Kisan News: ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए किसानों को सरकार की तरफ से अनुदान भी दिया जा रहा है, इसके तहत मशरूम इकाइयों की लागत करीब 20 लाख रुपये निर्धारित की गई है, इस लागत पर 50 प्रतिशत सब्सिड्डी दी जाती है, जिसके तहत किसानों को 10 लाख रुपये तक का अनुदान प्रदान किया जाता है। बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने, भूमिहीन किसानों को भी रोजगार से जोड़ने के लिए बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में अब मशरूम की खेती का चलन तेजी से पैर पसार रहा है।
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दरअसल मशरूम वह हेल्दी फूड है, जिसका सेवन करना सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है, इसमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को अंदर से मजबूती प्रदान करते हैं। सबसे खास बात ये है कि छोटे रकबे वाले किसान भी कम जगह में मशरूम की खेती कर बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं, ये खेती भूमिहीन किसानों के लिए लाभ का धंधा बन सकती है, उद्यानिकी विभाग के अधिकारी पीएल अहिरवार ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना से जुड़ने के लिए आप एमपी आॅनलाइन के माध्यम से www.fsts.com पर आवेदन कर सकते हैं। Kisan News
आपको बता दें कि दमोह जिले के हिंडोरिया के रहने वाले युवा किसान अतुल धनकर ने पिछले साल मशरूम की खेती कर कम लागत में ही अधिक प्रॉफिट कमा लिया था, इस मशरूम की खेती करने के लिए अतुल को जमीन की जरूरत ही नहीं पड़ी बल्कि अतुल ने कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मनोज अहिरवार की मदद से घर की चार दिवारी के अंदर ही खेती करना शुरू कर दिया, जिसे करने में महज 4 से 5 हजार रुपये का खर्चा आया था और इस मशरूम को बाजार में बेचने पर अतुल को 8 से 9 हजार रुपये का प्रॉफिट हुआ था।
वहीं मशरूम की खेती की शुरूआत करने से पहले युवा अतुल जबलपुर गया हुआ था, जहां उसने कृषि विज्ञान केंद्र दमोह के अधिकारियों के साथ 1 दिन की ट्रेनिंग ली थी, इस खेती को करने के लिए एक सर्कल में लगभग 40 से 50 रुपये की लागत आती है। एक पैकेट में करीब 2 किलो भूसा आता है, 200 ग्राम स्पॉन लगता है, 25 दिन में पहली फसल आ जाती है, 1 सर्कल में 2 से ढाई किलो मशरूम निकलता है, जो लोकल बाजार में 150 से लेकर 160 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है।