दूसरे देशों के ऑर्डर पूरे करने में आ रही दिक्कत
सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। यूरोपीय देशों की पसंद को ध्यान में रखते हुए गुरुग्राम में कपड़े बनाने वाले उद्योगों पर संकट के बादल छा गए हैं। ऐसा नहीं है कि यहां के बने कपड़े वहां अब पसंद नहीं किए जा रहे, बल्कि इसका कारण धागे (कच्चे माल) के दाम बढ़ने के कारण यहां अधिक लागत आ रही है।
कोरोना महामारी के बाद कुछ हालत सुधरे थे। यहां के उद्योगों में काम शुरू हुआ था। बात करें अकेले कपड़ा उद्योग की तो इसमें भी काफी उछाल आया था। एकाएक धागे के दामों में बढ़ोतरी होती चली गई। यह बढ़ोतरी ही यहां के उद्योगों पर ग्रहण लगाती जा रही है। यहां के कपड़े की जो मांग लगातार बढ़ती जा रही थी, वह उससे भी अधिक गति से कम हो गई है। 50 फीसदी से अधिक धागे के दाम बढ़ने के कारण यहां का कपड़ा उद्योग काफी प्रभावित हुआ है। यहां के उत्पादों की लागत वैश्विक बाजार में मिलने वाली कीमतों के मुकाबले ज्यादा है। इस कारण दूसरे देशों से गुरुग्राम के उद्योगों को वहां से ऑर्डर मिलने में दिक्कतें आ रही हैं।
बांगलादेश समेत कई देशों में है कम कीमत
बता दें कि बांगलादेश समेत बाकी कई देशों में भारतीय बाजार की अपेक्षा कम कीमत पर तैयार माल मिल रहा है। इस कारण कई देशों के व्यापारियों द्वारा वहां पर ऑर्डर दिए जा रहे हैं। यह कह सकते हैं बांगलादेश व अन्य कई देशों में तैयार माल सस्ता होने के कारण गुरुग्राम का कपड़ा उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। अब यहां से तैयार कपड़े के लिए निर्यात में काफी कमी आ गई है।
हर सप्ताह बढ़ रहे धागे के दाम
कपड़ा उद्योग प्रतिनिधियों के मुताबिक पहले 30 सिंगल कॉटन धागा 205 से 210 के दामों पर मिल जाता था, जिसके दाम बढ़कर 303 से 310 रुपये तक हो गये हैं। वहीं 40-सिंगल कॉटन धागा 220 रुपये मिलता था, जोकि अब 340 रुपये तक मिल रहा है। दाम बढ़ने की हालत यह है कि अब धागों व कच्चे माल के दाम हर सप्ताह बढ़ रहे हैं। उद्योग अब ऑर्डर लेते हैं तो वर्तमान के कच्चे माल के दामों के हिसाब से पूरे ऑर्डर की राशि तय होती है। जैसे ही अगले सप्ताह में प्रवेश होता है तो कच्चे माल के दाम बढ़ जाते हैं। इस कारण ऑर्डर को पूरा करने में उद्योगों को भारी नुकसान हो जाता है। माल लेने वाले व्यापारियों और अन्य देशों को जब इस बारे में बताया जाता है तो वे इससे पल्ला झाड़ लेते हैं। उन्हें तय दामों में ही अपना ऑर्डर चाहिए। यहां के उद्योगपति या तो ऑर्डर घाटे में पूरा करें या फिर आॅर्डर कैंसिल करें, यह धर्म संकट हो जाता है।
धागे व कच्चे माल की कीमत बढ़ने से उत्पादन में भी लागत बढ़ रही है। दूसरे कई देशों में ऑर्डर वैश्विक बाजार की कीमतों के हिसाब से मिल रहे हें। ऐसे में हमें बिना मुनाफा कमाए ही ऑर्डर पूरे करने पड़ रहे हैं। अगर ऑर्डर नहीं लेते हैं तो उद्योग बंदी के कगार पर पहुंच जाएंगे।
रमनदीप सिंह, वरिष्ठ उपप्रधान, फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, गुरुग्राम
हमें हर सप्ताह धागों के दाम बढ़ने से ऑर्डर पूरे करने में नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारत के कपड़ा उद्योगों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। धागों एवं कच्चे माल के दाम निर्धारित सरकार द्वारा किये जाएं, ताकि उत्पादन लागत ना बढ़े।
सौरभ जुनेजा, सह-सचिव, फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, गुरुग्राम
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