016 में ट्रायल किया और 2018 में पूर्ण तौर पर यह खेती अपना ली। उन्होंने बताया कि 3 एकड़ में 1300 के करीब सीमिंट के पोल पौधों को सहारा देन के लिए लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि शुरूआती समय में इसे शुरू करने में पोलोंं, सिंचाई प्रबंध, लेबर आदि पर 4 लाख प्रति एकड़ के करीब खर्च आया, लेकिन बाद में फसल ने अच्छा मुनाफा देकर उनकी सभी परेशानियों को दूर कर दिया। जिसके तहत शुरूआती खर्च करीब 2 सालों में पूरा हो जाता है।
उन्होंने बताया कि पहले साल प्रति पोल एक किलो के करीब फल, दूसरे साल के बाद 4 से 5 किलो उपज होती है। जिसके मंडीकरण की कोई दिक्कत पेश नहीं आती, क्योंकि खेत पर से ही सारी फसल आॅर्डर पर बिक जाती है। उन्होंने बताया कि 200 से 250 रुपए प्रत्ीि किलो के हिसाब से इसका रेट मिल जाता है। पिछले साल प्रति एकड़ 3 लाख रूपये की फसल की बिक्री हुई है। किसान हरबंत सिंह ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की कलमां लगाई जाती हैं और हुन वह खुद भी कलमां तैयार कर अपनी नर्सरी में रखते हैं, जो पंजाब भर से किसान लेकर जाते हैं। किसान हरबंत सिंह मुताबक ड्रैगन फ्रूट कम पानी लेने वाली फसल है, जिस पर तुपका सिंचाई बेहद्द कामयाब है। इस समय उन्होंने एक और फसल पर तुपका सिंचाई तकनीक अपनाई है, जिस पर सब्सिडी भी प्राप्त की है।
ऐसे प्रयास बेहद्द जरूरी
डिप्टी कमिशनर डॉ. हरीश नैयर ने गांव ठुल्लेवाल के किसान हरबंत सिंह के प्रयासों की प्रशंसा करते अन्य किसानों को भी फसली विभिन्नता और कम पानी की खपत वाली फसलें अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में पानी का स्तर तेजी से नीचे जा रहा है, जिसे लेकर ऐसे प्रयास करने बेहद्द जरूरी हैं।
कलम लगाने का उपयुक्त समय
डिप्टी डायरैकटर बागबानी निरवंत सिंह ने किसान के इन प्रयासों की प्रशंसा करते आह्वान किया कि और भी किसान इस तरफ आएं। उन्होंने बताया कि कलम लगाने का उपयुक्त समय जुलाई-अगस्त है, जबकि ड्रैगन फ्रूट की तुड़ायी सितम्बर से दिसम्बर तक होती है। बागबानी विकास अधिकारी नरपिन्दर कौर ने बताया कि पहली तुड़ायी फल लगने के 45 दिन बाद और दूसरी और तीसरी तुड़ाई 30 दिन बाद की जाती है। उन्होंने प्र्रगतिशील किसानों को किसान हरबंत सिंह से प्रेरणा लेने के लिए कहा।
फुहारा सिंचाई अपनाओ, सब्सिडी पाओ
भूमि रक्षा अधिकारी मनदीप सिंह ने बताया कि हरवंत सिंह की तरह तुपका/फुहारा सिंचाई तकनीक अपनाकर किसान 80 फीसदी तक पानी की बचत कर सकते हैं। जिसके लिए विभाग द्वारा छोटे और दरमियाने भाव 5 एकड़ तक भूमि वाले किसानोंं और जमीन की मालकी वाली महिलाओं को 90 फीसदी सब्सिडी दी जाती है, जबकि अन्यों को 80 फीसदी सब्सिडी दी जाती है।
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