कुर्सी का महासंग्राम। इंद्रजीत के विरोधी राव नरबीर सिंह का विधानसभा है बादशाहपुर

Gurugram Lok Sabha

गुरुग्राम लोकसभा से सांसद बनाने में ‘बादशाहपुर’ का रहेगा अहम योगदान

सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। क्षेत्रफल और मतदाताओं के हिसाब से हरियाणा का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र बादशाहपुर (Gurugram Lok Sabha) गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार के सांसद बनने में अपनी अहम भूमिका निभाएगा। राव इंद्रजीत सिंह के धुर राजनीतिक विरोधी राव नरबीर सिंह के इस विधानसभा क्षेत्र में इंद्रजीत कितनी सेंध लगा पाते हैं, यह तो समय बताएगा। अगर राव इंद्रजीत सिंह को बीजेपी की टिकट गुरुग्राम लोकसभा से मिलती है तो उन्हें यहां की जनता का विश्वास जीतना भी चुनौती होगी।

वैसे वे यहां जनता की नब्ज टटोलने को लेकर पहले बादशाहपुर में रैली भी कर चुके हैं। लोकसभा का चुनाव जीतकर पूरे चार साल तक जनता से दूर रहने के आरोप केंद्रीय राज्य मंत्री एवं गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत सिंह पर लगते रहे हैं। अगर उन्हें इस बार भी बीजेपी की टिकट मिलती है तोचुनाव जीतने को बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का विश्वास जीतना जरूरी है। प्रदेश का सबसे बड़ा 20 लाख 34 हजार 384 वोटों वाले इस विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज कर पाना इंद्रजीत सिंह के लिए इतना आसान नहीं होगा।

इंद्रजीत का नरबीर से है 36 का आंकड़ा

बादशाहपुर विस से यहां से उनके धुर राजनीतिक विरोधी हरियाणा में कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह से राव इंद्रजीत सिंह का 36 का आंकड़ा है। यह बात जगजाहिर है। गुरुग्राम नगर निगम के चुनावों में इन दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए हर पैंतरा आजमाया था। हालांकि अपने गुट की मेयर बनाकर बाजी राव इंद्रजीत सिंह मार गए थे। उस हार की टीस कहीं न कहीं शायद आज भी राव नरबीर सिंह के जहन में कौंध रही है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उस हार का बदला लेने को राव नरबीर सिंह खुलकर ना सही, लेकिन भीतरी तौर पर राव इंद्रजीत सिंह की खिलाफत तो करेंगे ही। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने तो यहां तक कह दिया कि राव इंद्रजीत सिंह के साथ ऐसा कोई नेता नहीं है, जो कि उनके लिए वोट बैंक तैयार करे। गुरुग्राम से रेवाड़ी तक एक-दो विधायकों को छोड़ दें तो राव इंद्रजीत सिंह के साथ कोई नहीं है।

प्रदेश सरकारों से भी इंद्रजीत के रहते हैं मतभेद

इसका बड़ा कारण यह भी है कि इदं्रजीत सिंह जिस भी सरकार में रहते हैं, उनका प्रदेश सरकार के साथ भी 36 का आंकड़ा रहता है। जब वे कांग्रेस सरकार में केंद्र में मंत्री थे, जब भी मुख्यमंत्री भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के साथ इनकी नहीं बनती थी। अब बीजेपी सरकार में भी मनोहर लाल खट्टर के साथ इनके रिश्ते खराब ही रहे हैं। क्योंकि वे खुद मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। हालांकि उन्हें इसका मौका न तो कांग्रेस ने दिया और बीजेपी में तो वे पांच साल पूर्व ही आए हैं।

अपना राजनीतिक दल भी बना चुके हैं इंद्रजीत

राव इंद्रजीत सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व मार्च 2013 में हरियाणा इंसाफ मंच के नाम से राजनीतिक मंच भी बनाया था। मंच के बैनर तले पटौदी में बड़ी रैली करके उन्होंने अपनी ताकत का जलवा दिखाया था। इस मंच का गठन राव इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस को झटका देकर खुद दक्षिण हरियाणा क्षेत्र के विकास करने की बात कही थी। 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व ही इंद्रजीत सिंह ने बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़ा। उसके बाद से हरियाणा इंसाफ मंच एक तरह से ठप ही पड़ा है।

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