ओढां (सच कहूँ/राजू)। शुक्रवार को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने बरनावा (यूपी) से जब दोपहर को लाइव दर्शन दिए तो साध-संगत का दिल खुशी से झूम उठा। पूज्य गुरु जी जैसे ही लाइव आए तो साध-संगत ने नारे के साथ अपने सतगुरु का स्वागत किया। वहीं कुछ ही देर बाद सोशल मीडिया पर पूजनीय हजूर पिताजी की ये वीडियो क्लिप जमकर वायरल हुई। पूज्य पिताजी के बरनावा आश्रम में आगमन की खुशी में समस्त साध-संगत ने जगह-जगह पर विभिन्न तरीकों से खुशी का इजहार कर मिठाई बांटी। साध-संगत ने कहा कि दर्शनों के बिना वर्षांे से तड़प रही रूह को सुकून मिल गया। इस बारे साध-संगत ने अपनी खुशी का इजहार कुछ इस प्रकार किया।
आज दिल खुशी से भर गया। मुर्शिद के दर्शन करके यूं लगा जैसे जन्मों-जन्मों से तड़प रही रूह शांत हो गई। हम अनेकों जन्म लेकर भी अपने मुर्शिद का ऋण नहीं उतार सकते। हमने अपने सतगुरु के हर वचन पर अमल किया है और भविष्य में भी करते रहेंगे। हमारे गुरु जैसा कोई नहीं।
-पवन इन्सां, ब्लॉक भंगीदास (रोड़ी)।
यूं लग रहा था जैसे सतगुरु के दर्शन किए मुद्दतें गुजर गईं। मुझे जब पिताजी के बरनावा में पधारने और लाइव आने की सूचना मिली तो मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। पिताजी के दर्शन करके जो खुशी हुई है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। पिताजी ने लाइव आकर जो भी वचन किए हैं हम उन पर शत-प्रतिशत अमल करेंगे।
-सुरजीत इन्सां, ब्लॉक भंगीदास (श्री जलालआणा साहिब)।
मेरे गुरु जैसा कोई नहीं है। मैंने जब पिताजी के लाइव दर्शन किए तो आंखें भर आईं और खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। पूज्य गुरु जी ने दर्शन देकर जो हम पर उपकार किया है उसका ऋण हम सैकड़ों जन्म लेकर भी नहीं उतार सकते। हम पूज्य गुरु जी के वचनों पर हमेशा चलते थे और आगे भी चलते रहेंगे।
-नछत्तर इन्सां (देसू मलकाना)।
जब पूज्य गुरु जी के दर्शन हुए तो वो पल बयां नहीं किया जा सकता। पिताजी ने चिट्ठियों की बात दोहराकर भी हमें दोगुनी खुशी दे दी। मैंने पूज्य गुरु जी की वीडियो क्लिप को कई-कई बार देखा, लेकिन फिर भी मन नहीं भरा।
– कस्तूरी देवी इन्सां (रोड़ी)।
हमारे सतगुरु हमारी कितनी संभाल करते हैं ये हमें पता चल गया। पूज्य गुरु जी के लाइव दर्शन कर दिल वैराग से भर आया। पिताजी ने छोटी सी वीडियो क्लिप के माध्यम से साध-संगत को दर्शन देने के अलावा अपार आशीर्वाद व खुशियां दे दीं। मैं उस बरनावा की उस धरती को बार-बार नमन करती हूं जहां हमारे मुर्शिद पधारें हैं।
– रणजीत कौर इन्सां (गदराना)।
पूज्य गुरु जी के दर्शन करके यूं लगा जैसे जन्म-जन्मांतर से बिछड़ी रूह को रूहानी ठंडक मिल गई। हम अपने गुरु का उपकार कभी नहीं उतार सकते। पूज्य गुरु जी ने क्लिप के माध्यम से सारी साध-संगत का हाल पूछते हुए दिल खुशियों से भर दिया। मुझे गर्व है कि मैं इन महान संत का शिष्य हूं।
– मा. आत्मप्रकाश इन्सां (बप्पां)।
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