शादियों में लेने-देने के रीति-रिवाज पर गुरु जी ने किए वचन

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बरनावा। सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा (यूपी) से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साध-संगत के आॅनलाइन सवालों के जवाब देते हुए उनकी जिज्ञासा को शांत किया।

शादी करते समय किन बातों का ध्यान रखें? | Ram Rahim

सवाल : गुरु जी आजकल शादियों में लेने-देने के रीति-रिवाज इतने ज्यादा बढ़ चुके हैं कि माता-पिता बेटी के पैदा होते ही सोच लेते हैं कि वो लाखों रुपये अपनी बेटी की शादी में लगाएंगे। कई बार वो इतना बेटी की पढ़ाई में नहीं लगाते जितना कि उसकी शादी के लिए बचाते हैं। इस पर प्लीज गाइड करें।

पूज्य गुरु जी का जवाब : बेटी को पढ़ा लिखाकर पैरों पर खड़ा करना एक ऐसा दहेज है जो ज़िंदगीभर उसके साथ रहेगा। आप थोड़ा बहुत दे दोगे, भीड़ पड़ने पर वो खर्च हो जाएगा, क्या रह गया? अगर पढ़ा लिखाकर, उसको नौकरी लगा दिया या कोई बिजनेस व्यापार में ट्रेंड कर दिया।

यानि जो भी उसको अच्छे कामों का तर्ज़ुबा दिलवा दिया वो उसके दिमाग में पूरी ज़िंदगीभर रहेगा और वो ज़िंदगीभर कमाती रहेगी और आपकी बेटी का भी अदब-सत्कार, जिसे घर में जाएगी और ज्यादा होगा। क्योंकि माया रानी का सत्कार ज्यादा होता है इन्सान का कम। तो इसलिए बिटिया को पढ़ाओ, लिखाओ, उस पर ज्यादा खर्च करो। दहेज में चाहे नाममात्र दो या चाहे ना ही दो तो भी चलेगा। क्योंकि वो बेटी अपने आप कमा रही है, अपने पैरों पर खड़ी है। तो बेमिसाल होगा कि अगर आप अपनी बेटी को पढ़ाने में खर्च करें, ना कि वैसे जोड़-जोड़कर रखने में।

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