गुरूग्राम(सच कहूँँ/जसवीर सिंह गहल)। 33वें सफाई महा अभियान दौरान डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने स्थानीय एक स्कूल के ग्राउंड का सिर्फ दो घंटों में रूप ही बदल दिया। जो ग्राउंड पहले किसी उजाड़ जगह का भ्रम डाल रहा था, वह मात्र दो घंटों के बाद सुंदर और स्वच्छ नजर आने लगा, जिसे देख मौजूद खिलाड़ियों ने साध-संगत का विशेष तौर पर धन्यवाद किया।
डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई के 138 कार्यों का सिर्फ दिखावा ही नहीं किया जा रहा बल्कि साध-संगत मानवता भलाई के कार्यों को अमली रूप में अंजाम भी दे रही है, इसका सुबूत यहां एक स्कूल के ग्राउंड में उस समय देखने को मिला जब 33वें सफाई महा अभियान के अंतर्गत अलग-अलग राज्यों से यहाँ गुरूग्राम को साफ करने के लिए पहुँचे लाखों डेरा श्रद्धालुओं ने एक स्कूल के ग्राउंड की कुछ घंटों में चमका दिया। एसडी सीनियर सेकैंडरी स्कूल का ग्राउंड और आंगन कोरोना के कारण खेल ग्राउंड की जगह किसी उजाड़ बियाबान का रूप धारण कर चुका था।
सेवा में जुटे सेवादारों ने प्रकट की अपनी, भावनाएं
सेवा कार्य में मोहाली से पहुँची 80 वर्षीय चन्द कौर ने कहा कि ‘‘बेशक उससे चला नहीं जा रहा और पारिवारिक सदस्यों ने भी उसे घर पर ही रहने की सलाह दी थी, परन्तु लंबे अरसे के बाद हो रहे सफाई महा अभियान होने की खबर मिलने पर वह रह नहीं सकी क्योंकि जो खुशी उनको सेवा करने से मिलती है, वह कहने-सुनने से परे है।’’
यूपीएसडी की तैयारी कर रहे नौजवान पद्म इन्सां दिल्ली ने कहा कि ‘‘इन स्कूलों और ग्राऊंडों से देश को डॉक्टर, इंजीनियर, नेता, खिलाड़ी और इमानदार अधिकारी मिलने हैं, इसलिए इनको साफ सुथरा रखना चाहिए। इसी मकसद से ही वह भी सफाई अभियान में कूदे हैं जिससे देश को नयी दिशा और दशा देने वाले पैदा हों।’’
मैडीकल के द्वारा डॉक्टरी की प्रेक्टिस कर रहे धर्मपाल सिंगला ने कहा कि ‘‘कोरोना के कारण चाहे वह मंदी के दौर में से गुजर रहे हैं, परन्तु सफाई अभियान का संदेश मिलने पर उनके पैर अपने आप गुरूग्राम की ओर हो चले।’’
बीएससी की पढ़ाई कर रहे खरड़ निवासी नौजवान गौरव इन्सां और बीकॉम के विद्यार्थी मुनीस इन्सां ने कहा कि ‘‘आसपास का माहौल यदि साफ सुथरा होगा तो ही नौजवान पढ़ाई करके एक अच्छे और तंदरुस्त समाज का निर्माण की करते हुए देश की तरक्की में हिस्सा डाल सकते हैं। परन्तु युवा पीढ़ी आज गलत रास्ते पर चल रही है, जिसे रोकना समय की मुख्य जरूरत है।’’
बनूंड़ की 85 वर्षीय राज बाला इन्सां ने कहा कि ‘‘अब तक हुए सभी सफाई अभियानों में पहुँच कर उसने अपना बनता योगदान दिया है। अब जब शरीर कमजोर हो गया है तो सेवा का संदेश उनमें एक नयी जान डाल देता है और वह सेवा के लिए भागे चले आते हैं।’’
71 वर्षीय रमनदीप कौर बल्लूआना ने बताया कि ‘‘पूज्य गुरू जी द्वारा उनको हमेशा मानवता भलाई के कार्य करने का संदेश ही दिया गया है, जिसे उन्होंने अपने तन का गहना बन रखा है और इस गहने को वह सारी उम्र पहन कर रखेंगे।’’
बरनाला से जगप्रीत इन्सां और लवप्रीत इन्सां ने बताया कि ‘‘इस धरती को पूज्य गुरू जी ने अपने पवित्र चरण टिकाकर पवित्र कर दिया है, इसलिए वह अपने कीमती व्यस्तताओं को छोड़ यहां सफाई के इस महायज्ञ में अपने आप को पवित्र करने पहुंचे हैं। इतना ही नहीं सेवा में मिलने वाली लज्जत न सिर्फ उनको किसी भी कीमत पर न नसीब होने वाली सच्ची खुशी मिलती है बल्कि उनके शारीरिक दुख भी कटते हैं।’’
खिलाड़ियों ने पूज्य गुरू जी और साध-संगत का किया तहदिल से धन्यवाद
वहीं मौजूद धीरज, मनोज और प्रवास आदि खिलाड़ियों के बताने मुताबिक पहले सरकारी और अब प्राईवेट हाथों में चल रहे इस स्कूल का ग्राउंड बेकार हो रहा है, जिसमें उनको भी खेलने नहीं दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद पड़े होने के कारण इसके ग्राउंड में बड़ी मात्रा में घास और बूटी उग आई है। जिस कारण स्कूल और ग्राउंड की हालत दयनीय बन गई थी। परन्तु आज डेरा श्रद्धालुओं ने साफ-सफाई कर फिर इसको खेलने के योग्य बना दिया है। उन्होंने पूज्य गुरू जी और साध-संगत का विशेष तौर पर धन्यवाद किया।
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