भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में 15 अगस्त की तरह ही 9 अगस्त की तारीख भी एक राष्ट्रीय महत्व की तारीख है | Muzaffarnagar News
- तकरीबन सौ वर्ष चले इस स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत में भी हमारे मेरठ की प्रमुख भूमिका रही
मुजफ्फरनगर (सच कहूं/रविंद्र सिंह)। Muzaffarnagar News: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू)संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में 15 अगस्त की तरह ही 9 अगस्त की तारीख भी एक राष्ट्रीय महत्व की तारीख है। उन्होंने कहा कि मेरा भारत सरकार से आग्रह है कि इस तारीख को संज्ञान में ले और इसे राष्ट्रीय क्रांति दिवस के रूप में राष्ट्रीय पर्व घोषित करे।
सच कहूं संवादाता से बातचीत के दौरान भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 1942 में 9 अगस्त को बापू के अंग्रेजों भारत छोड़ो के आह्वान पर करो या मरो के संकल्प के साथ स्वतंत्रता हासिल करने के लिए सम्पूर्ण देश सड़क पर उतर पड़ा। केवल अंग्रेजों की वेतनभोगी जमात इस संग्राम में शामिल नहीं थी। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से देश पर काबिज अंग्रेजों का नियंत्रण समाप्त हो गया।और हम भारतीयों ने जगह-जगह तिरंगा फहरा कर अपने को स्वतंत्र घोषित कर दिया।
पांच वर्षों तक लगातार चले इस संग्राम से भयभीत हुए थे अंग्रेज
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू)के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि लगभग पांच वर्षों तक लगातार चले इस संग्राम की वजह से भयभीत अंग्रेजों ने 14 ओर 15 अगस्त की रात बारह बजे भारत की व्यवस्था भारतीयों के हाथ में सौंप दी गई। जिसकी वजह से 15 अगस्त को हर भारतवासी ने स्वतन्त्र हवा में सांस लिया। इसे लेकर, हर भारतवासी 15 अगस्त की तारीख को स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय पर्व के रूप में याद करता है।
स्वतंत्रता संग्राम में मेरठ की रही प्रमुख भूमिका | Muzaffarnagar News
किसान नेता श्री टिकैत ने कहा कि तकरीबन सौ वर्ष चले इस स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत में भी हमारे मेरठ की प्रमुख भूमिका रही। इसके अलावा नमक सत्याग्रह और अंग्रेजों भारत छोड़ो में भी अहम भूमिया रही है। यह हम सभी देश वासियों के लिए बेहद खुशी की बात है।
स्वतंत्रता संग्राम में अनगिनत भारतीय शहीद हुए
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि इस स्वतंत्रता संग्राम में अनगिनित भारतीय शहीद हुए, अकूत धन संपत्ति की क्षति हुई, लेकिन 9 अगस्त 1942 से पहले कभी एक साथ पूरा देश नहीं खड़ा हुआ। इससे पहले कभी देशी राजा इस संग्राम को चलाए तो कभी किसी समूह ने, कभी किसी इलाके ने, कभी क्रांतिकारियों ने तो कभी कांग्रेस ने संग्राम को चलाया। Muzaffarnagar News
भारत के सभी लोग 9 अगस्त को इस संग्राम में शामिल हुए
उन्होंने कहा कि सबसे खास ओर महत्वपूर्ण बात यह है कि 9 अगस्त 1942 को अंग्रेजों के वेतनभोगियों के अलावा भारत के सभी लोग इस संग्राम में शामिल हुए। और वह भी एक दो दिन के लिए नहीं, बल्कि स्वतंत्रता मिलने तक शामिल रहे। इसलिए, 9 अगस्त की तारीख को राष्ट्रीय क्रांति दिवस के रूप में राष्ट्रीय पर्व का सम्मान मिलना चाहिए।
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