कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में नित नई तकनीक ईजाद होती रहती है। टेक्नोलॉजी का इन्वेंशन मानव हित के लिए होता है, लेकिन समाज के मुट्ठी भर शातिर इस तरह की टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग कर लोगों को आर्थिक हानि पहुंचाते हैं। इन आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों को आपराधिक दुनिया में साइबर क्रिमिनल्स के नाम से जाना जाता है। साइबर क्राइम दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है। याद रहे, इंटरनेट दूसरों से बातचीत ,स्टडी ,मनोरंजक वीडियो, छायाचित्र देखने का एक उम्दा प्लेटफार्म हैं।
कहते हैं, सावधानी हटी – दुर्घटना घटी यानी एक छोटी- सी गलती आप का बड़ा नुकसान करवा सकती है। साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो इंटरनेट पर पूरी तरह से निजी कुछ भी नहीं हैं। किसी भी तरह की फाइल एक बार आॅनलाइन होने के बाद 100 % सुरक्षित नहीं रह पाती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई, 2015 को डिजिटल इंडिया प्रोग्राम लांच किया था। इसका मुख्य उद्देश्य प्रत्येक नागरिक को डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना रहा है ताकि उन्हें डिजिटली रूप से सशक्त किया जाए। लेकिन साइबर क्रिमिनल्स इसके विपरीत दिशा में उतनी ही तेजी से सिस्टम को हैक करने के नायाब तरीके ईजाद कर लेते हैं। हाल ही में एक बड़ा केस -पेगासस सामने आया है, जिसने हर किसी के दिमाग को झकझोर के रख दिया है। इंटरनेशनल एजेंसियां दावा कर रही हैं, भारत के 300 से अधिक नामचीन पत्रकारों, राजनेताओं आदि की जासूसी पेगासस स्पाइवेयर से करवाई जा रही हैं। इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी एनएसओ ग्रुप ने विकसित किया है। इसे लेकर संसद में सरकार और विपक्ष के नेताओं में काफी टकराव भी हुआ है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। हकीकत यह है, दुनियाभर में 4.57 बिलियन लोग इंटरनेट की गिरफ्त में हैं। इंटरनेट की दुनिया में धोखे बहुत हैं, इसीलिए संभल कर चलने की दरकार है। सिम क्लोनिंग जैसी हाई टेक्नोलॉजी का उपयोग आॅनलाइन ठगी में हो रहा है।
साइबर ठगी के अनोखे तरीके : अक्सर साइबर ठग बैंक कॉस्टमर्स से सपोर्ट अधिकारी या अन्य अफसर बनकर चिकनी -चुपड़ी बातों से भले-मानुसों को फोन काल करके उनके व्यक्तिगत डिटेल्स पूछ लेते हैं। व्हाट्सएप ,जीमेल, फेसबुक सरीखे प्लेटफॉर्म्स पर लाटरी, मेगा आॅफर जैसे लुभावने सन्देश देते /आते है। फोन काल कर लोगों को फंसाया जाता है कि मैं आप का दोस्त ,रिश्तेदार या सगा सम्बन्धी बात कर रहा हूँ। मुझे फाइनेंसियल सहायता की जरूरत है। हैकर्स अपने गूगल पे या फोन पे नंबर पर मनी ट्रांसफर करने का अनुरोध करते हैं। कहने का अभिप्राय है, पूरी तरह से इमोशनली ब्लैकमेल करते है। हैकिंग के लिए आजकल रिमोट असिस्टेंस सॉफ्टवेयर भी काफी प्रचलन में है। इसमें हैकर के जरिए विक्टिम को एक एप्लीकेशन की लिंक और विशेष प्रकार का कोड भेजा जाता है, जिसको एंटर करने के पश्चात व्यक्ति अपने मोबाइल का सम्पूर्ण कण्ट्रोल हैकर को दे बैठता है। हैकर्स फेसबुक अकाउंट की क्लोनिंग भी करते है। ऐसा करके हैकर्स विक्टिम की फ्रेंड लिस्ट में दर्ज लोगों से पैसे ऐंठ लेते हैं।
आमजन बरतें ये सावधानियां : किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को फोन काल या व्हाट्सएप, फेसबुक मैसेज के जरिए अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी न दें। किसी भी अज्ञात लिंक, इमेज को खोलकर उसमें अपनी डिटेल्स न भरें। अनजान विदेशी नंबरों से आने वाली कॉल्स को कतई अटेंड न करें। आजकल सभी मोबाइल फोन्स में सिक्योरिटी फीचर्स के तौर पर किसी भी अनजान नंबर को रिपोर्ट और ब्लॉक करने का फीचर आता है, जिनके जरिए परेशान करने वाले सभी नंबर्स से छुटकारा पाया जा सकता है। फ्री इंटरनेट चलाने के लालच में किसी बाहरी वाई-फाई से अपने फोन या लैपटॉप को कनेक्ट न करें। ऐसी सभी वेबसाइट जिनके शुरू में ँ३३स्र२: न लगा हो। भ्रामक वेबसाइट को कभी अपने ब्राउजर में ओपन न करें। अपने फोन के कैमरे से कभी आपत्तिजनक फोटग्राफ्स न लें । फोन या कंप्यूटर सिस्टम में हमेशा टोटल सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर का उपयोग करें , ताकि किसी भी प्रकार के आॅनलाइन अटैक से बचा जा सके। सिस्टम को हमेशा मजबूत पासवर्ड से सुरक्षित रखें। पासवर्ड को कभी भी किसी दूसरे के साथ साझा न करें । आॅनलाइन हेल्प के लिए सरकार ने ट्विटर, फेसबुक पर @cyber Dost के नाम से आॅफिसियल पेज बनाए हुए है, समय- समय पर साइबर क्राइम से बचने के लिए सुझाव और अन्य जानकारियां पेज पर डालते रहते हैं। आॅनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए https://www.cybercrime.gov.in/ या 155260 पर काल करें। रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने कमर कसके और आम जनता को जागरूक करने के लिए एसएमएस और मिस्ड कॉल की व्यवस्था को लागू किया हुआ है। रिजर्व बैंक की ओर से बिग बी को टीवी एंड सोशल मीडिया पर हैकर्स से सावधान रहने की हिदायत देते हुए आपने अक्सर देखा और सुना होगा। https://www.cybercrime.gov.in/
एक नजर साइबर क्राइम के आंकड़ों पर : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2018 में देश में साइबर अपराधों की संख्या 27,248 थी। 2019 में बढ़कर यह संख्या 44,735 हो गई, लेकिन कोरोना काल को साइबर आपराधियो ने अवसर में बदल लिया और एकदम से साइबर क्राइम में उछाल आया, जो बढ़कर 50,035 के आकंड़ो को छू गया। 2019 से 2020 तक 11. 8% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। 2019 के आंकड़ों के अनुसार प्रति लाख जनसँख्या साइबर अपराध 3. 3 % थे। 2020 में इसका प्रतिशत बढ़कर 3. 7 % हो गया। यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। राज्यों की स्थिति पर नजर डाली जाए तो देश भर में उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम में अव्वल है। यूपी में 2019 में सबसे अधिक 11,097 साइबर क्राइम हुए। यह चिंतनीय है। कर्नाटक में 10,741,महाराष्ट्र में 5,496, तेलंगाना में 5,024 जबकि असम में 3,530 साइबर अपराध हुए हैं ।
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