7 दिन में अपलोड करना होगा ई-चालान,
नई दिल्ली। सरकार ने 100 करोड़ रुपए से अधिक या उसके (GST Rule) बराबर वार्षिक कारोबार वाले कारोबारियों के लिए जीएसटी को लेकर एक नया नियम जारी किया है। सरकार ने टैक्सपेयर्स के लिए ई-चालान आईआरपी पोर्टल पर पुराने चालान की रिपोर्टिंग पर एक समय सीमा लगाने का फैसला किया है। वर्तमान में कारोबारी इनवॉइस पंजीकरण पोर्टल पर वर्तमान तिथि पर ऐसे चालान अपलोड करते हैं, भले ही ऐसे चालान जारी करने की तिथि कुछ भी हो। उन्हें 7 दिनों के भीतर आईआरपी पर अपना इलेक्ट्रॉनिक चालान अपलोड करना होगा और यह नियम 1 मई से लागू होगा।
जीएसटीएन नेटवर्क के मुताबिक, समय पर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए इस कैटेगरी के करदाताओं को रिपोर्टिंग की तारीख पर 7 दिनों से अधिक पुराने चालानों की रिपोर्ट करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। टैक्सपेयर्स को इस आवश्यकता का अनुपालन करने के लिए पर्याप्त समय देने के लिए यह नया नियम 1 मई, 2023 से लागू किया जाएगा। यह प्रतिबंध चालान पर लागू होगा और डेबिट/क्रेडिट नोट्स की रिपोर्टिंग पर कोई समय प्रतिबंध नहीं होगा।
जीएसटीएन ने कहा कि अगर किसी चालान की तारीख 1 अप्रैल, 2023 है, तो उसे 8 अप्रैल, 2023 के बाद रिपोर्ट नहीं किया जा सकता है। चालान पंजीकरण पोर्टल में वेरिफिकेशन सिस्टम 7-दिन की अवधि के बाद ग्राहकों को चालान की रिपोर्ट करने से रोक देगी। इसलिए टैक्सपेयर्स के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वे नई समय सीमा द्वारा प्रदान की गई 7 दिन के अंदर चालान की रिपोर्ट करें।
आईटीसी का लाभ कारोबारियों को नहीं
जीएसटी कानून के अनुसार यदि आईआरपी पर चालान अपलोड नहीं किए गए हैं तो कारोबारी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं उठा सकते हैं। यह तकनीक परिवर्तन बड़ी कंपनियों द्वारा ई-चालान की बैकडेटिंग को रोक देगी। बड़े टैक्सपेयर्स के लिए इसे लागू करने के बाद, सरकार से स्टेप-बाई-स्टेप तरीके से सभी करदाताओं के लिए इन नियमों को लागू करने की उम्मीद है।
इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस जनरेट करना जरूरी
बता दें कि वर्तमान में, 10 करोड़ रुपए और उससे अधिक के टर्नओवर वाले व्यवसायों को सभी बी2बी लेनदेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस जनरेट करना आवश्यक है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) कानून के तहत, 1 अक्टूबर, 2020 से 500 करोड़ रुपए से अधिक के टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के लिए ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया था, जिसे बाद में 1 जनवरी, 2021 से प्रभावी 100 करोड़ रुपए से अधिक टर्नओवर वाले लोगों के लिए बढ़ा दिया गया था।
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