गुजरात: चुनाव में जीत के बाद मोदी का आज पहला दौरा: मां से आशीर्वाद लेंगे

Gujarat: Modi's first tour after victory in elections: Will bless mother

कार्यकर्ताओं को संबोधित भी करेंगे

मोदी 23 अप्रैल को वोट डालने अहमदाबाद गए थे, उस दौरान मां से भी मिले थे

अहमदाबाद। लोकसभा चुनाव में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह रविवार को गुजरात जाएंगे। यहां मोदी (Gujarat: Modi’s first tour after victory in elections: Will bless mother) अपनी मां हीराबेन का आशीर्वाद लेंगे और कार्यकर्ताओं को भी संबोधित करेंगे। इससे पहले मोदी 23 अप्रैल को अहमदाबाद गए थे। वोट डालने से पहले उन्होंने मां से मुलाकात की थी।

गुजरात प्रदेश भाजपा प्रमुख जीतू वाघाणी के मुताबिक- मोदी और शाह आज शाम को अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां पार्टी नेताओं, समर्थकों और कई धार्मिक-सामाजिक संगठन के लोगों द्वारा उनका स्वागत किया जाएगा। मोदी एयरपोर्ट के पास स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति पर माल्यार्पण करेंगे।

मोदी चुने गए एनडीए संसदीय दल के नेता

मोदी को शनिवार को एनडीए संसदीय दल का नेता चुना गया। नेता चुने जाने के बाद मोदी ने वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल के पैर छुए। शाह और बादल ने मोदी को संसदीय दल का नेता चुनने का प्रस्ताव रखा। इसका सभी सहयोगी दलों और सांसदों ने समर्थन किया। बैठक में मोदी ने सभी सांसदों को नया नारा दिया- सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को अब तक भ्रम में रखा गया, उनके साथ छल किया गया। इस छल में छेद करना है।

बैठक के बाद मोदी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया। इससे पहले एनडीए के प्रतिनिधिमंडल ने कोविंद को संसदीय दल का नेता चुने जाने का पत्र सौंपा। एनडीए के इस बार 352 सांसद हैं, जिसमें से 303 अकेले भाजपा के हैं।

‘इस चुनाव ने दीवारें तोड़ने और दिल जोड़ने का काम किया’

मोदी ने कहा, “आचार्य विनोबा भावे कहते थे कि चुनाव बांट देता है। यह दूरियां पैदा करता है, दीवार बनाता है, खाई बना देता है, लेकिन इस चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है। 2019 के चुनाव ने दिलों को जोड़ने का काम किया है। ये चुनाव सामाजिक एकता का आंदोलन बन गया। समता भी, ममता भी। समभाव भी, ममभाव भी। समता और ममता से चुनाव को नई ऊंचाई मिलीं। भारत के लोकतांत्रिक जीवन में देश की जनता ने एक नए युग का आरंभ किया है और हम इसके साक्षी हैं। रचयिता हैं, इसका दावा नहीं करते। साक्षी भाव से इन चीजों को देखेंगे और समझेंगे तो जन सामान्य की आशा-अपेक्षाओं के अनुसार हम अपने जीवन को ढाल पाएंगे।”

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