गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव की जीत कांग्रेस को आक्सीजन देने का काम करेगी। इस जीत से न तो संसद का गणित बदलेगा और न ही राष्ट्रीय राजनीति के समीकरण, फिर भी इस उपचुनाव परिणाम को महज स्थानीय मान लेना राजनीतिक समझदारी नहीं होगी। इस जीत से पूर्व कांग्रेस ने महाराष्ट्र के नांदेड़ महानगरपालिका चुनाव में बड़ी जीत हासिल की।2014 में कांग्रेस की बुरी शिकस्त के बाद देश के कई राज्यों से कांग्रेस की सत्ता सिमट गयी। इस साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब में सत्ता हासिल करने में कामयाबी पाई थी। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले मिली इस जीत से कांग्रेस बेहद उत्साहित है। माना जा रहा है कि पार्टी इस नतीजे को केंद्र सरकार के फैसलों खासकर जीएसटी के खिलाफ जनता की प्रतिक्रिया बताते हुए सरकार के खिलाफ हमले को तेज करेगी।
पंजाब से सटे पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। ऐसे में गुरदासपुर की जीत से कांग्रेस को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलना लाजिमी है। कांग्रेस नेता हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान गुरदासपुर की जीत को भुनाने की हरसंभव कोशिश करेंगे। उपचुनाव में केवल 56 फीसदी वोटिंग हुई। नतीजे बताते हैं कि सात महीने पुरानी कांग्रेस की सरकार के खिलाफ लोगों में कोई बड़ी नाराजगी नहीं थी। ये साफ है कि लोग कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के बारे में कोई राय बनाने से पहले उन्हें थोड़ा वक्त देना चाहते हैं।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना ने भारतीय जनता पार्टी की टिकट गुरदासपुर एक लाख से भी अधिक अंतर से जीती थी। उन्हीं के निधन के चलते उपचुनाव कराना पड़ा। बेशक इस बीच पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों में इसी साल शिरोमणि अकाली दल-भाजपा को हराकर कांग्रेस ने सत्ता में जोरदार वापसी की, लेकिन उसके बावजूद गुरदासपुर उपचुनाव में ऐसे नतीजे का विश्वास तो किसी को भी नहीं रहा होगा। कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जाखड़ ने भाजपा प्रत्याशी स्वर्ण सलारिया को लगभग दो लाख वोटों के अंतर से हराया।
इस जमीनी सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि विरासत में मिली खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के चलते अमरेंद्र सिंह सरकार तो अभी तक कोई ऐसा उल्लेखनीय काम कर ही नहीं पायी है, जिसके पक्ष या विपक्ष में बड़े पैमाने पर जनमत उद्वेलित हो। पिछले एक साल में नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक मोदी सरकार ने अवश्य कई ऐसे काम किये हैं, जिन पर जनसाधारण में तीव्र प्रतिक्रिया साफ देखी जा सकती है। बेशक पंजाब की पूर्ववर्ती अकाली-भाजपा सरकार की कारगुजारियों तथा हाल ही में पूर्व अकाली मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह के विरुद्ध दुराचार सरीखे आरोपों ने भी इस उपचुनाव नतीजे में भूमिका निभायी होगी।
आम आदमी पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन भी सोचने को मजबूर करता है। जो पार्टी छह महीने पूर्व प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही थी। आज उसके उम्म्ीदवार इतनी दुर्गति क्यों हुई। आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई के अध्यक्ष एवं सांसद भगवंत मान ने हार के कारणों की समीक्षा करने की बात कही। इसमें दो राय नहीं कि इस जीत से कांग्रेस और राज्य की राजनीति में सुनील जाखड़ का कद बढ़ेगा। कैप्टन अमरेंद्र सिंह को भी इसका श्रेय मिलना ही चाहिए।
गुरदासपुर सीट गंवाने के बाद भाजपा को अब जरूरत है, इस उपचुनाव परिणाम में निहित संकेत-संदेश को सही अर्थों में समझने की। गुरदासपुर की जीत का संदेश उत्तर भारत के हिमाचल से पश्चिम के गुजरात तक पहुंचने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। राहुल जिस तरीके की राजनीति इन दिनों कर रहे हैं, उसमें यह जीत दम भरने का काम करेगी।
-आशीष वशिष्ठ