बटाला में पटाखा फैक्ट्री में धमाके से करीब 23 लोगों की मौत हो गई। प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रानिक, सोशल मीडिया में तुरंत प्रतिक्रिया भेज दी। सन्नी देयोल, जोकि गुरदासपुर से सांसद हैं वह भी पीछे नहीं रहे, उन्होंने भी कहा एनडीआरएफ की टीम मौके पर भेज दी है। लेकिन कोई इस बात का जवाब क्यों नहीं देता कि फैक्ट्री सरकारी नियम कायदों को ताक पर रखकर क्यों चल रही थी? क्योंकि पंजाब भर में ये फैक्ट्रीज चल रही हैं जिनमें प्रदूषण, सुरक्षा, विस्फोटक रखने की अनुमति कैसी व किस हाल में है, यह कोई नहीं जानता। पंजाब ही नहीं तामिलनाडु का शिवकाशी, राजस्थान का भरतपुर, उड़ीसा भी यही सब भुगत रहे हैं। केन्द्र व राज्य सरकारें उदासीन बनी हुई हैं। हादसे क्रमवार एक के बाद एक घटित हो रहे हैं।
बटाला में स्थानीय लोग कई बार जनप्रतिनिधियों व प्रशासन से उक्त पटाखा फैक्ट्री के बारे मेें शिकायत कर चुके थे लेकिन वह भ्रष्टाचार था, या प्रशासनिक अनदेखी या सरकार की न सुनने की आदत थी जिसने कई लोगों की जान ले ली। इस पटाखा फैक्ट्री के अलावा हर साल बाढ़ आ जाना, गेहूँ व धान के अवशिष्ट जलाना, नशा तस्करी ऐसे हो रहे जैसे कहीं कोई सरकार या उसकी जिम्मेवारी ही नहीं है। अभी केन्द्र सरकार ने सड़क सुरक्षा के लिए वाहनों के कानून तोड़ने पर जुर्माने इतने ज्यादा बढ़ा दिये हैं कि वह भ्रष्टाचार को ही बढ़ाएंगे जबकि जुर्माने भले कम हों लेकिन प्रशासन चुस्त व ईमानदार हो तो कोई भी नागरिक कानूनों या उल्लंघन नहीं कर सकेगा। परन्तु सरकारें तो अतिक्रमण, पर्यावरण प्रदूषण, नशा तस्करी, अवैध खनन सब होने देती हंै या फिर एकदम आमजन से टूट पड़ती हैं
। पंजाब में नशा तस्करी रोकने का अभियान बड़े जोर शोर से चलाया गया, जिसके परिणाम भी मिले तस्कर भाग खड़े हुए। लेकिन अब प्रशासन ढीला पड़ चुका है व सरकार भी उदासीन हो रही है। पंजाब में नशा तस्करी फिर से सुर्खियां बन रही है, लोग सरेआम आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस तस्करों पर कार्रवाई नहीं कर रही। हादसे या सामाजिक अपराध एकदम से नहीं होने लगते इन्हें मौका दिया जाता है और जनता को झेलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बटाला हादसे से सरकार को सीख लेकर प्रदेश भर में ऐसी अवैध फैक्ट्रीज पर कार्रवाई करनी चाहिए। अवैध पटाखा फैक्ट्रीज पर कार्रवाई से जहां सरकार को आय होगी वहीं पर्यावरण प्रदूषण, आगजनी व जानमाल से भी बचाव होगा। अन्यथा सरकारी पीआरओ, ट्वीटर जी को पीड़ितों को सांत्वना व दोषियों पर कार्रवाई करने के नए ब्यान प्रसारित करने पड़ेंगे, जो देश, समाज व नागरिकों के शायद किसी काम के नहीं।