कलम विधि (Grafting)
आज जहां देशी साधारण बीजों से सब्जी तथा फलों के उत्पाद में कमी आ रही है। इसे हम कलम विधि द्वारा इस कमी को पूरा कर सकते है और अधिक पैदावार ले सकते है। इतना ही नहीं इस विधि द्वारा हम एक ही पौधे से दो अलग-अलग प्रकार की सब्जी या फल ले सकते है। यानी की ‘‘एक पंथ दो काज’’ दुगना फायदा। अत: वर्तमान में सब्जी उत्पादन को बढ़ाने हेतु नये आयामों का प्रयोग करना आवश्यक है। जिसमें कलम विधि के प्रयोग से हम एक पौधे से दो अलग प्रकार की सब्जी का उत्पादन कर सकते हैं, जैसे आलू के पौधे से कलम विधि द्वारा टमाटर व आलू प्राप्त करना। ग्राफ्टिंग या ग्राफ्टेज, कलम विधिद्ध एक बागवानी तकनीक है, जिसमें पौधों के ऊतकों को शामिल किया जाता है
महत्व
एक बीज से अपने मूल किस्म के पेड़ को पुन: पेश करना असंभव है। कलम बांधने का काम इसका एक मात्र रास्ता है। कलम बांधने का काम इसीलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सब्जी की किस्मों का प्रसार करने के लिए एक मात्र रास्ता है। नई तकनीक से ग्राफ्टिंग किए गए पौधों में अन्य पौधों की तुलना में बीमारियां कम लगती हैं। इस विधि से लगाए पौधों में कीड़े-मकोड़े भी कम लगते हैं। इसका उत्पादन भी ज्यादा आता है। यह विधि आसान है किसान इसे शीघ्र सीख सकते हैं।
उपकरण
- ग्राफ्टिंग चाकू
- प्रूनिंग कतरनी
- प्रसुप्त वंशज लकड़ी (कलम )
- ग्रॅफटिंग टेप
कलम बांधना | Grafting
- वंशज (कलम) लकड़ी का चयन।
- वंशज लकड़ी सर्दियों में एकत्र की जानी चाहिए।
- वंशज लकड़ी स्वस्थ और वायरस मुक्त पौधों से ली जानी चाहिए।
- वंशज लकड़ी पिछले साल के विकास से लिया जाना चाहिए।
- वंशज लकड़ी इंच व्यास की होना चाहिए।
- वंशज लकड़ी पंप कलियां (आँख) होनी चाहिए।
ग्राफ्टिंग कब की जानी चाहिए | Grafting
ग्राफ्टिंग को अधिकांश सर्दियों और जल्दी वसंत ऋतु में किया जाता है, जब वंशज लकड़ी और रूटस्टॉक्स दोनों निष्क्रिय होते हैं। कलम बांधने का काम बड ब्रेक तक जारी रखा जा सकता है।
विधियाँ
शिरोबंधन: यह सबसे सरल विधि है। इस विधि में उपरोपिका तथा मूलवृंत के लिए एक ही व्यास के तने चुने जाते हैं। फिर दोनों को एक ही प्रकार से तिरछा काट दिया जाता है। कटान की लंबाई लगभग 1-5 इंच रहती है। फिर दोनों को दृढ़ता से बाँधकर ऊपर से पोलिथिन की पन्नी चढ़ा दी जाता है। या आप पोलिथिन की जगह टेप का भी उपयोग कर सकते है।
लोकल टमाटर पर हाईब्रिड टमाटर की कलम
पहले लोकल टमाटर का प्लांट किया जाएगा। पौधा तैयार होने पर उसी साइज के तने वाले हाईब्रिड की कलम उस पर ग्राफ्टिंग कर दी जाएगी। इसके ऊपर टेप और प्लास्टिक क्लिप लगा दी जाती है। इसके बाद ग्राफ्ट किए गए पौधे को 24 घंटे के लिए अंधेरे में रखा जाता है। इसके बाद इसे लगाने के लिए तैयार हो जाती है। एक दिन में एक व्यक्ति 5 से 6 हजार पौधे ग्राफ्ट कर सकता है।
इस तकनीक को टमाटर के अलावा शिमला मिर्च बैंगन और खीरे पर भी कारगर माना गया है। 8608 हैक्टेयर भूमि पर होता है, सब्जी उत्पादन सोलनजिला में 8608 हेक्टेयर भूमि में 2 लाख 67 हजार टन सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश में कुल टमाटर उत्पादन का 60 फीसदी टमाटर सोलन जिला में पैदा होता है। यहां की आर्थिकी टमाटर पर टिकी है। सोलन जिला में 4321 हैक्टेयर भूमि पर टमाटर की खेती की जाती है।
पायलट बेस प्रोजेक्ट
इस परियोजना के तहत प्रदेशों में पॉयलट बेस पर प्रोजेक्ट चलाया गया। इसके तहत सोलन में भी ग्राफ्टिंग तकनीक टमाटर, शिमला मिर्च, बैंगन खीरा पर लगाई गई, जो सफल रही। आने वाले दिनों में किसानों को इस उन्नत तकनीक का लाभ मिलेगा। बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में अग्रणी सोलन जिला में अब जापान की ग्राफ्टिंग तकनीक से सब्जियों के उत्पादन को और अधिक हाईटैक किया जा रहा है। सोलन में ग्राफ्टिंग तकनीक पर किए गए प्रयोग सफल रहा।
इससे यहां के किसान अब जापान की आधुनिक कृषि तकनीक से खेती करेंगे। इससे उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आर्थिकी भी मजबूत होगी। देश में सोलन जिला बेमौसमी सब्जी उत्पादन पहले पॉयदान पर है। इसके अलावा यहां मक्की, धान, गेंहू दलहन फसलों का भी उत्पादन किया जाता है।
यह है ग्राफ्टेड बैंगन
- ग्राफ्टेड बैंगन का पौधा सामान्य तौर पर कलम विधि से तैयार किया जाता है।
- इसका निचला हिस्सा सामान्य बैगन के ऊपर का हिस्सा हाइब्रिड तरीके के उगाया गया होता है।
- सामान्य तौर पर जहां सामान्य बैगन का उत्पादन प्रति एकड़ 40 टन होता है ।
- तो वहीं नई विधि में यह 180.200 टन होता है।
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