अमृतदायिनी हरी सब्जियां भी अब हो गई हैं जहरीली

Green vegetables are now poisonous

आबोहवा के बाद अब हरी और पत्तेदार सब्जियां भी मानव स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो रही है। बच्चे से बुजर्ग तक विभिन्न बीमारियों के दौरान चिकित्सक हरी और पत्तेदार सब्जियों को जीवनदायी बता कर सेवन करने की सलाह देते है मगर यही सब्जियां अब हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही है। मिर्च मसाले, दालें, अनाज और खाने पीने की वस्तुएं तो पहले ही मिलावटी मिल रही थी। वायु प्रदूषण से हमारा सांस लेना जहर हो गया है। अब रही सही कसर प्रदूषित और खतरनाक रसायनों से युक्त हरी सब्जियों ने पूरी करदी है। हरी सब्जियों का हमारे भोजन और पोषण में बहुत महत्व है। हरी सब्जियां विटामिन, प्रोटीन और मिनरल से भरपूर होती हैं। यह शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत करती हैं। शरीर के उचित विकास के लिए पत्तेदार हरी शाक-सब्जियां लाभदायक होती है। स्वास्थ्य के लिए अमृत कही जाने वाली हरी सब्जियां भी अब जहरीली हो गयी हैं।

स्वस्थ व सेहतमंद रहने, बीमारियों से बचने और वजन घटाने में हरी सब्जियों का प्रयोग किया जाता है। बाजारों में बिक रही सब्जियों व फलों में बड़े पैमाने पर कीटनाशक का प्रयोग किया जा रहा है। जिसका मानव शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। आज हर कोई हर दिन बाजार से कीटनाशक के छिड़काव वाली जहरीली सब्जियां खरीदता है। हम अपने खाने में हर दिन किसी न किसी रूप में जहर खा रहे हैं। शुद्ध हरी सब्जियों का मिलना आज मुश्किल हो गया है। खेती में बढ़ते उर्वरकों के प्रयोग से सब्जियां दूषित हो रही हैं। स्वास्थ्य सुधार के लिए हरी सब्जियों का सेवन कर रहे नागरिकों के स्वास्थ्य पर यह सब्जियां प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग ने सब्जियों का स्वाद बिगाड़ दिया है। लौकी, तुरई, पालक, फूलगोभी, पत्तागोभी आदि सब्जियों में तरह तरह की रायायनिक खाद के साथ ही जहरीले कीटनाशक मिला कर खुलेआम बेचा जा रहा है। हम न चाहते हुए भी जहरीली सब्जियां खाने को मजबूर हैं । बाजारों ,सड़क किनारों और ठेलों पर हमें हरी सब्जियां देखने को मिल जाती है मगर हम में से अधिकांश को यह पत्ता नहीं है की ये सब्जियां जहरीली है। जो सब्जियां हम खा रहे हैं वे प्रदूषित है क्योंकि आलू, बैंगन, अरवी, साग, मूली, भिंडी और फूल गोभी के भीतर छिपा बैठा है जानलेवा जहर। इन सब्जियों के सेवन से कैंसर, पेट दर्द एवं कई बीमारियां फैल रही हैं। रसायनयुक्त सब्जियों को खाने से फेफड़ों में इंफेक्शन, अल्सर, कैंसर और एलर्जी जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं।

एक सर्वे बताता है कि देश के करोड़ों लोग ऐसे फल व सब्जियां खा रहे हैं, जो किसी भी लिहाज से हमारे शरीर में जाने के योग्य नहीं हैं। ये फल व सब्जियां कीटनाशकों (पेस्टिसाइड) का प्रयोग कर विकसित की जा रही हैं। दुकानदार परवल, तुरई, लौकी, भिंडी,अदरख आदि को ताजा बनाए रखने के लिए इन्हें रसायन युक्त पानी से धोते हैं। इससे सब्जी दिखने में अधिक ताजी और हरी-भरी दिखाई देती है। तालाब एवं गंदे पानी में सिंघाड़ों की खेती के लिए भी खतरनाक रसायन व दवाएं पानी में डाली जाती हैं। भिंडी, करेला, परवल, मटर आदि रंगों व रसायन के प्रयोग के बिना इतने चमकदार नहीं दिख सकते, इसलिए ज्यादातर कारोबारी कैल्शियम कार्बाइड को पुडियों में डाल कर फलों के ढेर के बीच में रख देते हैं। केले एवं पपीते को रसायन में डुबो कर पकाया जाता है जो जहर बनकर सीधे शरीर में प्रवेश कर जाता है।

खेतों में पैदा की जा रही रसायनयुक्त सब्जियों के अलावा देश के अधिकांश नगरीय क्षेत्रों में गंदे पानी से सब्जियां उगाई जा रही है। शासन प्रशासन के रोकथाम के प्रयास सिरे नहीं चढ़ रहे है। आम आदमी इस सम्बन्ध में जागरूक नहीं है। चमकीली सब्जियां देखते ही हम लेने के लिए ललचाते है और यह नहीं देखते कि ये सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मगर हमारे पास लेने के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है। आम आदमी आज ताजा सब्जियों की चाह में बीमारी और मौत खरीद रहा है। असल में बहुत से रसायनों के कारण कई सब्जियां अपना रंग ज्यादा गहरा कर लेती हैं और बाद में इनके सेवन से आपके पेट में अल्सर या गैस जैसी समस्या पैदा हो जाती है। यह धीमा जहर है जो सब्जियों के रास्ते हमारे शरीर में पहुंचकर विभिन्न बीमारियों से हमें जोड़ता है। सब्जियों में छिड़के जाने वाले ये केमिकल जब शरीर में प्रवेश करते हैं तो हायपरटेंशन, डिप्रेशन, माइग्रेन, अस्थमा और त्वचा संबंधी कई बीमारियों को जन्म देते हैं। यह भी सच है भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में हमें यह देखने और सोचने की फुर्सत नहीं है कि हमें क्या खाना है और क्या नहीं।

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