एक बार एक लड़का किसी जंगल में लकड़ी लेने गया। घूमते-घूमते वह चिल्लाया तो उसे लगा कि वहां कहीं कोई दूसरा लड़का भी है और वह भी चिल्ला रहा है। उसने उससे कहा, ‘इधर तो आओ।’ उधर से भी आवाज आई-‘इधर तो आओ।’ लड़के ने फिर कहा,’कौन हो तुम?’ आवाज ने कहा-‘कौन हो तुम?’ लड़के ने उसे डांटा,’तुम बड़े खराब हो, मुझे डरा रहे हो।’ सामने से भी यही बात दोहराई गई। यह सुनकर लड़का घबरा गया और डरकर अपने घर लौट आया। उसने अपनी मां को पूरी घटना सुनाई और बताया, ‘मां, जंगल में वह लड़का हू-ब-हू मेरी नकल करता है। मेरी तरह चिल्लाता है। जो मैं कहता हूं, वही कहने लगता है। मैं अब जंगल में नहीं जाउंगा।’
उसकी मां समझ गई कि माजरा क्या है? उसने बेटे से कहा,’आज तुम वहीं जाकर उससे नम्रतापूर्वक बोलो। तुम ऐसा करोगे तो वह भी तुम्हारे साथ नम्रतापूर्वक व्यवहार करेगा।’ मां के समझाने पर वह लड़का फिर उसी जंगल में गया। वहां जाकर उसने जोर से कहा,’तुम बहुत अच्छे लड़के हो।’ उधर से भी आवाज आई-‘तुम बहुत अच्छे लड़के हो।’ फिर लड़के ने कहा,’मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।’ उधर से भी यही आवाज आई-‘मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।’ यह सुनकर वह लड़का प्रसन्न हो गया। वह लड़का प्रतिध्वनि के संबंध में कुछ नहीं जानता था। शायद हम भी कम ही जानते हैं।
मनुष्य का जीवन भी एक प्रतिध्वनि की तरह है। आप चाहते हैं कि लोग आपसे प्रेम करें तो आप भी दूसरों से प्रेम करें। जिससे भी मिलें, मुस्कुराकर प्रेम से मिलें। प्रेमभरी मुस्कराहट का जवाब प्रेमभरी मुस्कराहट से ही मिलेगा। इस तरह जीवन में हर ओर खुशी ही नजर आएगी।
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