केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल न्यूज के लिए गाइडलाइन जारी की है। सरकार ने कहा कि आलोचना और सवाल करने की आजादी है, लेकिन सोशल मीडिया के करोड़ों यूजर्स की कंटेट को लेकर की जाने वाली शिकायतें निपटाने के लिए भी एक फोरम होना चाहिए। सोशल मीडिया पर अगर किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट की शिकायत मिलती है तो इसे 24 घंटे में हटाना होगा। वहीं, देश की सुरक्षा जैसे मामलों से जुड़ी जानकारी शेयर करने पर फर्स्ट आॅरिजिन भी बताना होगा। किसी की आपत्तिजनक तस्वीर पोस्ट की जाती है तब शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर कंटेंट हटाना होगा। कुछ लोगो के कारण सोशल मीडिया समाज के लिए खतरा बन गया है।
सोशल मीडिया का गलत तरीके से उपयोग कर कुछ लोग गलत और भ्रमित जानकारी फैलाकर लोगों मे नाकारात्मक भावना पैदा कर देते हैं। कारणवश समाज में दंगे हो जाते हैं, कई परिवार बेघर हो जाते हैं। आजकल विद्यार्थी अपना समय सोशल मीडिया पर बर्बाद करते नजर आते हैं। अगर सोशल मीडिया का हम सदुपयोग करें, तो इसका बहुत ही प्रभावी और सकारात्मक असर हो सकता है। जैसे निर्भया केस में पीड़िता के पक्ष में जनमत तैयार करने में सोशल मीडिया की प्रमुख भूमिका रही है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए समाजकंटकों ने सोशल मीडिया को भ्रामक विचारों और अफवाहों को प्रसारित करने का साधन मात्र बनाकर रख दिया है। सोशल मीडिया से राजनीति के क्षेत्र में भी तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगती। कई अपराधियों ने भी पकड़े जाने पर स्वीकार किया है कि उन्होंने अपराध का तरीका सोशल मीडिया पर देखकर ही सीखा था।
निजता की स्वतंत्रता का संबंध प्रिंट मीडिया व इलैक्ट्रोनिक मीडिया के साथ भी है जहां समाचार की जांच पत्रकार से लेकर संपादक के स्तर तक होती है। इस कड़ी में उप-संपादक, वरिष्ठ उप-संपादक और समाचार संपादक तक शामिल होते हैं जो समाचार के तथ्यों की पुष्टि करते हैं लेकिन सोशल मीडिया में ऐसा कुछ भी नहीं। यहां सोशल मीडिया पर नियंत्रण भी इसका पूरा समाधान नहीं। यहां समस्या नियम लागू करने की प्रक्रिया की नहीं बल्कि नीयत की है। हमारे देश में कानून का दुरुपयोग आम बात है। देशद्रोह के कानून का दुरुपयोग आम हो रहा है।
असंख्य मामलों में अदालतों ने पुलिस द्वारा दर्ज देशद्रोह के मुकदमें खारिज किए हैं। सामान्य रूप से किसी कानून को लागू करना आसान होता है लेकिन उसका दुरुपयोग रोकने के लिए लम्बी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। आजादी और आजादी का दुरुपयोग में अंतर का काम भी चुनौतीपूर्ण है जिसके बारे में सरकार की प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी की आवश्यकता है। एक गलती को रोकने के लिए एक और गलती भी नहीं होनी चाहिए। समाज में फैली अच्छाई या बुराई का बीज तो मनुष्य में ही है। हमें अपने अंदर बदलाव लाने की जरूरत है। सही इस्तेमाल हो तब सोशल मीडिया समाज की उन्नति में अहम तकनीक है।
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